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मूलाधार, (संस्कृत: मूलाधार, Mūlādhāra) बेस या रूट चक्र (मेरूदंड की अंतिम हड्डी *कोक्सीक्स*)
मूलाधार या मूल चक्र प्रवृत्ति, सुरक्षा, अस्तित्व और मानव की मौलिक क्षमता से संबंधित है।
यह शरीर का पहला चक्र है।
यह केंद्र गुप्तांग और गुदा के बीच चार पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है।
अवस्थित होता है। हालांकि यहां कोई अंत:स्रावी अंग नहीं होता, कहा जाता है
यह जनेनद्रिय और अधिवृक्क मज्जा से जुड़ा होता है
99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है
और अस्तित्व जब खतरे में होता है तो मरने या मारने का दायित्व इसी का होता है। और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं।
इस क्षेत्र में एक मांसपेशी होती है,
जहां जनन संहिता और कुंडलिनी कुंडली बना कर रहता है।
मूलाधार का प्रतीक लाल रंग और चार पंखुडिय़ों वाला कमल है।
इसका मुख्य विषय काम—वासना, लालसा और सनक में निहित है।
शारीरिक रूप से मूलाधार काम-वासना को, मानसिक रूप से स्थायित्व को, भावनात्मक रूप से इंद्रिय सुख को और आध्यात्मिक रूप से सुरक्षा की भावना को नियंत्रित करता है।
जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।
चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए
भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यािन लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।
Mantara
lamnamaha
प्रभाव :
इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है।
सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है।
घर की खिड़की किस दिशा में और कैसी होना चाहिए इसका वास्तुशास्त्र में उल्लेख मिलता है। खिड़की के सही दिशा में होने से भाग्य खुल जाता है और गलत दिशा में होने से भाग्य बंद भी हो सकता है। जिस खिड़की से हवा आती है उस खिड़की से मुसीबतें भी आ सकती है। जिस खिड़की से प्रकाश आता है उसी खिड़की से अंधेरा भी आता है। अत: खिड़की का वास्तुशास्त्र के अनुसार होना चाहिए। आओ जानते है वास्तु के 12 टिप्स।
1. पश्चिमी, पूर्वी और उत्तरी दीवारों पर खिड़कियों का निर्माण शुभ माना गया है।
2. उत्तर दिशा में खिड़की होने से घर में धन और समृद्धि के द्वारा खुल जाते हैं।
3. दक्षिण दिशा में खिड़की होने से रोग और शोक की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि यह यम की दिशा होती है।
4. घर की दक्षिण दिशा की खिड़की शुभ नहीं होती, यदि है तो उस पर मोटा पर्दा लगा दें। नैऋत्य कोण में भी खिड़की नहीं होना चाहिए।
5. खिड़कियां कभी भी घर के सन्धि भाग में न बनवाएं।
6. मकान में खिड़कियां द्वार के सामने अधिकाधिक होनी चाहिए, ताकि चुम्बकीय चक्र पूर्ण होता रहे।
7. वास्तु के अनुसार मकान में खिड़कियों की संख्या बराबर होनी चाहिए। अर्थात सम संख्या में होना चाहिए।
8. खिड़की को भी अच्छे से सजाकर और पर्दे से ढंकी हुई रखें। खिड़की के आसपास बेलबुटे वाले चित्र होना चाहिए या रांगोली या मंडने वाली चित्रकारी होना चाहिए।
9. घर की सभी खिड़की व दरवाजे एक समान ऊंचाई पर होने चाहिए।
10. उत्तर का दरवाजा हमेशा लाभकारी होता है। इस दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की, बालकनी और दरवाजे होना चाहिए। उत्तर दिशा का द्वार समृद्धि, प्रसिद्ध और प्रसन्नता लेकर आता है।
11. खिड़किया दो पल्ले वाली होना चाहिए और इन्हें खोलने एवं बंद करने में आवाज नहीं होना चाहिए। पल्ले अंदर की ओर खुलना चाहिए बाहर की ओर नहीं।
12. खिड़कियां टूटी हुई, गंदी या आड़ी-तिरझी बनी हुई नहीं होना भी अशुभ है ।
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नंबर 4 बचाव के लिए है। अंकज्योतिष में 4 जीवन और कार्य के प्रति बिना सोचे-समझे दृष्टिकोण रखने वाला एक निरर्थक अंक है। यह बेहद भरोसेमंद है और किसी व्यक्ति या स्थिति को काफी हद तक स्थिरता प्रदान करता है। 4 आगे बढ़ने के लिए समर्पित है, लेकिन प्रगतिशील की तुलना में अधिक रूढ़िवादी तरीके से। यह नए तरीकों को आजमाने के बजाय जो आजमाया हुआ है उस पर कायम रहता है। कुछ एशियाई देशों में संख्या 4 को बहुत अशुभ माना जाता है। अंक ज्योतिष संख्या में 4 एक बुद्धिमान और तर्कसंगत ऊर्जा होती है जो हमें सुरक्षा और निरंतरता की भावना दिला सकती है। अंक 4 अपने दिमाग से नेतृत्व करता है, दिल से नहीं, और इस मानसिक शक्ति का उपयोग सेवा और संतुष्टि का जीवन बनाने के लिए करता है।
कार्तिक मास में तुलसी की पूजा का भी बहुत खास महत्व बताया गया है। तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय है। इस महीने में नियमित रूप से तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। कार्तिक मास में पूजा पाठ और उपवास करने से मनुष्य को वैभव की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जो भी मनुष्य इस महीने में नियमित रूप से पूजा पाठ करता है और भगवान् विष्णु को तुलसी के पत्ते अर्पित करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कार्तिक मास में श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और मनुष्य के सभी रोग दूर हो जाते हैं और उनके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
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