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Astro News

सप्तम स्थान में सूर्य की स्थिति का ज्योतिषीय प्रभाव | Allso
सप्तम स्थान में सूर्य की स्थिति का ज्योतिषीय प्रभाव

सप्तम स्थान वैवाहिक जीवन, साझेदारी और सामाजिक संबंधों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह स्थान "कलत्र भाव" के रूप में जाना जाता है और साथ ही केंद्र स्थान भी है। सप्तम भाव का सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवनसाथी और साझेदारी से जुड़े मामलों पर पड़ता है। इस स्थान में सूर्य की उपस्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को दर्शा सकता है।

सप्तम भाव में सूर्य

सप्तम भाव में सूर्य की स्थिति को सामान्यतः शुभ नहीं माना जाता। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:

वैवाहिक जीवन पर प्रभाव:

सप्तम स्थान में सूर्य की उपस्थिति वैवाहिक जीवन में अस्थिरता और कलह का संकेत देती है।  व्यक्ति का वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है और पति-पत्नी के बीच भावनात्मक दूरी उत्पन्न हो सकती है।  सप्तम स्थान में सूर्य की स्थिति अक्सर वैवाहिक जीवन में तनाव और अस्थिरता का कारण बनती है। पति-पत्नी के बीच अहंकार या संवादहीनता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।  यह स्थिति जीवनसाथी के स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:

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सूर्य की स्थिति जातक और उसके जीवनसाथी दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

मानसिक तनाव और चिंतन की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।

यह स्थिति जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।जातक को स्वयं भी मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

प्रशासन और समाज से संबंध:

जातक समाज में आलोचनाओं का सामना कर सकता है।

यह स्थिति जातक को प्रशासनिक समस्याओं और कानूनी विवादों में उलझा सकती है।

 

जातक समाज में आलोचना और विवादों का सामना कर सकता है।

सामाजिक संबंधों में स्थिरता बनाए रखना कठिन हो सकता है।

धन और व्यवसाय पर प्रभाव:

सप्तम भाव में सूर्य होने पर साझेदारी में किया गया व्यवसाय असफल हो सकता है।

स्त्रियों के कारण धन हानि होने की संभावना बढ़ जाती है।

यदि सूर्य के साथ राहु भी क्षीण स्थिति में हो, तो धन हानि और विवाद की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं।

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साझेदारी में व्यवसायिक असफलता की संभावना रहती है।

यदि सप्तम भाव में सूर्य के साथ राहु या केतु भी हो, तो यह व्यापारिक विवाद या आर्थिक हानि का कारण बन सकता है।

सामाजिक प्रतिष्ठा और संबंध:

जातक का स्वभाव आलोचनात्मक हो सकता है।

यह स्थिति एकाधिक विवाह के संकेत दे सकती है।

जातक को अपने जीवनसाथी के प्रति अनादर और घृणा की भावना हो सकती है।

विदेश यात्रा:

सप्तम स्थान में सूर्य जातक के लिए विदेश यात्रा के योग भी उत्पन्न करता है।

हालांकि, विदेश में स्थायित्व या सफलता प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।


सप्तम भाव में सूर्य के उपाय

सूर्य के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं:

सूर्य की पूजा:

प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करें और "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

दान और सेवा:

रविवार के दिन गेहूं, गुड़ और तांबे का दान करें।

ब्राह्मणों को भोजन कराएं और आशीर्वाद लें।

मंत्र जाप:

आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें।

"ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।


रत्न धारण:  किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर माणिक्य (रूबी) धारण करें।

सप्तम भाव में सूर्य की सकारात्मक दिशा

हालांकि सप्तम भाव में सूर्य के कई नकारात्मक प्रभाव होते हैं, लेकिन कुछ स्थितियों में यह जातक को दृढ़ संकल्प और नेतृत्व क्षमता भी प्रदान करता है। जातक में आत्मविश्वास और साहस की भावना प्रबल होती है, जो उसे विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करने की शक्ति देती है।

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तुला लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की ज्योतिषीय  विशेषताएं | Allso
तुला लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की ज्योतिषीय विशेषताएं

तुला लग्न: स्वभाव, विशेषताएं और ज्योतिषीय विवेचना

तुला लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्तियों की विशेषताएं

तुला लग्न में जन्मे लोग आदर्शवादी, भावुक, सत्यनिष्ठ, न्यायप्रिय और दयालु होते हैं। ये लोग निर्णय लेने में कुशल और दूसरों के साथ दोस्ताना संबंध बनाने में निपुण होते हैं। इनका व्यक्तित्व आकर्षक और विनम्र होता है।

शारीरिक और मानसिक विशेषताएं:

मध्यम कद, सुंदरता, और संतुलित शारीरिक बनावट।

सदा मुस्कुराने वाले और कफ प्रधान स्वभाव।

बातचीत में कुशल और हंसमुख।

परिस्थितियों का आकलन करने में माहिर और त्वरित निर्णय लेने वाले।

सामाजिक और व्यावसायिक विशेषताएं:

राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में सफलता।

परोपकारी और जरूरतमंदों की मदद करने वाले।

व्यापार और आर्थिक गतिविधियों में सफल।

कला और संगीत में रुचि।

परिवारिक जीवन में पत्नी के साथ सामंजस्य और सौभाग्य।


तुला लग्न में ग्रहों का प्रभाव

1. सूर्य

स्वामी: आमदनी, लाभ, बड़े भाई-बहन।

फल: सूर्य शुभ फलदायक हैं, इनकी दशा में आय में वृद्धि और राज्य सम्मान की प्राप्ति होती है।

2. चंद्रमा

स्वामी: पिता, राज्य और रोजगार।

फल: पूर्णतः कारक ग्रह, शुभ फल देते हैं।

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3. मंगल

स्वामी: पत्नी, व्यवसाय, धन और कुटुंब।

फल: अकारक ग्रह, इनकी दशा में चुनौतियां संभव।

4. बुध

स्वामी: भाग्य, उच्च शिक्षा, बाहरी संबंध और खर्च।

फल: बुध शुभ फलदायक हैं।

5. गुरु

स्वामी: छोटे भाई-बहन, पराक्रम, रोग और शत्रु।

फल: अकारक ग्रह, सामान्य फलदायक।

6. शुक्र

स्वामी: स्वास्थ्य, सौंदर्य, और आयु।

फल: शुक्र शुभ ग्रह, जीवन में सुख-संपन्नता का कारक।

7. शनि

स्वामी: माता, जमीन, मकान, संतान और विद्या।

फल: शुभ कारक ग्रह, स्थिरता और प्रगति का प्रतीक।


तुला लग्न का स्वभाव और ज्योतिषीय प्रभाव

तुला लग्न के जातक सटीक निर्णय और व्यवहारिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

इनका स्वभाव दूसरों की सहायता करने और संतुलन बनाए रखने का होता है।

किसी भी जातक के जीवन में उसके लग्न और लग्नेश का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है।

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वास्तु और ज्योतिषीय उपाय

ग्रह दोष निवारण:

सूर्य और चंद्रमा से संबंधित उपाय कर घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाएं।

राहु और केतु के उपाय कर बाधाओं से मुक्ति पाएं।

सकारात्मकता के लिए:

तुला लग्न के लिए पूर्व दिशा में कार्य करना और इस दिशा को स्वच्छ रखना लाभदायक होता है।

पूजा स्थान उत्तर-पूर्व में रखें।


तुला लग्न के लिए अनुशंसित उपाय

नियमित रूप से शुक्र और शनि से जुड़े मंत्रों का जाप करें।

शुक्रवार के दिन दान और गरीबों की सहायता करें।  चंद्रमा से जुड़े उपाय करें, जैसे दूध का दान।

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उत्तर-पूर्व दिशा में कौन से पौधे लगाने चाहिए | Allso
उत्तर-पूर्व दिशा में कौन से पौधे लगाने चाहिए

 तुलसी का पौधा

उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह पौधा सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है और घर में आध्यात्मिक वातावरण तैयार करता है।

नीम का पौधा

नीम का पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। इसे उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है और घर में शुद्धता बनाए रखता है।

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अशोक का पौधा

अशोक का पौधा घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए आदर्श माना जाता है। यह पौधा ईशान कोण में लगाने से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

हल्दी का पौधा (Turmeric Plant)

हल्दी का पौधा उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने से घर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। यह पौधा धार्मिक और पवित्रता के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।


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फीग का पौधा (Ficus Plant)

फीग का पौधा ईशान कोण में लगाने से घर में शांति और सकारात्मकता बढ़ती है। यह पौधा घर के वातावरण को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करता है।

पौधे लगाने के समय ध्यान रखने योग्य बातें:

पौधों की नियमित देखभाल करें और उन्हें साफ-सुथरा रखें।

यह सुनिश्चित करें कि पौधों को पर्याप्त रोशनी और पानी मिल रहा है।

सूखे या मुरझाए हुए पौधों को तुरंत हटा दें।

पौधों को मिट्टी के बर्तनों में लगाना बेहतर होता है, जिससे उनकी जड़ें स्वस्थ बनी रहें।

उत्तर दिशा और उत्तर-पूर्व दिशा में सही पौधे लगाकर आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा, धन-समृद्धि और स्वास्थ्य को आकर्षित कर सकते हैं। इन दिशाओं में हरे और जल तत्व का प्रतीक पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इन सुझावों को अपनाकर आप अपने जीवन को अधिक संतुलित, सुखद और हरियाली भरा बना सकते हैं।

 

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उत्तर दिशा में कौन से पौधे लगाने चाहिए | Allso
उत्तर दिशा में कौन से पौधे लगाने चाहिए

वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा को जल तत्व से संबंधित माना गया है। यह दिशा धन, समृद्धि और करियर की उन्नति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। सही पौधों का चयन और उन्हें उत्तर दिशा में लगाना न केवल घर की सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा को भी आकर्षित करता है। आइए जानते हैं उत्तर दिशा में कौन-कौन से पौधे लगाने चाहिए और उनके लाभ।

1. बांस का पौधा (Lucky Bamboo)

बांस का पौधा सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसे उत्तर दिशा में लगाना बहुत ही शुभ होता है। यह पौधा धन और समृद्धि को बढ़ावा देता है और परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है।

2. पुदीना (Mint Plant)

पुदीना का पौधा उत्तर दिशा के लिए एक आदर्श विकल्प है। यह पौधा न केवल हवा को शुद्ध करता है बल्कि इसकी सुगंध मानसिक शांति प्रदान करती है। पुदीना का पौधा आपके स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।


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3. तुलसी का पौधा

तुलसी को सभी दिशाओं के लिए शुभ माना जाता है, लेकिन इसे उत्तर दिशा में लगाना विशेष लाभकारी होता है। यह पौधा सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है और घर में धन और शांति लाता है।

4. स्नेक प्लांट (Snake Plant)

स्नेक प्लांट हवा को शुद्ध करने के लिए जाना जाता है। इसे उत्तर दिशा में लगाने से वातावरण में सकारात्मकता और शांति का संचार होता है। यह पौधा देखभाल में आसान और घर के भीतर सजावट के लिए उपयुक्त है।

5. लैवेंडर (Lavender)

लैवेंडर का पौधा मानसिक शांति और तनाव को कम करने में सहायक होता है। उत्तर दिशा में इसे लगाने से घर में सुख-शांति और आनंद का वातावरण बनता है। इसकी सुगंध घर के वातावरण को ताजगी प्रदान करती है।


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पौधे लगाने के समय ध्यान रखने योग्य बातें:

पौधों की नियमित देखभाल करें और उन्हें साफ-सुथरा रखें।

यह सुनिश्चित करें कि पौधों को पर्याप्त रोशनी और पानी मिल रहा है।

सूखे या मुरझाए हुए पौधों को तुरंत हटा दें।

पौधों को मिट्टी के बर्तनों में लगाना बेहतर होता है, जिससे उनकी जड़ें स्वस्थ बनी रहें।

उत्तर दिशा में सही पौधे लगाकर आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-समृद्धि को आकर्षित कर सकते हैं। यह दिशा जल तत्व से जुड़ी होने के कारण हरे और जल तत्व का प्रतीक पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इन सुझावों को अपनाकर आप अपने जीवन को अधिक संतुलित, सुखद और हरियाली भरा बना सकते हैं।

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उत्तर पश्चिम दिशा में कौन से पौधे लगाने चाहिए | Allso
उत्तर पश्चिम दिशा में कौन से पौधे लगाने चाहिए

वास्तु शास्त्र में हर दिशा का अपना एक महत्व होता है। उत्तर पश्चिम दिशा को वायु तत्व से संबंधित माना गया है, और यह दिशा हमारे सामाजिक संबंधों, मित्रता और सहयोग के लिए उत्तरदायी होती है। इस दिशा में सही प्रकार के पौधे लगाना न केवल वातावरण को शुद्ध करता है बल्कि आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है। आइए जानते हैं उत्तर पश्चिम दिशा में कौन-कौन से पौधे लगाने चाहिए और उनके लाभ।

1. तुलसी का पौधा

तुलसी को भारतीय परंपरा में पवित्र और स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। इसे उत्तर पश्चिम दिशा में लगाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह वातावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है। तुलसी का पौधा मानसिक शांति और घर के सदस्यों के बीच सामंजस्य बढ़ाने में मदद करता है।

2. चमेली का पौधा

चमेली के फूलों की सुगंध मन को प्रसन्न करती है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलाती है। उत्तर पश्चिम दिशा में चमेली का पौधा लगाने से रिश्तों में मिठास आती है और मन शांत रहता है। यह पौधा वायु तत्व को संतुलित करने में भी सहायक होता है।

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3. मनी प्लांट

मनी प्लांट को समृद्धि और वित्तीय स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। इसे उत्तर पश्चिम दिशा में लगाना धन और अवसरों की वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है। यह पौधा घर के सौंदर्य को बढ़ाने के साथ-साथ रिश्तों को भी मजबूत करता है।

4. एरिका पाम

एरिका पाम का पौधा उत्तर पश्चिम दिशा के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यह पौधा हवा को शुद्ध करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह पौधा देखने में सुंदर होता है और घर को एक ताजगी भरा माहौल प्रदान करता है।

5. फर्न (Fern)

फर्न का पौधा उत्तर पश्चिम दिशा के लिए बहुत ही उपयुक्त है। यह पौधा नमी को नियंत्रित करता है और हवा की गुणवत्ता में सुधार करता है। इसे घर में लगाना आपके मानसिक स्वास्थ्य और शांति के लिए फायदेमंद होता है।

पौधे लगाने के समय ध्यान रखने योग्य बातें:

पौधों को नियमित रूप से पानी दें और उनकी देखभाल करें।

मरे हुए या सूखे पौधों को तुरंत हटा दें, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं।

पौधों की पत्तियों की सफाई करते रहें ताकि उनका विकास ठीक से हो सके।

पौधों को सही जगह पर रखें ताकि उन्हें पर्याप्त प्रकाश और हवा मिले।

उत्तर पश्चिम दिशा में पौधे लगाना आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली लाने का एक प्रभावी तरीका है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, सही दिशा में सही पौधे लगाने से न केवल आपका घर सुंदर बनता है बल्कि आपके जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन भी आता है। इसलिए, इन सुझावों को अपनाकर अपने घर और जीवन को हरियाली और सुख-शांति से भरें।

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धनु संक्रांति मे जानिए मीन राशि का भविष्यफल: 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक | Allso
धनु संक्रांति मे जानिए मीन राशि का भविष्यफल: 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक

1. प्रेम (Love):
मीन राशि के जातकों के लिए प्रेम जीवन में मधुरता आएगी। यदि आप सिंगल हैं तो किसी खास व्यक्ति से मुलाकात की संभावना बन रही है। प्रेम संबंधों में एक नई ऊर्जा का संचार होगा, जिससे रिश्ते मजबूत होंगे। विवाहित जीवन में साथी के साथ यात्रा के योग बन सकते हैं, जिससे संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी।

2. स्वास्थ्य (Health):
स्वास्थ्य के लिहाज से यह समय मध्यम रहेगा। मानसिक तनाव और थकान के कारण कुछ परेशानियां हो सकती हैं। आंखों या त्वचा संबंधित समस्याओं को अनदेखा न करें। नियमित योग और ध्यान करने से आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संतुलित रहेगा। खानपान पर विशेष ध्यान दें।

3. वित्त (Finance):
आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। धन लाभ के योग बन रहे हैं, विशेष रूप से व्यापारियों के लिए यह समय शुभ रहेगा। निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो अनुभवी व्यक्ति से सलाह जरूर लें। अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण रखें और बचत पर ध्यान दें। पुराने कर्ज से मुक्ति के संकेत भी इस अवधि में दिख रहे हैं।

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4. संतान (Child):
बच्चों की पढ़ाई और करियर में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। उनकी प्रगति से आपका मन प्रसन्न रहेगा। जो लोग संतान सुख की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उन्हें शुभ समाचार मिलने की संभावना है। बच्चों के साथ समय बिताने से परिवार का माहौल सुखद रहेगा।

5. परिवार (Family):
पारिवारिक जीवन में खुशहाली आएगी। किसी धार्मिक या मांगलिक कार्य का आयोजन घर में हो सकता है। परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताने का अवसर मिलेगा, जिससे रिश्ते मजबूत होंगे। बड़ों का आशीर्वाद और समर्थन आपको मिलेगा। पारिवारिक विवादों का समाधान इस अवधि में संभव है।

6. करियर और शिक्षा (Career and Education):
करियर के क्षेत्र में यह समय सफलता और नए अवसर लेकर आएगा। नौकरीपेशा लोगों को प्रमोशन या नई जिम्मेदारियां मिलने की संभावना है। विद्यार्थियों के लिए यह समय मेहनत और एकाग्रता के साथ अध्ययन करने का है। प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के योग बन रहे हैं।

7. विवाह (Marriage):
विवाह योग्य जातकों के लिए यह समय शुभ रहेगा। अच्छे प्रस्ताव आ सकते हैं। विवाहित जातकों के लिए यह समय जीवनसाथी के साथ सुखद अनुभवों का रहेगा। रिश्ते में विश्वास और प्रेम बढ़ेगा। पुराने विवादों का समाधान होने से रिश्तों में मधुरता आएगी।

8. मानसिक शांति और खुशी (Mental Peace and Happiness):
इस अवधि में आप मानसिक रूप से संतुलित और सकारात्मक बने रहेंगे। आध्यात्मिक गतिविधियों में भाग लेने से मन को शांति मिलेगी। पारिवारिक और सामाजिक जीवन में आपकी स्थिति मजबूत होगी। अपने शौक और पसंदीदा कार्यों में समय बिताने से मानसिक प्रसन्नता बनी रहेगी।

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9. संपत्ति और कानूनी मामले (Property and Legal Issues):
संपत्ति संबंधित मामलों में लाभ के संकेत हैं। यदि आप कोई संपत्ति खरीदने या बेचने का विचार कर रहे हैं तो समय अनुकूल रहेगा। कानूनी विवादों में सफलता मिलने की संभावना है। पुराने लंबित मामलों का समाधान इस दौरान हो सकता है।

10. आध्यात्मिक और भावनात्मक समस्याएं (Spiritual and Emotional Problems):
धनु संक्रांति के दौरान आध्यात्मिकता की ओर आपका झुकाव बढ़ेगा। ध्यान, पूजा-पाठ और धार्मिक यात्राओं के योग बन रहे हैं। भावनात्मक रूप से संतुलन बनाए रखने के लिए खुद पर विश्वास रखें। दूसरों की मदद करना और सकारात्मक विचारों को अपनाना आपके लिए लाभकारी रहेगा।

उपाय (Remedies):

  1. गुरुवार के दिन विष्णु भगवान की पूजा करें और केले के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
  2. रोजाना "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
  3. जरूरतमंद लोगों को पीले कपड़े और भोजन का दान करें।
  4. चंद्रमा से जुड़े उपाय जैसे सोमवार के दिन दूध का दान करना शुभ रहेगा।

धनु संक्रांति का यह समय मीन राशि के लिए कई नए अवसर और शुभ समाचार लेकर आ रहा है। करियर, प्रेम, और परिवार के मामले में स्थिति अनुकूल रहेगी। आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी मामलों में थोड़ा सतर्क रहना जरूरी है। आध्यात्मिकता की ओर रुझान और सकारात्मक सोच आपके जीवन में संतुलन बनाए रखेगी।

 

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Mokshada Ekadashi 2024: A Divine Convergence with Gita Jayanti
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Mokshada Ekadashi 2024: A Divine Convergence with Gita Jayanti

Date: December 11, 2024, Wednesday

Special Conjunctions:

Ravi Yoga and Kumara Yoga hold immense significance.

Observance is valid throughout the day due to

Revati Nakshatra and Variyan Yoga.

Mokshada Ekadashi, also known as Margashirsha Shukla Ekadashi, is revered in Hinduism as a highly auspicious day for spiritual purification and liberation (moksha). This year, its concurrence with the sacred occasion of Gita Jayanti, the anniversary of the Bhagavad Gita’s divine revelation by Lord Krishna to Arjuna, enhances its sanctity.


Significance of Mokshada Ekadashi

Eradication of Sins: Observing a fast on this day absolves all sins.

Attainment of Moksha: It is considered extremely beneficial for spiritual elevation and liberation of the soul.

Spiritual Purification: This Ekadashi purifies both the mind and the soul.

Peace and Prosperity: Devotees receive blessings from Lord Vishnu for peace and prosperity in life.


Importance of Gita Jayanti

Gita Jayanti, celebrated on the same day as Mokshada Ekadashi, commemorates the divine discourse of the Bhagavad Gita delivered by Lord Krishna to Arjuna on the battlefield of Kurukshetra. Reading the Gita and worshiping Lord Krishna on this day bestows immense spiritual merit.


Puja Rituals

Morning Ablutions: Bathe early in the morning and wear clean clothes.

Worship Lord Vishnu and the Bhagavad Gita: Offer lamps, flowers, food, and Tulsi leaves.

Observe a Fast: Maintain a day-long fast and engage in chanting the holy names of Lord Vishnu.

Night Vigil: Perform night vigil with Bhagavad Gita recitation.


Listening to the Vrat Katha

Hearing the Mokshada Ekadashi Vrat Katha brings liberation to ancestors’ souls, making this day significant not only for individuals but also for their forefathers.


Mokshada Ekadashi Vrat Katha

The Legend of King Vaikhanasa: In the ancient city of Champakpuri, there lived a devout king named Vaikhanasa. One night, his ancestors appeared in his dream, distressed and suffering in Naraka (hell). Deeply troubled, the king sought the guidance of learned sages, who advised him to observe the Mokshada Ekadashi fast.

Following their counsel, King Vaikhanasa performed the fast with utmost devotion, worshiping Lord Vishnu. Pleased with his sincerity, Lord Vishnu liberated the king’s ancestors, granting them moksha. Since then, Mokshada Ekadashi has been regarded as a day of immense spiritual power and redemption.


Unique Conjunctions and Yogas

Ravi Yoga and Kumara Yoga: These enhance the auspiciousness of the day.

Revati Nakshatra: Adds potency to the day’s spiritual benefits.

Variyan Yoga: Doubles the significance of the occasion.


Benefits of Fasting

Observing a fast on Mokshada Ekadashi not only grants spiritual benefits but also fosters positive energy. The fast eliminates obstacles in life and provides inner peace. Devotees receive blessings for both worldly prosperity and spiritual liberation.


Let this Mokshada Ekadashi and Gita Jayanti be a day of divine connection, spiritual growth, and eternal blessings.

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Vastu Dosha Effects: A Guide to Understanding and Remedies
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Vastu Dosha Effects: A Guide to Understanding and Remedies

What is Vastu Dosha?

The term Vastu Dosha in Vedic astrology refers to imbalances or defects in a building's structure that disrupt harmony with natural elements and energies. Such defects can lead to various challenges in life, including financial instability, health issues, strained relationships, and career obstacles.

A Vastu-compliant house promotes positive energy, while Vastu defects generate negative energy. This negative energy can symbolize turmoil and challenges in life.

In one sentence:  Vastu Dosha negatively impacts the residents by creating imbalances in energy, leading to health and life problems.

What is Vastu?  Vastu is the ancient science of aligning and balancing the five elements — Earth, Fire, Air, Water, and Space — to derive maximum benefits for a harmonious life.

If any principle of Vastu is violated in a house or workplace, it creates Vastu Dosha.

Vastu Dosha and Their Effects

Toilet, Septic Tank, or Heavy Construction in the Northeast

The elder son may suffer from chronic illnesses like cancer, migraine, paralysis, or stroke.

Defects in the Southeast

Leads to kidney problems and health issues, especially for women.

Basement or Water Tank in the South

Causes gynecological problems and health issues for women.

Defects in the Northwest

Can lead to transferable diseases and frequent seasonal illnesses.

Southwest Defects

Attract heart problems for the head of the family.

Combined defects in Southwest and Northeast may cause paralysis, brain hemorrhage, and miscarriages.

Sleeping with the Head Towards North

Can result in digestion problems, headaches, mental sickness, uneasiness, and even heart problems.

Sleeping in the Northwest

Increases the risk of mental health issues.


How to Identify and Fix Vastu Dosha?

If your home has any of the above-listed defects, consulting a Vastu expert can help with a detailed analysis of the layout and proper remedies.

By incorporating Vastu principles, you can restore balance and promote health, prosperity, and well-being for all family members.

The accompanying diagram demonstrates how Vastu Doshas in different directions impact health and well-being. Use it as a reference to identify areas of improvement in your house.

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Exploring the Significance of Number 5 in Numerology: Meanings, Symbolism, and Life Interpretations
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Exploring the Significance of Number 5 in Numerology: Meanings, Symbolism, and Life Interpretations"

अंक 5 का न्यूमरोलॉजी विश्लेषण

न्यूमरोलॉजी, यानी अंक ज्योतिष, एक ऐसा विज्ञान है जो अंकों के माध्यम से आपके जीवन के पहलुओं को समझने में मदद करता है। अंक 5 को न्यूमरोलॉजी में स्वतंत्रता, यात्रा और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है। आइए, अंक 5 के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को विस्तार से समझें।

न्यूमरोलॉजी का परिचय

न्यूमरोलॉजी एक प्राचीन ज्योतिषीय प्रणाली है जो आपकी जन्मतिथि और नाम के आधार पर आपके व्यक्तित्व और भविष्य को समझने में मदद करती है।

अंक 5 के मुख्य गुण (सकारात्मक पक्ष)

स्वतंत्रता: अंक 5 से प्रभावित व्यक्ति स्वतंत्रता-प्रेमी होते हैं। उन्हें बंधन पसंद नहीं होता और वे अपनी शर्तों पर जीवन जीते हैं।

मौलिकता:  यह अंक नए विचारों और नवाचार का प्रतीक है। इन व्यक्तियों में रचनात्मकता कूट-कूटकर भरी होती है।

यात्रा:  इन्हें नई जगहों पर घूमने और नए अनुभवों को अपनाने का शौक होता है।

युवा और ऊर्जावान:  ये लोग हमेशा ऊर्जा से भरपूर होते हैं और उनका स्वभाव चंचल होता है।

नए आरंभ:  अंक 5 नई शुरुआत और अवसरों का प्रतीक है।


अंक 5 के नकारात्मक गुण (उल्टा पक्ष)

लापरवाही: कभी-कभी ये लोग अपने कार्यों में लापरवाही दिखाते हैं।

ध्यान की कमी: इनका ध्यान भटक सकता है, जिससे वे अपने लक्ष्यों से दूर हो जाते हैं।

अपरिपक्वता: अंक 5 वाले लोग कभी-कभी निर्णय लेने में अपरिपक्वता दिखाते हैं।

लापरवाह जीवनशैली: उनकी स्वतंत्रता की भावना उन्हें जिम्मेदारियों से दूर कर सकती है।

युवा जैसा स्वभाव: यह स्वभाव कभी-कभी उनकी गंभीरता को कम कर देता है।


अंक 5 का प्रेम और संबंधों में प्रभाव

सकारात्मक (उप्राइट): रोमांच और स्वतंत्रता के कारण ये अपने साथी को हमेशा खुश रखते हैं।

प्रेम में ईमानदारी और मौलिकता दिखाते हैं।

नकारात्मक (रिवर्स्ड):अधिक स्वतंत्रता के कारण संबंधों में समस्याएं आ सकती हैं।

इनका ध्यान भटक सकता है, जिससे साथी को उपेक्षा महसूस हो सकती है।


अंक 5 का करियर और वित्त में प्रभाव

सकारात्मक (उप्राइट):  मौलिक सोच के कारण ये अच्छे उद्यमी बन सकते हैं।

इन्हें व्यापार, यात्रा, और विपणन में सफलता मिलती है।

नकारात्मक (रिवर्स्ड): धन की बचत करने में असमर्थ हो सकते हैं।

करियर में स्थिरता की कमी हो सकती है।


अंक 5 और स्वास्थ्य

सकारात्मक (उप्राइट): ऊर्जा से भरपूर और फिट रहने की आदत।

नई गतिविधियों में हिस्सा लेना पसंद करते हैं।

नकारात्मक (रिवर्स्ड): अनियमित जीवनशैली के कारण स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।


अंक 5 और आध्यात्मिकता

सकारात्मक (उप्राइट): नई आध्यात्मिक पद्धतियों को अपनाने में रुचि रखते हैं।

ध्यान और योग में सहजता महसूस करते हैं।

नकारात्मक (रिवर्स्ड): ध्यान की कमी के कारण आध्यात्मिकता से भटक सकते हैं।


ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व  अंक 5 का सांस्कृतिक महत्व अनेक सभ्यताओं में देखने को मिलता है। इसे परिवर्तन, यात्रा और खोज का प्रतीक माना गया है।

अंक 5 के लिए विशेष टिप्स और उपाय

जिम्मेदारी निभाएं: अपनी स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदार बनें।

ध्यान लगाएं:  योग और ध्यान के माध्यम से मन को स्थिर रखें।

धन प्रबंधन:  अपने खर्चों को नियंत्रित करें और बचत की आदत डालें।

संबंधों का सम्मान करें: अपने साथी के प्रति ईमानदारी और सहानुभूति दिखाएं।


यह अंक आपकी ऊर्जा, उत्साह और स्वतंत्रता का प्रतीक है। इसे संतुलित रखने के लिए स्वयं पर काम करें और जीवन का आनंद लें।

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"कुंडली का योनि मिलान: वर-वधु के वैवाहिक जीवन का आधार" डॉ. दामोदर बंसल

वर-वधु की कुंडली का मिलान करते समय ज्योतिषी कई तरह की गलतियां कर जाते हैं। 
कई बार तो वे उन अहम बिंदुओं को परखना ही भूल जाते हैं जो भविष्य में वर-वधु के शादीशुदा जीवन की नींव बनने वाले हैं। 
या फिर यदि परखते भी हैं तो उस गहराई से नहीं, जितनी कि आवश्यकता होती है। 
इन्हीं कभी भी नजरअंदाज ना करने वाली चीजों में से एक है कुंडली का “योनि मिलान”। 
वर एवं वधु किस योनि से हैं एवं उन दोनों की योनि एक-दूसरे के लिए अनुकूल है या नहीं, इस बात को जान लेना बेहद महत्वपूर्ण है।

dr damodar bansal

योनियों के अनुसार जातको के स्वभाव
अश्व योनि 👉 स्वेच्छाचारी, साहसी, प्रभावशाली, ओजस्वी, दमदार आवाज इत्यादि। 
गज योनि 👉 बलवान, शक्तिशाली, उत्साही एवं सम्मानित लोगों से प्रतिष्ठित। 
गौ योनि👉 सदा उत्साहित और आशावादी, मेहनती, परिश्रम से पीछे न हटने वाले, बात करने में निपुण, स्त्रियों को विशेष रूप से प्रिय, कम आयु। 
सर्प योनी👉 अत्यंत क्रोधी स्वभाव, अनियंत्रित क्रोध, रूखा स्वभाव, दया और ममता की कमी, मन अस्थिर और चंचल, गम्भीरता से नहीं सोच पाना, खाने और व्यंजन के शौकीन, नुगरे।
श्वान योनि👉 बहादुर और साहसी, उत्साही और जोश से परिपूर्ण, मेहनती और परिश्रमी, माता-पिता के सेवक, दूसरों के सहायक, भाई बंधुओं से छोटी-छोटी बात पर लड़ जाने वाले।
मार्जार योनि👉 अत्यंत निडर, बहादुर और हिम्मत वाले, दूसरों के प्रति दुष्ट भाव रखना, समस्त कार्य करने में कुशल, मीठे के शौकिन।
मेष योनि👉 पराक्रमी और महान योद्धा, मेहनती, धन-दौलत से परिपूर्ण ऐश्वर्यशाली, भोगी तथा दूसरों पर उपकार करने वाले। 
मूषक योनि 👉 काफी बुद्धिमान और चतुर, अपने काम में तत्पर और सजग, काफी सोच विचार कर और समझदारी से आगे बढने वाले, सदैव सचेत एवं आसानी से किसी पर विश्वास नहीं करने वाले, काफि धनी।

सिंह योनि👉 धर्मात्मा, स्वाभिमानी, नेक और सरल आचरण व व्यवहार, इरादों के पक्के, अत्यंत साहस और हिम्मत, कुटुम्ब का ख्याल रखने वाले। 
महिष योनि 👉 कम बुद्धि वाले, युद्ध में इन्हें सफलता, काम के प्रति बहुत अधिक उत्साही, कई संताने, वात रोगी। 
व्याघ्र योनि👉 सभी प्रकार के काम में कुशल, स्वतंत्र रूप से काम करने वाले, अपनी प्रशंसा स्वयं करने वाले। 
मृग योनि 👉 कोमल हृदय, नम्र और प्रेमपूर्ण व्यवहार, शान्त मन, सत विचार एवं सत्य वाचक, आस्थावान, स्वतंत्र विचारों के, लड़ाई-झगड़े दूर रहने वाले, भाई बंधुओं से प्रेम करने वाले। 
वानर योनि 👉 चंचल स्वभाव, युद्ध के लिये सदा तत्पर, काफी बहादुर और हिम्मत वाले, कामो उत्तेजक, धन व्यस्नी, संतान से सुखी।
नकुल योनि 👉 के जातक हर काम में पारंगत एवं कुशलता पूर्वक करने में सक्षम, अत्यंत परोपकारी, विद्या के धनी, माता पिता के भक्त होते है। *ज्योतिष सम्बंधित समस्या, निवारण* *उपाय आदि के कॉल या व्हाट्सअप

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डॉ. दामोदर बंसल
ज्योतिषाचार्य और वैदिक ज्योतिष विशेषज्ञ, 27 वर्षों का अनुभव

अंतरराष्ट्रीय और सेलिब्रिटी ज्योतिषी: वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र, और ऑकल्ट ऑरा साइंस काउंसलिंग में विशेषज्ञ।
राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता (1992): समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय स्वतंत्रता दिवस परेड में सम्मानित।
संयुक्त राष्ट्र "रियल सुपर हीरोज" अवार्ड (2022): असाधारण योगदान और उपलब्धियों के लिए सम्मानित।
इसके अलावा कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त।
दुनिया के सबसे बड़े ज्योतिष और वास्तु शास्त्री मंच पर लोकप्रिय ज्योतिषी।
डॉ. दामोदर बंसल वैदिक ज्योतिष, वास्तु, और आध्यात्मिक परामर्श के क्षेत्र में अपने विशेषज्ञता और समर्पण के लिए पहचाने जाते हैं।

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