
वैवाहिक कुंडली मिलान के आवश्यकता :- (सुखमय वैवाहिक जीवन का आधार )
वैवाहिक कुंडली मिलान के आवश्यकता :- (सुखमय वैवाहिक जीवन का आधार ) विवाह हेतु वर और वधू की जन्म कुंडली मिलान में देखी जाने वाली अत्यंत आवश्यक बातें :--
यदि आप अपने पुत्र अथवा पुत्री के विवाह के लिए वधु या वर की तलाश कर रहें है तो वर/ वधु की कुंडली में कुछ आवश्यक बातें हैं जो किसी अच्छे ज्योतिषी को ध्यान से अवश्य ही दिखा लें।
हिन्दू समाज मे विवाह के आवश्यक मापदण्डों में सुखी वैवाहिक जीवन के लिए वर - वधू की कुण्डली का मिलान सुखी तथा सामंजस्य पूर्ण वैवाहिक जीवन का आधार माना जाता है ।
परम्परागत ज्योतिष में वर तथा वधू के चंद्र नक्षत्र के आधार पर गुण तथा दोषों का मिलान किया जाता है। best astrologer website :- https://allso.in/
जिसके आधार पर उनके सम्पूर्ण जीवन के सुख तथा सामंजस्य को समझा जाता है जिसे अष्टकूट मिलान कहते है। best matrimonial website :- https://vivahallso.com/
लेकिन क्या ये अष्टकूट गुण मिलान ही एक परिपूर्ण गुण मिलान है।
जो व्यवहारिक और वैज्ञानिक आधार पर वैवाहिक सुख , सामंजस्य , तथा सम्पूर्ण वैवाहिक जीवन का आधार प्रस्तुत करता है। best astrologer website :- https://allso.in/
ये फैसला आपको ही को करना है क्यों कि जीवन आपकी सन्तान के भविष्य का जो है।
आपकी थोड़ी सी लापरवाही अथवा जल्दबाजी आपकी सन्तान के वैवाहिक जीवन को तकलीफदेय तथा कष्टकारी बना सकती हैं।
विवाह पूर्व वर अथवा वधू की जन्म कुंडली में देखी जाने वाली आवश्यक बाते जो अत्यंत ही आवश्यक रूप से देखी जानी चाहिए।
आप अपने पुत्र अथवा पुत्री का विवाह जिनके साथ कर रहे है उनकी जन्म पत्रिका में निम्न बातों की आवश्यक रूप से जांच करा लें।
(01.) आयु (Age) :-
- भारतीय समाज में वैवाहिक जीवन मे सबसे अधिक आवश्यक है वर अथवा कन्या की आयु पूर्ण होनी चाहिए।
भारतीय ज्योतिष पद्धति "जैमिनी ज्योतिष" के अंर्तगत जातक की आयु ज्ञात करने के सटीक सूत्र है जिससे हम व्यक्ति की सही आयु का अनुमान लगा सकते है।
नाड़ी ज्योतिष में सही और सटीक आयु निकालने की बहुत ही विश्वस्त प्रक्रिया होती है जिसमे हम व्यक्ति की आयु की सही सही गणना कर सकते है।
(02.) स्वास्थ्य (Health) :-
आप अपने बच्चों के विवाह हेतु जिस वर या कन्या का चुनाव आप कर रहे है उसका स्वास्थ्यअच्छा होना चाहिए कहीं जन्म कुंडली में कोई दीर्घकालीन बीमारी अथवा स्थाई रोग या बार बार रोगी होने के सयोंग न हों।
जन्म कुंडली मे कुछ विशेष सयोंग होते है जो जातक के स्वास्थ्य के बारे में बताते है। षटम भाव से सामान्य बीमारी का अष्टम भाव से स्थाई अथवा दीर्घकालीन बीमारी तथा सर्जरी का तथा द्वादश भाव से अस्पताल को बताता है। इन भावों का विशेष रूप से ग्रहो तथा अन्य भावों से सम्बन्ध रोग तथा रोग के प्रकारों के साथ दुर्घटना की भी पुष्टि करते है। जन्म कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों के विशेष भावों से सम्बन्ध होना बार बार दुर्घटना होना , दुर्घटना में घायल होना , अंग भंग होना जैसे घटनाओं की पुष्टि करते है।
(03.) स्वभाव तथा प्रकृति ( Nature) :-
आपकी सन्तान को जिसके साथ जीवन पर्यंत रहना है आवश्यक रूप से ये देखना बहुत ही जरूरी है कि उसका स्वभाव और प्रकृति कैसे है।
आधुनिक ज्योतिष में हम जन्म कुंडली के विशेष दृष्टिकोणों से विश्लेषण के द्वारा व्यक्ति के स्वभाव , प्रकृति तथा आदतों को बहुत ही स्पष्ट रूप से देख सकते है।
(A) आक्रामक स्वभाव ( Aggressive Nature):
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अष्टम भाव तथा द्वादश भाव का सम्बन्ध जब विशेष ग्रहो के साथ विशेष भावों से होता है तो व्यक्ति का स्वभाव आक्रामक होता है।
जब इसमे मंगल तथा प्लूटो भी विशेष सयोंगों के साथ सम्मलित हो जाते हैं तो जातक आक्रामक रूप से अनियंत्रित स्वभाव का हो जाता है जातक द्वारा साथी को मारना ,पीटना , हिंसक रूप से शारीरिक यातना देना जैसी प्रवृति उसके स्वभाव का हिस्सा हो जाती है।
जब मंगल तथा प्लूटो की विशेष स्थितियों के साथ अधिकांश ग्रह जन्म कुंडली मे इस प्रकार का सयोंग बताते है तो जातक हत्या करने जैसे कदम भी उठा लेता है।
(B.) भावुकता तथा तनाव (Depression And Sentimental)
सामान्यतः यदि लग्न में जलतत्व राशि हो और जलतत्व ही ग्रह बैठा हो तो व्यक्ति भावुक होता है मुख्यतः जब कर्क लग्न में ये स्थिति हो तो ये व्यक्ति को अधिक भावुक बना देती है। jani ye match making
यदि लग्नेश या किसी भी लग्न में प्रथम भाव में बैठे ग्रह जब जन्म कुंडली के अन्य विशेष भावों के सयोंग के साथ त्रिक भावों से भी सम्बन्ध बनाते है तो व्यक्ति भावुक होने के साथ कई मानसिक परेशानियों का भी शीघ्र शिकार होता है।
जब अधिकांश ग्रह इस प्रकार के सयोंग में सम्मिलित हो जाते है तो व्यक्ति तनाव , मानसिक व्याकुलता , अत्यधिक भावुकता स्वरूप जीवन यापन करता है तथा जीवन की छोटी छोटी परेशानियों से हताश हो जाना , नकारात्मक विचारधारा और शक्की स्वभाव का शिकार होता है।
कुछ अतिरिक्त सयोंग हो हों तो ये स्थिति बहुत ही नाजुक हो जाती है तथा वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर देती है।
(04.) चरित्र (Character)
द्वादश भाव से कुछ विशेष भावों तथा ग्रहों के सयोंग व्यक्ति को परपुरुष/परस्त्रीगामी बनाते है इस स्थिति में कुछ विशेष ग्रहों का सयोंग व्यक्ति को होना बताता है।
कुछ विशेष भाव भी इस स्थिति में सहयोगी हों जायें तो ये सम्बन्ध लम्बे समय से दुनिया और परिवार से छिपे रह सकते है।
लेकिन जब ये स्थितियाँ दुनियाँ और परिवार के सामने आती है तो जीवन की गाड़ी तहस नहस हो जाती है।
ध्यान रखने की बातें है कि ये सभी स्थितियाँ बहुत ही सूक्ष्म विश्लेषण से देखी जाती है। कोई एक दो ग्रह का किसी भाव मे स्थित होना या सम्बंधित होना कभी कोई परिणाम नहीं बताता। apne bacho ka vavhahic jivan ka bare may janiye
कुण्डली मिलान //Horoscope Matching (सुखमय वैवाहिक जीवन का आधार )
जन्म कुंडली मिलान मे देखी जाने वाली आवश्यक बातें
(5) कुंडली मिलाप में विवाह-विच्छेद की स्थितियां देखना आवश्यक है।
(6) कुंडली मिलाप में सन्तानोत्पात्ति क्षमता देखना आवश्यक है।
(7) कुंडली मिलाप में रोजगार अथवा आय की स्थिति देखना आवश्यक है।
(8) कुंडली मिलाप में प्रेम सम्बन्ध ,अनेक विवाह की स्थितियां देखना आवश्यक है।
(9) कुंडली मिलाप में यौन विकृति , यौन उत्पीड़न , समलैंगिगता जैसी स्थितियाँ देखना आवश्यक है janiye jaruri bate shadi ka bare may
(10) कुंडली मिलाप में १८ से ज्यादा गुण होना आवश्यक है।
(11) कुंडली मिलाप के समय नक्षत्र मिलाप करना आवश्यक है।
(12) कुंडली मिलाप में भिन्न नाड़ी होना आवश्यक है ।
(13) कुंडली मिलाप में गण दोष का भी महत्त्व बताया हुआ है। ।
(14) कुंडली मिलाप के समय यदि वर और वधु की कुंडली मांगलिक है तो सामने कोई भी पाप ग्रह होना जरुरी है जैसे की प्रथम,चतुर्थ,सप्तम,अष्टम और द्वादश भाव में मंगल की जगह पर शनि सूर्य और राहु की स्तिथि होती है तो मांगलिक दोष दूर होता है।
(15) कुंडली मिलाप के समय यदि वर और वधु की कुंडली में दोनों में से एक की कुंडली में यदि मंगल है और यदि वो मंगल स्वगृही राशि या ऊंच और नीच राशि का गुरु की युति में और मिथुन कन्या और कुम्भ का यदि मंगल है तो वह मंगल विवाह जीवन के लिए निर्दोष माना गया है।
(16) कुंडली मिलाप के समय यदि वर और वधु की कुंडली में लग्नेश पंचमेश सप्तमेश और भाग्येश सुबह होना बहुत ही आवश्यक है।
(17) कुंडली मिलाप के समय यदि वर और वधु की कुंडली में जन्म कुंडली के आधार से कुंडली मिलाप बहुत ही अच्छा है फिर भी नवमांश कुंडली अच्छी होनी आवश्यक है।
जन्म कुंडली जीवन का स्कैन है जिसमे सभी अच्छे या बुरी स्थितियों को देखा जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र का सर्वोत्तम व्यवहारिक उपयोग यही है कि हम आज ..! आने वाले कल के लिए जीवन का बेहतरीन प्रबन्धन (management) कर सकें।
कुछ आसान , आवश्यक और सही समय पर किये गए सही उपाय , कुछ जन्म पत्रिका के अनुसार सकारात्मक ग्रहों का सहयोग तथा सही मार्ग का चयन और सही दिशा में किया गया परिश्रम।