नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र और महत्व

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र और महत्व

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी कात्यायनी को शक्ति और साहस की देवी माना जाता है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी है, और इनकी पूजा करने से साधक को जीवन में साहस, बल, और हर प्रकार की नकारात्मकता से छुटकारा मिलता है। मां कात्यायनी की पूजा विशेषकर जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य, और हर प्रकार की समस्याओं के निवारण के लिए की जाती है। 

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नवरात्रि के छठे दिन क्या करना चाहिए? (Navratri Ke Chhathe Din Kya Karna Hoga)

1. स्नान और शुद्धिकरण: नवरात्रि के छठे दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और मां कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा की शुरुआत गणेश जी की आराधना से करें और फिर मां कात्यायनी का ध्यान करें।

2. व्रत और उपवास: इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। यदि आप व्रत नहीं रख सकते, तो फलाहार करें और सात्विक आहार ग्रहण करें। 

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3. मां का आवाहन: मां कात्यायनी का आवाहन करने के लिए धूप, दीप, और पीले फूलों का उपयोग करें। मां को पीले वस्त्र अर्पित करें और हल्दी का लेप भी चढ़ाएं।

4. भोग अर्पण: मां कात्यायनी को शहद, मिश्री, और हल्दी से बने प्रसाद का भोग लगाएं। इससे मां की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।

5. मंत्र जाप: मां कात्यायनी का विशेष मंत्र इस प्रकार है:

   ॐ देवी कात्यायन्यै नमः।

   इस मंत्र का जाप करते हुए मां की आराधना करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

6. आरती और प्रसाद: पूजा के बाद मां की आरती करें और प्रसाद वितरित करें। प्रसाद में पीले रंग की मिठाई जैसे बेसन के लड्डू अर्पित करना शुभ माना जाता है।

मां कात्यायनी का स्वरूप (Maa Katyayani Ka Swaroop)

मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और शक्तिशाली है। मां चार भुजाओं वाली हैं, और उनका वाहन सिंह है। उनके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल होता है, जो शक्ति और सौम्यता का प्रतीक है। मां का तीसरा नेत्र उनके ज्ञान और शक्ति का प्रतीक है। 

मां कात्यायनी का यह स्वरूप बुराई के नाश और सत्य की विजय का प्रतीक है। माता के तेजस्वी और शक्तिशाली रूप की पूजा करने से साधक को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। 

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मां कात्यायनी की पूजा विधि (Maa Katyayani Ki Puja Vidhi)

मां कात्यायनी की पूजा विधि अत्यंत सरल होती है, लेकिन इसे विधिपूर्वक करने से मां की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। यहां मां की पूजा करने के लिए कुछ सरल चरण बताए जा रहे हैं:

1. स्नान और शुद्धिकरण: प्रातः स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को स्वच्छ करें और मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

2. दीप जलाएं: मां की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें। मां को पीले फूल अर्पित करें, विशेषकर गेंदा का फूल शुभ माना जाता है।

3. मंत्र जाप: मां कात्यायनी का विशेष मंत्र है:

   ॐ कात्यायन्यै नमः।

   इस मंत्र का जाप करने से साधक के जीवन में हर प्रकार की नकारात्मकता समाप्त होती है।

4. फल, मिष्ठान्न और हल्दी: मां को पीले फलों, हल्दी, और शहद का भोग अर्पित करें। मां को हल्दी चढ़ाने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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5. आरती और स्तोत्र पाठ: मां की आरती करने के बाद स्तोत्र का पाठ करें, जो मां की महिमा और गुणों का वर्णन करता है।

6. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद सभी में वितरित करें और मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।

मां कात्यायनी का महत्व (Maa Katyayani Ka Mahatva)

मां कात्यायनी का महत्व विशेषकर साहस और शक्ति प्राप्त करने में है। उनकी पूजा करने से साधक के भीतर मानसिक और शारीरिक शक्ति का संचार होता है। वे हर प्रकार की बुराई और बाधा से लड़ने की शक्ति देती हैं। 

मां कात्यायनी की कृपा से साधक को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। चाहे वह व्यापार हो, करियर, स्वास्थ्य, या व्यक्तिगत जीवन, मां की कृपा से सभी प्रकार की समस्याओं का निवारण होता है। उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि और उन्नति होती है।

मां कात्यायनी की पौराणिक कथा (Maa Katyayani Ki Pauranik Katha)

मां कात्यायनी की पौराणिक कथा के अनुसार, देवी ने महर्षि कात्यायन के यहां जन्म लिया था, और उनके नाम पर इन्हें "कात्यायनी" कहा जाता है। महर्षि कात्यायन ने देवी से प्रार्थना की थी कि वे उनके घर जन्म लें और देवताओं की रक्षा करें। मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध कर देवताओं को मुक्ति दिलाई थी।

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि मां कात्यायनी अन्याय और अत्याचार का नाश करती हैं और सत्य की स्थापना करती हैं। मां की पूजा करने से साधक के जीवन में सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना होती है, और उसे हर प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

मां कात्यायनी की स्तुति (Maa Katyayani Ki Stuti)

मां कात्यायनी की स्तुति के लिए निम्नलिखित स्तोत्र का पाठ किया जाता है:

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।  

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

यह स्तोत्र मां की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है, और इसका पाठ साधक को मां की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।

मां कात्यायनी की पूजा के लाभ (Benefits Of Worshipping Maa Katyayani)

 स्वास्थ्य: मां कात्यायनी की पूजा से साधक को उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। जो लोग बीमारियों से पीड़ित होते हैं, उन्हें मां की कृपा से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

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 धन और समृद्धि: मां कात्यायनी की कृपा से साधक के जीवन में धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

  

 व्यापार और करियर: जो लोग व्यापार या नौकरी में उन्नति चाहते हैं, उन्हें मां की कृपा से सफलता प्राप्त होती है।

 वैवाहिक जीवन: मां कात्यायनी की पूजा से वैवाहिक जीवन में प्रेम, शांति और सामंजस्य बढ़ता है।

 शिक्षा: विद्यार्थियों के लिए मां की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है। इससे बुद्धि का विकास होता है और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।

 रिश्ते और मित्रता: मां की कृपा से संबंधों में मिठास आती है, और जीवन में अच्छे मित्रों का साथ मिलता है।

मां कात्यायनी की पूजा से साधक को जीवन में हर प्रकार की सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। उनके आशीर्वाद से साधक का जीवन सुख-समृद्धि और शांति से परिपूर्ण हो जाता है, और हर प्रकार की बाधाओं और संकटों से छुटकारा मिलता है।