know about me

Jai Mata Di I am Astro Himanshu Bhardwaj, son of Shri Astro Rajesh Bhardwaj, a young astrologer in the world of astrology.
I belong to a Brahmin family, hence since childhood I have had a distinct interest in astrology and our religious scriptures and the Vedas. 
I got the company of my father and my guru Astro Rajesh Sharma ji right from my childhood and due to this, 
my interest in astrology was awakened and I received education from him only.
In today's world, where many people say that things like astrology or astrology are superstitions, 
I believe that scientific evidence of all these things is available in our religion and we should unite and support this golden age of our religion, 
Sanatan and astrology. History should be taken forward and awareness should be spread among the people.
Through my studies and knowledge acquired over many years, I want to awaken the coming generation and always dedicate myself for the welfare of humanity.
Today, through ALLSO, I have got such an opportunity that today I am in front of you all and am present to help you all.

Read More
Contact Our Expert Astrologers

+ (91) 892058****

read more

Why Choose Us

We Provide to You Best Pridication for Your Life for live Easier And Happy...

00+

Live Chat

00+

Video Call

362+

Total Visitors

Awards & Achivement

" An Award Recognizing Your Talent Is An Honor. That Matters A Lot To Me. My Biggest
Achievement More Than Any Award Is Contributing A Knowledge To Others. "

Miral Foundation

Ahmedabad

Astrological Software Training Course

Online

BBrij Future Point

Delhi

ALLSO.IN

Online

Allso Brand Ambassador of City

Delhi

Allso Jyotishi Maharathi samman

Delhi

Inquiry Now

Fill Form And Contact Us For Get Your Best Predication

  • Name

  • Email

  • mobile number

  • Message

our services

" Get A Consultation Call With Some Of The Best Astrologers In The Country Who Have Resolved Thousands Of Problems And Changed
The Lives Of Everyone They Have Talked To. A Call That Can Change You Life, Forever. "

Astrology Consultancy Charges

Book My Appointment

read more

1100
Consulting Charge

Motivational Video Call Session For 30 Mins. Consultancy Charges

Book My Aapointment

read more

1100
Consulting Charge

What Our Customers Say

Here You Can Get Astrolgers Best Reviews, And You Can Give A Review To The Astrologers.."

Astro News

ALLSO Providing Astro News For All Occult Services

astro news 2024-11-12

राशियों के अनुसार देवप्रबोधिनी एकादशी का विशेष प्रभाव

astro news 2024-11-11

The Chariot Tarot Card Meaning: An In-Depth Exploration by Purvi Rawal

astro news 2024-11-11

कुंडली में सरस्वती योग ज्योतिष शास्त्र में महत्व और लाभ

astro news 2024-11-11

महालक्ष्मी योग: ज्योतिष में विशेष लाभ और महत्व

Our Latest Blog

Here You Can Read Blogs Related Astrology, vastushastri , Zodic, Numberology etc.

My video

" Here You Can See Honoreable Astrologers Gallary..."

My Latest Products

Here You Can Buy Astrology,vastushastri products for your life happy

Parad Shivling

Parad Shivling

₹1900
₹ 0
Rudraksha Mala with Gomukhi

Rudraksha Mala with Gomukhi

₹351
₹ 0
Parad Shivling With Tray

Parad Shivling With Tray

₹951
₹ 0
Black Hakik Mala

Black Hakik Mala

₹351
₹ 0

Pooja

" Here You Can Get All Pooja Which Is Done By Astrolgers
To Know More About All Pooja's Click View More Button.."

Daily Planetary Overview

Here You Can See Daily Updates For Any Event, Astrology, Your Life

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महालक्ष्मी और सरस्वती योग

महालक्ष्मी योग वैदिक ज्योतिष में धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति का प्रतीक है। यह योग विशेष रूप से उन लोगों की कुंडली में देखने को मिलता है, जिनके भाग्य में अत्यधिक संपत्ति, ऐश्वर्य, और भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति का संकेत होता है। महालक्ष्मी योग का निर्माण तब होता है, जब कुंडली के द्वितीय भाव का स्वामी बृहस्पति, जो धन और ज्ञान का कारक है, एकादश भाव (लाभ स्थान) में बैठता है और अपनी दृष्टि से पुनः द्वितीय भाव को देखता है। यह योग जातक को अपार धन, समाज में प्रतिष्ठा और सफलता प्रदान करता है।

महालक्ष्मी योग के लाभ और विशेषताएं:

अत्यधिक धन संपदा की प्राप्ति: इस योग के प्रभाव से जातक को धन, संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति होती है, जिससे उनका आर्थिक जीवन स्थिर और समृद्ध रहता है।

व्यापार और करियर में उन्नति: महालक्ष्मी योग व्यापारियों, उद्योगपतियों और व्यवसाय में लगे लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है, क्योंकि इससे लाभ के अवसर बढ़ते हैं और सफलता में निरंतर वृद्धि होती है।

भौतिक सुख-सुविधाएं: इस योग के प्रभाव से जातक को विलासितापूर्ण जीवन और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं, जिनमें घर, वाहन और उच्च जीवनस्तर शामिल हैं।

प्रतिष्ठा और सामाजिक सम्मान: इस योग का प्रभाव जातक को समाज में मान-सम्मान और उच्च प्रतिष्ठा दिलाता है,

और वे अपने ज्ञान व समृद्धि के लिए प्रसिद्ध होते हैं।

आध्यात्मिक संतुलन: महालक्ष्मी योग के कारण जातक का जीवन धन और संपत्ति के साथ-साथ आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखने में भी समर्थ रहता है।

सरस्वती योग: विशेष लाभ और महत्व

सरस्वती योग विद्या और कला के क्षेत्र में उन्नति का योग है, जो ज्ञान, संगीत, लेखन, और रचनात्मकता के क्षेत्र में अपार सफलता का कारक है। इस योग का निर्माण तब होता है जब शुक्र, बृहस्पति, और बुध एक साथ हों या केंद्र भाव में एक-दूसरे से संबंध बनाएँ। युति या दृष्टि के माध्यम से किसी भी प्रकार का संबंध बनाकर यह योग जातक की कुंडली में विद्यमान हो सकता है। इस योग वाले व्यक्ति पर विद्या की देवी मां सरस्वती की विशेष कृपा रहती है।

सरस्वती योग के लाभ और विशेषताएं:

विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: सरस्वती योग के प्रभाव से जातक विद्या, ज्ञान और कला में उत्कृष्टता प्राप्त करता है। वे विद्या और शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करते हैं।

कला और संगीत में प्रवीणता: इस योग का प्रभाव व्यक्ति को कला, संगीत और रचनात्मकता में सफलता की ओर प्रेरित करता है,

जिससे वे इन क्षेत्रों में सम्मान और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।

रचनात्मक लेखन और साहित्य में उन्नति: सरस्वती योग साहित्य और लेखन के क्षेत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए अत्यधिक लाभकारी है, जिससे उन्हें रचनात्मकता और नवीनता में बढ़ावा मिलता है।

बौद्धिक विकास और मान्यता: इस योग के प्रभाव से जातक को समाज में ज्ञान के कारण सम्मान प्राप्त होता है, और उनकी बौद्धिक क्षमता की प्रशंसा होती है।

प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता: इस योग का प्रभाव छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने वालों के लिए भी लाभकारी होता है,

जिससे उन्हें शिक्षा में उत्कृष्टता और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त होती है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महालक्ष्मी और सरस्वती योग

इन दोनों योगों का निर्माण जातक की कुंडली में एक अनूठा प्रभाव डालता है।

महालक्ष्मी योग जहां भौतिक सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति कराता है, वहीं सरस्वती योग व्यक्ति को मानसिक और बौद्धिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।

इन योगों के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में संपूर्ण संतुलन प्राप्त कर सकता है, जोकि अत्यधिक धन, शिक्षा, और आंतरिक संतोष का प्रतीक होता है।

View More

सफला एकादशी (पौष कृष्ण एकादशी) का महत्व: व्रत के लाभ और विशेषताएं

सफला एकादशी हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी और कल्याणकारी मानी जाती है। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे पौष मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से जीवन के समस्त पापों का नाश होता है, और व्यक्ति को पुण्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। सफला एकादशी व्रत रखने से भक्तों को मानसिक शांति, आंतरिक संतुलन, और भौतिक समृद्धि मिलती है।

व्रत की विशेषताएं और लाभ:

  1. पापों का नाश: सफला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं, और जीवन में शांति और सौभाग्य का वास होता है।
  2. सफलता का प्रतीक: इसे जीवन में सफलता की प्राप्ति का मार्ग माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते हैं।
  3. धन और समृद्धि: सफला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से आर्थिक समृद्धि और जीवन में स्थायित्व का अनुभव होता है।
  4. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: व्रत करने से शरीर और मन को शुद्धि मिलती है, जिससे मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि होती है।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: सफला एकादशी का व्रत करने से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव होता है और भगवान विष्णु की अनुकम्पा प्राप्त होती है।

इस दिन भगवान विष्णु की आराधना, ध्यान और कथा का श्रवण करना बहुत ही शुभ माना गया है, जो जीवन में हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

View More

पौष पुत्रदा एकादशी (पौष शुक्ल एकादशी) का महत्व

पुत्रदा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष रूप से संतान प्राप्ति और संतान के कल्याण के लिए किया जाता है। इस एकादशी का उल्लेख कई धार्मिक ग्रंथों में है, और इसे संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। वर्ष में दो बार पुत्रदा एकादशी आती है—पहली श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को और दूसरी पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को। दोनों ही एकादशियों का महत्व समान रूप से माना गया है, लेकिन पौष पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व संतान की प्राप्ति के लिए माना गया है।

पौराणिक कथा और उत्पत्ति

पुत्रदा एकादशी के संबंध में कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा का वर्णन पद्म पुराण में मिलता है। कथा के अनुसार, महिष्मती नगरी में सुकेतुमान नामक एक राजा राज्य करता था। राजा और उनकी रानी शैव्या की कोई संतान नहीं थी, जिस कारण वे दोनों अत्यंत दुखी रहते थे। संतानहीनता के कारण राजा और रानी के मन में हमेशा निराशा और दुख बना रहता था, क्योंकि उनके बाद राज्य को संभालने वाला कोई नहीं था।

एक दिन राजा सुकेतुमान अपने वनवास के दौरान गहन सोच में डूबे हुए थे और तभी उन्हें एक आश्रम के निकट कुछ ऋषि-मुनि दिखाई दिए। राजा ने उन ऋषियों से संतान सुख की प्राप्ति का उपाय पूछा। ऋषियों ने राजा को पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया और बताया कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होगी। राजा ने व्रत का पालन किया और उनकी पत्नी रानी शैव्या ने भी पूरी श्रद्धा के साथ यह व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उन्हें एक योग्य पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसने आगे चलकर राज्य की बागडोर संभाली।

पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि

पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यंत पवित्र और नियमों का पालन करते हुए किया जाना चाहिए। इस व्रत को विधि-विधान से करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है। व्रत की प्रारंभिक प्रक्रिया में एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि से ही सात्विक भोजन ग्रहण करने का नियम है। दशमी के दिन तामसिक भोजन और व्रत भंग करने वाले किसी भी कार्य से बचना चाहिए, ताकि एकादशी का व्रत पूर्णता और पवित्रता के साथ किया जा सके।

व्रत विधि में प्रमुख चरण:

  1. प्रातः स्नान और संकल्प: व्रत के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए संतान प्राप्ति की कामना से व्रत का संकल्प लें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए उनकी प्रतिमा या चित्र के समक्ष व्रत का संकल्प लें।

  2. भगवान विष्णु की पूजा: पूजा में भगवान विष्णु को तिल, फूल, तुलसी पत्र, और धूप-दीप अर्पित करें। इसके साथ ही भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। पुत्रदा एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी अत्यंत शुभ माना गया है।

  3. एकादशी कथा का पाठ: व्रत के दौरान पुत्रदा एकादशी की कथा का श्रवण या पाठ करना अनिवार्य है। कथा सुनने से व्रत का फल प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

  4. रात्रि जागरण और कीर्तन: इस व्रत में रात्रि जागरण और भगवान के भजनों का कीर्तन करने का महत्व है। जागरण करने से व्रत का पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है। भक्तों के लिए यह एक ऐसा अवसर होता है, जिसमें वे भगवान के प्रति अपनी पूर्ण भक्ति को अर्पित करते हैं।

  5. द्वादशी के दिन पारण: एकादशी के उपवास का समापन द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है। इस दिन ब्राह्मण भोजन और दान का महत्व होता है। संभव हो तो अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें, और इस तरह व्रत का समापन करें।

व्रत के लाभ और महत्व

पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसके अतिरिक्त इस व्रत से प्राप्त होने वाले अन्य लाभ इस प्रकार हैं:

  • संतान सुख: इस व्रत को करने से दंपति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है, जिन्हें संतान प्राप्ति में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

  • संतान की दीर्घायु और कल्याण: केवल संतान प्राप्ति ही नहीं, बल्कि इस व्रत का लाभ संतान की दीर्घायु और कल्याण के रूप में भी प्राप्त होता है।

  • सुख-समृद्धि और पारिवारिक शांति: पुत्रदा एकादशी व्रत से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।

  • पापों का नाश: एकादशी व्रत का पालन पापों के नाश के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। इसके द्वारा व्यक्ति के पिछले कर्मों के पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

  • भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति: व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं को दूर कर सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।

आध्यात्मिक महत्व

पुत्रदा एकादशी केवल भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए ही नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी की जाती है। इस व्रत में उपवास और ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपने मन को शुद्ध कर भगवान के निकट जाता है। यह एक ऐसा अवसर है, जिसमें भक्त अपनी इच्छाओं और वासनाओं पर नियंत्रण करते हुए आत्म-शुद्धि का मार्ग अपनाते हैं।

View More

षटतिला एकादशी (माघ कृष्ण एकादशी) का महत्व और व्रत के लाभ

षटतिला एकादशी, जो माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पुण्यकारी और विशेष व्रत माना जाता है। यह एकादशी तिल के महत्व को समर्पित है, और इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस व्रत में तिल का विशेष स्थान है। इस दिन तिल का दान, तिल से स्नान, तिल से आहार, तिल का उपयोग हवन में, तिल का उबटन और तिल के तेल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए इस व्रत का नाम "षटतिला" पड़ा है, जिसमें "षट" का अर्थ है "छह" और "तिला" का अर्थ "तिल" है।

षटतिला एकादशी व्रत का महत्व

षटतिला एकादशी का व्रत भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि की ओर ले जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाला और शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं, और उसे मोक्ष प्राप्ति की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का अवसर मिलता है। तिल का उपयोग इस एकादशी पर अनिवार्य है, क्योंकि तिल का धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्व है। यह एकादशी ठंड के मौसम में आती है और तिल का सेवन तथा दान स्वास्थ्य और पवित्रता दोनों के लिए लाभकारी माना जाता है।

व्रत की विधि

षटतिला एकादशी का व्रत संकल्प और शुद्धता के साथ करना आवश्यक होता है। इस दिन प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूजा में तिल का प्रयोग करना अनिवार्य माना गया है। भगवान को तिल से बने प्रसाद अर्पित करने के साथ ही तिल का दान किया जाता है। रात्रि को जागरण और भजन-कीर्तन करने का भी विशेष महत्व है।

व्रत के दौरान तिल के छह प्रकार के प्रयोग अनिवार्य हैं:

  1. तिल का उबटन: व्रती को तिल का उबटन करके स्नान करना चाहिए।
  2. तिल का आहार: इस दिन तिल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  3. तिल का हवन: पूजा में तिल का हवन करने से व्रत का फल और भी अधिक बढ़ जाता है।
  4. तिल से स्नान: पानी में तिल डालकर स्नान करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है।
  5. तिल का दान: तिल के तेल, तिल के लड्डू या तिल के अन्य रूपों का दान अत्यंत फलदायी माना जाता है।
  6. तिल के दीपक: इस दिन तिल के तेल से दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

व्रत के लाभ

षटतिला एकादशी का व्रत अनेक लाभ प्रदान करता है, जो इस प्रकार हैं:

  1. पापों का नाश: षटतिला एकादशी के व्रत से व्यक्ति के पूर्व जन्म के सभी पापों का नाश होता है। तिल का दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है जो व्यक्ति को पापों से मुक्त करता है।

  2. शारीरिक और मानसिक शुद्धि: इस व्रत में तिल के स्नान और आहार का विशेष महत्व है, जो शरीर को शुद्ध करने के साथ ही मन को भी शांत करता है।

  3. सुख-समृद्धि: इस दिन तिल का दान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। व्रती को धन, अन्न और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, जिससे घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है।

  4. पुण्य का संचय: षटतिला एकादशी के दिन तिल के दान और उपवास का पुण्य अगले कई जन्मों तक प्राप्त होता है। इस व्रत का पुण्य अन्य एकादशियों की तुलना में अधिक माना गया है।

  5. आध्यात्मिक उन्नति: यह व्रत व्यक्ति को आत्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में ले जाता है। भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा बढ़ती है, और जीवन में धर्म और भक्ति की ओर झुकाव होता है।

  6. स्वास्थ्य लाभ: माघ के महीने में तिल का सेवन करने से शरीर को ठंड से सुरक्षा मिलती है। तिल में औषधीय गुण होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और सर्दियों में स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं।

षटतिला एकादशी की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है कि एक गरीब ब्राह्मण महिला भूखी-प्यासी रहती थी और उसे भोजन-पानी का अभाव था। हालांकि, उसने अपने जीवन में कभी भी दान नहीं किया था। एक दिन भगवान विष्णु ने ब्राह्मण महिला की भक्ति और उसकी कठिनाइयों को देखते हुए उसे स्वप्न में दर्शन दिए और तिल का दान करने का सुझाव दिया। उसने भगवान के निर्देशानुसार तिल का दान किया और धीरे-धीरे उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास हुआ। इस प्रकार तिल का दान करने से उसकी दरिद्रता समाप्त हुई। इस कथा से पता चलता है कि तिल का दान किस प्रकार व्यक्ति को पुण्य और समृद्धि का आशीर्वाद देता है।

View More

जया एकादशी (माघ शुक्ल एकादशी) का महत्व और व्रत के लाभ

जया एकादशी, माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है, जिसे विशेष रूप से विजय और आत्म-संयम का प्रतीक माना जाता है। यह एकादशी जीवन में आने वाली बाधाओं और संघर्षों से उबरने के लिए भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जो अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उन्हें सफलता, समृद्धि और आंतरिक शक्ति प्रदान करते हैं। जया एकादशी का व्रत हर व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और विजय की प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

जया एकादशी का महत्व:

जया एकादशी का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि व्यक्तिगत विकास और मानसिक शांति के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए होता है, जो किसी कठिनाई या संकट से गुजर रहे हैं। इस दिन उपवास और पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है। जया एकादशी को एक ऐसी तिथि माना जाता है, जब श्रद्धालु अपने पापों से मुक्त हो सकते हैं और भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि विष्णु भगवान ही जीवन के सभी संघर्षों और कठिनाइयों से उबरने में मदद करते हैं। इस दिन उपवास करने से मानसिक शांति, आंतरिक संतुलन और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसके साथ ही, भक्तों को शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्तर पर ताकत मिलती है, जिससे वे जीवन की कठिन परिस्थितियों से आसानी से जूझ सकते हैं।

व्रत की विधि:

जया एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के साथ प्रारंभ किया जाता है। व्रती को इस दिन उपवास रखना चाहिए और विशुद्ध आहार से भगवान की पूजा करनी चाहिए। पूजा में विशेष रूप से श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, व्रत की कथा सुनना, और भगवान के चरणों में दीप जलाना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन रात को जागरण करना और भजन-कीर्तन करना भी महत्वपूर्ण होता है, जिससे भक्त भगवान के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को प्रकट कर सकें।

व्रती को विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन कोई भी निंदनीय या अशुभ कार्य न करें। इस दिन किसी भी प्रकार के मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। ताजे फल, सब्जियां और दूध से बने पदार्थों का सेवन करना सबसे उत्तम रहता है।

व्रत के लाभ:

  1. विजय की प्राप्ति: इस व्रत का प्रमुख लाभ यह है कि यह विजय और सफलता का प्रतीक है। जया एकादशी का व्रत करने से जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान मिलता है, और व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।

  2. आध्यात्मिक उन्नति: जया एकादशी का व्रत करने से आत्म-संयम और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। यह व्रत व्यक्ति को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी उन्नति प्रदान करता है।

  3. पापों का नाश: जया एकादशी के व्रत से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से विशेष रूप से पापों का क्षय होता है और व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है।

  4. सकारात्मकता और मानसिक शांति: इस दिन उपवास और पूजा से मानसिक शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है। यह व्रत मन को शुद्ध करता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

  5. संघर्षों से मुक्ति: जया एकादशी का व्रत उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी है जो किसी न किसी संघर्ष या परेशानी का सामना कर रहे हैं। यह व्रत उन्हें उभरने की शक्ति और साहस प्रदान करता है, जिससे वे अपने जीवन की कठिनाइयों से बाहर निकल सकते हैं।

  6. समृद्धि और सुख: इस व्रत को करने से जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की कृपा से घर में शांति और सुख-समृद्धि का वास होता है।

जया एकादशी की कथा:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय की बात है कि एक राजा ने जया एकादशी का व्रत किया था। वह राजा बहुत ही दयालु और धर्मनिष्ठ था, लेकिन फिर भी उसे अपने राज्य में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। उसने भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए जया एकादशी का व्रत किया। व्रत के बाद राजा की सभी समस्याएं हल हो गईं, और उसके राज्य में सुख-शांति का वास हुआ। यह कथा यह बताती है कि जया एकादशी का व्रत जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा दिलाता है और विजय की प्राप्ति कराता है।

View More