विनायक चतुर्थी, जो कि भगवान गणेश जी की आराधना का विशेष पर्व है, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है।
इस दिन को गणपति बप्पा को प्रसन्न करने और अपने जीवन से विघ्नों को दूर करने के लिए उत्तम माना गया है।
इस बार विनायक चतुर्थी के दिन दो विशेष योग बन रहे हैं - रवि योग और सुकर्मा योग, जो इसे और भी अधिक फलदायी बनाते हैं।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का व्रत और पूजा करने से जीवन में सफलता, सुख-शांति, और समृद्धि प्राप्त होती है।
विनायक चतुर्थी का महात्म्य
विनायक चतुर्थी का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व बताया गया है।
यह दिन गणेश जी के विभिन्न रूपों की पूजा के लिए समर्पित है।
वेद-पुराणों के अनुसार, भगवान गणेश विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माने जाते हैं।
उनकी पूजा के बिना किसी भी शुभ कार्य का आरंभ नहीं होता है।
गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि और बुद्धि के दाता के रूप में पूजा जाता है।
इस तिथि पर किए गए पूजा-पाठ और व्रत से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं।
विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व और फल
विनायक चतुर्थी के व्रत के दौरान लोग व्रत रखकर भगवान गणेश का स्मरण करते हैं।
इस दिन पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण होते हैं।
मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
इसके अलावा, इस दिन पूजा करने से व्यक्ति को धन-धान्य की प्राप्ति, ऐश्वर्य, ज्ञान और बुद्धि का वरदान मिलता है।
इस दिन दूर्वा (हरी घास) की 21 गांठ गणेश जी को अर्पित करने का भी विशेष महत्व है, जिससे भगवान गणेश का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है।
विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 4 नवंबर की रात 11 बजकर 24 मिनट पर प्रारंभ होगी और 5 नवंबर की रात 12 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी।
उदयातिथि के आधार पर इस बार का विनायक चतुर्थी व्रत 5 नवंबर को रखा जाएगा।
इस दिन व्रतधारी को दिन में 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 1 बजकर 10 मिनट तक का शुभ मुहूर्त मिलेगा, जिसमें भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 4:52 से 5:44 बजे तक है, जो स्नान और व्रत के संकल्प के लिए उत्तम माना गया है।
विनायक चतुर्थी पर बन रहे हैं दो शुभ योग
इस वर्ष विनायक चतुर्थी के दिन दो विशेष योग बन रहे हैं, जो इसे और भी अधिक महत्वपूर्ण बना रहे हैं।
इन योगों का फल है:
सुकर्मा योग -
यह योग 5 नवंबर को सुबह 11:28 से आरंभ होगा और रातभर बना रहेगा। यह योग हर कार्य में सफलता और शुभता को बढ़ाता है।
रवि योग -
यह योग प्रातः 6:36 बजे से 9:45 बजे तक रहेगा। इस समय में पूजा करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है और व्यक्ति का भाग्य प्रबल होता है। इसके साथ ही, इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग भी बना है, जो पूजा-पाठ और दान का फल दस गुना बढ़ा देता है।
विनायक चतुर्थी व्रत की पूजा विधि
विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा विधि विशेष और सरल होती है। इस दिन पूजा विधि का पालन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसका जीवन सुखमय बनता है। यहाँ पूजा विधि का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
स्नान और संकल्प -
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें।
पूजा सामग्री - गणेश जी की प्रतिमा के सामने कुमकुम, अक्षत, दूर्वा, बेसन के लड्डू या मोदक, मिष्ठान्न, रोली, गेंदे के फूल, सिंदूर, इत्र आदि अर्पित करें। माना जाता है कि गणेश जी को बेसन के लड्डू और मोदक अत्यंत प्रिय होते हैं।
धूप-दीप प्रज्वलित करें - गणपति महाराज को धूप-दीप दिखाएँ और श्री गणेश की आरती करें।
ध्यान रखें कि घी का दीपक अवश्य जलाएँ।
दूर्वा अर्पण - गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें। हरी दूर्वा की 21 गांठों का गणेश जी को अर्पण करने का विशेष महत्व है, जिससे भगवान गणेश अति प्रसन्न होते हैं और जीवन से समस्त बाधाएँ दूर करते हैं।
प्रसाद वितरण - पूजा समाप्त होने पर भगवान गणेश को दंडवत प्रणाम करें और उनके चरणों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
इसके बाद लड्डू और मोदक का प्रसाद सब में बाँटें।
गणेश जी की महिमा और जीवन में उनका महत्व
भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि, और सौभाग्य का देवता माना जाता है।
वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और हर कार्य के आरंभ में पूजा किए जाने वाले प्रथम देवता हैं।
भगवान गणेश की महिमा वेदों और पुराणों में विस्तार से वर्णित है।
उन्हें विघ्नहर्ता यानी सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में पूजा जाता है।
मान्यता है कि उनकी उपासना से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
गणेश जी के अन्य नामों में "दूर्वा गणपति" भी प्रमुख है, क्योंकि उन्हें दूर्वा अत्यंत प्रिय है।
ऐसा माना जाता है कि दूर्वा की शक्ति से गणेश जी को शीतलता प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है।
उनकी पूजा जीवन में मंगलकारी होती है और उनकी कृपा से व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है।
विनायक चतुर्थी व्रत के लाभ
विनायक चतुर्थी व्रत का पालन करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं:
धन और समृद्धि का वरदान - गणेश जी की कृपा से आर्थिक उन्नति होती है और परिवार में धन-धान्य का विस्तार होता है।
संकटों से मुक्ति - भगवान गणेश सभी प्रकार के संकटों को दूर कर देते हैं और जीवन को सुखमय बनाते हैं।
ज्ञान और बुद्धि का विकास - गणेश जी की कृपा से व्यक्ति को ज्ञान, विवेक, और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वे विद्यार्थियों के भी प्रिय देवता हैं।
सभी कार्यों में सफलता - इस दिन पूजा करने से भगवान गणेश सभी कार्यों को सफल बनाते हैं और व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
विनायक चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश की पूजा और उनके प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करने का विशेष अवसर है।
इस दिन की गई पूजा और व्रत भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है।
इस दिन सभी विध्नों के हरता और बुद्धि-विवेक के दाता भगवान गणेश को पूजा जाता है, जिससे हर कार्य में सफलता और जीवन में शांति प्राप्त होती है।
विनायक चतुर्थी पर विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और भगवान गणेश के आशीर्वाद से उसका जीवन मंगलमय हो जाता है।
अतः, इस दिन को संपूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाएँ और गणपति बप्पा से जीवन के सभी कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।
गणपति बप्पा मोरया!
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