वैदिक ज्योतिष के अनुसार 12 राशियों और 9 ग्रहों का संदर्भ मिलता है | ये सभी 12 राशियाँ इन सभी 9 ग्रहों के द्वारा ही चलती हैं| यानि प्रत्येक राशि किसी न किसी भाव के अधीन होती है | सभी भाव के कोई न कोई अधिपति होते हैं। जिसमें से सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर सभी ग्रहों को 2-2 राशियाँ मिला | यानि सूर्य और चंद्रमा केवल एक-एक राशि के स्वामी है व अन्य सभी गृह दो – दो राशियों के स्वामी है(12 Rashi Swami Grah)| आइये जानते है कौन सी राशि किस गृह को संचालन करती है : – best astrologer website :- https://allso.in/ , best-matrimonial website :- https://vivahallso.com/
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आकाश में स्थित भचक्र(भूगोल) के ३६० अंश अथवा १०८ भाग होते है । समस्त भचक्र १२ राशियों में विभक्त है , अतः ३० अंश अथवा ९ भाग की एक राशि होती है ।
रुष जाति , चरसंज्ञक (चलायमान) , अग्नितत्त्व , पूर्व दिशा की मालिक , मस्तक का बोध करानेवाली , पृष्ठोदय , उग्र प्रकृति , लाल - पीले वर्णवाली , कान्तिहीन , क्षत्रियवर्ण , सभी समान अंगवाली और अल्प सन्तति है । यह पित्त प्रकृतिकारक है , इसका प्राकृतिक स्वभाव साहसी , अभिमानी और मित्रों पर कृपा रखनेवाला है ।
स्त्री राशि , स्थिरसंज्ञक , भूमितत्त्व , शीतल स्वभाव , कान्ति रहित , दक्षिण दिशा की स्वामिनी , वातप्रकृति , रात्रिबली , चार चरणवाली , श्वेत वर्ण , महाशब्दकारी , विषमोदयी , मध्यम सन्तति , शुभकारक , वैश्यवर्ण और शिथिल शरीर है । यह अर्द्धजल राशि कहलाती है । इसका प्राकृतिक स्वभाव स्वार्थी , समझ - बूझकर काम करनेवाली और सांसारिक कार्यों में दक्ष होती है । इससे कण्ठ , मुख और कपोलों का विचार किया जाता है । best astrologer website :- https://allso.in/ , best-matrimonial website :- https://vivahallso.com/
पश्चिम दिशा की स्वामिनी , वायुतत्त्व , तोते के समान हरित वर्ण वाली , पुरुष राशि , द्विस्वभाव , विषमोदयी , उष्ण , शुद्रवर्ण , महाशब्दकारी , चिकनी , दिनबली , मध्यम सन्तति और शिथिल शरीर है । इसका प्राकृतिक स्वभाव विद्याध्य यनी और शिल्पी है । इससे हाथ , शरीर के कन्धों और बाहुओं का विचार किया जाता है । janiye 12 rashiyu ka anusaar unka swamigrah or nature ka pricha
पुरुष जाति , स्थिरसंज्ञक , अग्नितत्त्व , दिनबली , पित्त प्रकृति , पीत वर्ण , उष्ण स्वभाव , पूर्व दिशा की स्वामिनी , पुष्ट शरीर , क्षत्रिय वर्ण , अल्पसन्तति , भ्रमणप्रिय और निर्जल राशि है । इसका प्राकृतिक स्वरूप बिल्कुल मेष राशि - जैसा है , पर तो भी इसमें स्वातन्त्र्य प्रेम और उदारता विशेष रूप से वर्तमान है । इससे हृदय का विचार किया जाता है ।
पिंगल वर्ण , स्त्री जाति , द्विस्वभाव , दक्षिण दिशा की स्वामिनी , रात्रि बली , वायु और शीत प्रकृति , पृथ्वीतत्त्व और अल्प सन्तानवाली है । इसका प्राकृतिक स्वभाव मिथुन - जैसा है , पर विशेषता इतनी है कि अपनी उन्नति और मान पर पूर्ण ध्यान रखने की यह कोशिश करती है । इससे पेट का विचार किया जाता है ।
रुष जाति , चरसंज्ञक , वायुतत्त्व , पश्चिम दिशा की स्वामिनी , अल्प सन्तानवाली , श्यामवर्ण , शीर्षोदयी , शूद्रसंज्ञक , दिनबली , क्रूर स्वभाव और पाद जल राशि है । इसका प्राकृतिक स्वभाव विचारशील , ज्ञानप्रिय , कार्य - सम्पादक और राज नीतिज्ञ है । इससे नाभि के नीचे के अंगों का विचार किया जाता है ।
स्थिरसंज्ञक , शुभ्रवर्ण , स्त्री जाति , जलतत्त्व , उत्तर दिशा को स्वा मिनी , रात्रिबली , कफ प्रकृति , बहुसन्तति , ब्राह्मण वर्ण और अर्द्ध जल राशि है । इसका प्राकृतिक स्वभाव दम्भी , हठी , दृढ़प्रतिज्ञ , स्पष्टवादी और निर्मल है । इससे शरीर के कद एवं जननेन्द्रिय का विचार किया जाता है ।
पुरुष जाति , कांचन वर्ण , द्विस्वभाव , क्रूरसंज्ञक , पित्त प्रकृति , दिनबली , पूर्व दिशा को स्वामिनी , दृढ़ शरीर , अग्नितत्त्व , क्षत्रिय वर्ण , अल्प सन्तति एवं अर्द्ध जल राशि है । इसका प्राकृतिक स्वभाव अधिकारप्रिय , करुणामय और मर्यादा का इच्छुक है । इससे पैरों की सन्धि तथा जंघाओं का विचार किया जाता है ।
चरसंज्ञक , स्त्री जाति , पृथ्वीतत्त्व , वात प्रकृति , पिंगल वर्ण , रात्रिबली , वैश्यवर्ण , शिथिल शरीर और दक्षिण दिशा की स्वामिनी है । इसका प्राकृतिक स्वभाव उच्च दशाभिलाषी है । इससे घुटनों का विचार किया जाता है ।
पुरुष जाति , स्थिरसंज्ञक , वायुतत्त्व , विचित्र वर्ण , शीर्षोदय , अर्द्धजल , त्रिदोष प्रकृति , दिनबली , पश्चिम दिशा की स्वामिनी , उष्ण स्वभाव , शूद्र वर्ण , क्रूर एवं मध्यम सन्तानवाली है । इसका प्राकृतिक स्वभाव विचारशील , शान्तचित्त , धर्मवीर और नवीन बातों का आविष्कारक है । इससे पेट के भीतरी भागों का विचार किया जाता है ।
द्विस्वभाव , स्त्री जाति , कफ प्रकृति , जलतत्त्व , रात्रिबली , विप्रवर्ण , उत्तर दिशा की स्वामिनी और पिंगल रंग है । इसका प्राकृतिक स्वभाव उत्तम , दयालु और दानशील है । यह सम्पूर्ण जलराशि है । इससे पैरों का विचार किया जाता है । all rashi ka bare may kiska keasha nature hai
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