जानिए कालसर्प दोष  का महत्व 

जानिए कालसर्प दोष  का महत्व 

 

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जब किसी जातक की कुंडली में मौजूद मुख्य ग्रह राहु और केतु के मध्य में आ जाते हैं,

तब कालसर्प दोष लग जाता है। कुंडली में कालसर्प दोष के निर्माण से जातकों पर अन्य ग्रहों के द्वारा पड़ रहे शुभ प्रभाव कम हो जाते हैं

और जातकों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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कालसर्प से राहत पाने के कुछ उपाय:-

नित्य शिव-उपासना-अभिषेक, या महाम्रत्युंजय (18 माला) प्रतिदिन कते रहने से कालसर्प दोष प्रभावित नहीं करता।

 

काले पत्थर की नाग-प्रतिमा और शिवलिंग बनवाकर... उसका मंदिर निर्माण करके.... प्राण-प्रतिष्ठा करवा देने से ये दोष सदैव के लिऐ शान्त हो जाता है।

 

किसी सिद्ध और प्रसिद्ध शिवलिंग के नाप से ताँवे का सर्प प्राणप्रतिष्ठा करवा के ब्रह्ममुहूर्त में चुपचाप किसी को बिना बताऐ... शिवलिंग पर चढाने से भी काफी समय तक कालसर्प दोष का प्रभाव नहीं होता।।

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अगर कभी जाचक की लम्बाई बराबर का मृत साँप ... कभी मिल जाऐ तो .... घी और रक्त-चंदन से उसका दाह-संस्कार करके.... तीन दिन का सूतक मानें... और फिर वैदिक रीति से तेरवीं आदि पूरे मृत्यु-संस्कार करके..... सोने-चाँदी के नाग-नागिन पवित्र जल में मंत्र विधी से प्रवाहित कर दें तो कालसर्प दोष का असुभ प्रभाव नहीं होता।।

 

उचित मुहुर्त में उज्जैन या नाशिक में जाकर वैदिक-तंत्र विधी से... नागवली अनुष्ठान करवा के वहीं पर लघुरुद्र-अभिषेक करने से कालसर्प-दोष शान्त हो जाता है।।

 

 मोर या गरुड़ के चित्र पर "नाग-विषहरण" मंत्र लिखकर स्थापित करके उसी मंत्र का 18000 जाप करके... दशांश होम, तर्पण, मार्जन करके ब्राह्मणों को दूध से निर्मित भोजन कराकर उचित दक्षिणा देकर.... संतुष्ट करें..... तो कालसर्प का दोष शान्त हो जाता है।।

 

अपने घर में सही तंत्र विधी से अभिमंत्रत नाग-गरुड़ बूटी को स्थापित करके..... तथा इस बूटी का अभिमंत्रत टुकडा जाचक को ताबीज की तरह धारण कराने से भी.... कालसर्प दोष शान्त रहता है।

 

 कालसर्प लौकेट-

(गोमेद+लहसुनियां):- इन दोंनों रत्नों को सही पंचधातु में लौकेट बनवाकर .... राहु और केतु के मंत्रों का पूर्ण जाप तथा दशांश होम, तर्पण, मार्जन करके  अभिमंत्रत करके हृदय पर धारण करें।

 

यदि कालसर्प के साथ पित्र-दोष, पित्रश्राप, प्रेत-योगविष-योग, चंडाल-योग, अंगारक-योग या ग्रहण-योग आदि में से भी कोई योग बन रहे हों तो बहुत ही दुखदायी हो जाता है... तथा आत्यधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।

 

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