शादी में देरी के कई कारण हो सकते हैं, और ये केवल सामाजिक या व्यक्तिगत नहीं होते, बल्कि ज्योतिषीय कारण भी होते हैं। कभीभी सही समय पर उपयुक्त जीवनसाथी न मिलने या कुछ रुकावटों की वजह से शादी में देरी होती है। ज्योतिष में यह माना जाता है कि कुंडली के सातवें भाव (सप्तम भाव) और उस पर बैठे ग्रहों की स्थिति से विवाह में देरी के कारणों का पता लगाया जा सकता है।
सप्तम भाव और शादी
सप्तम भाव विवाह, जीवनसाथी और साझेदारी का भाव है। यह बताता है कि व्यक्ति की शादी कब और किस तरह होगी। अगर इस भाव में शुभ ग्रह (शुक्र, बुध, गुरु, चंद्रमा) होते हैं तो शादी जल्दी होती है, लेकिन अगर अशुभ ग्रह (राहु, मंगल, शनि, सूर्य) इस भाव से संबंधित हों तो विवाह में देरी होती है।
20 से 25 वर्ष की उम्र में शादी
यदि बुध सप्तम भाव में हो, तो विवाह जल्दी होने के संकेत मिलते हैं। बुध का प्रभाव होने पर शादी 20 से 21 साल की उम्र में हो सकती है। अगर बुध के साथ सूर्य भी हो, तो शादी में दो साल की देरी हो सकती है, यानी विवाह 22 से 23 साल की उम्र में होगा। इस प्रकार 20 से 25 साल की उम्र के भीतर शादी का योग बनता है।
25 से 27 वर्ष की उम्र में शादी
अगर शुक्र, गुरु या चंद्रमा सप्तम भाव में हों, तो शादी 24 से 25 वर्ष की उम्र में होने के प्रबल संकेत होते हैं।
यदि गुरु सप्तम भाव में है और उस पर सूर्य या मंगल का प्रभाव हो, तो एक साल की देरी हो सकती है।
राहु या शनि का प्रभाव होने पर शादी में 2 साल की देरी होती है, यानी विवाह 27 साल की उम्र में होता है।
शुक्र पर अगर मंगल या सूर्य का प्रभाव हो, तो शादी में 2 साल की देरी हो सकती है। अगर शुक्र पर शनि का प्रभाव हो, तो 26 साल की उम्र में और अगर राहु का प्रभाव हो, तो 27 साल की उम्र में शादी होगी।
28 से 32 वर्ष की उम्र में शादी
मंगल, राहु, या केतु सप्तम भाव में होने पर विवाह में और भी ज्यादा देरी हो सकती है।
मंगल सप्तम भाव में हो, तो 27 साल से पहले शादी के योग नहीं बनते।
राहु के प्रभाव में शादी में रुकावटें आती हैं, और विवाह तय होने के बावजूद रिश्ता टूट सकता है।
केतु सप्तम भाव में होने पर गुप्त शत्रुओं के कारण शादी में अड़चनें आती हैं।
शनि सप्तम भाव में हो, तो जीवनसाथी समझदार और वफादार होता है, लेकिन शादी में देरी होती है। अधिकतर मामलों में शनि के प्रभाव से 30 साल की उम्र के बाद ही शादी होती है।
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32 से 40 वर्ष की उम्र में शादी
शादी में इतनी देर तब होती है जब एक से अधिक अशुभ ग्रहों का सप्तम भाव पर प्रभाव होता है।
शनि, मंगल, राहु, सूर्य जैसे ग्रह अगर एक साथ सप्तम या अष्टम भाव में हों, तो विवाह में काफी देरी हो सकती है।
इन ग्रहों का सप्तम भाव में होना शादी में देरी का मुख्य कारण होता है, लेकिन साथ ही ग्रहों की स्थिति, राशि, और अन्य पहलुओं का भी ध्यान रखना जरूरी होता है।
विवाह में देरी के ज्योतिषीय कारणों का विश्लेषण कर, उन रुकावटों को समझा जा सकता है। ये नियम सामान्य रूप से लागू होते हैं, लेकिन कुंडली का सूक्ष्म अध्ययन जरूरी होता है। ग्रहों की स्थिति के अनुसार सही समय पर उपाय करने से शादी में हो रही देरी को कम किया जा सकता है और जीवनसाथी से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
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