
2022-10-07
धन्वन्तरि देवताओं के वैद्य हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं
इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है.
धन्वंतरि ईसा से लगभग दस हज़ार वर्ष पूर्व हुए थे।
वह काशी के राजा महाराज धन्व के पुत्र थे।
उन्होंने शल्य शास्त्र पर महत्त्वपूर्ण गवेषणाएं की थीं।
उनके प्रपौत्र दिवोदास ने उन्हें परिमार्जित कर सुश्रुत आदि शिष्यों को उपदेश दिए इस तरह सुश्रुत संहिता किसी एक का नहीं, बल्कि धन्वंतरि, दिवोदास और सुश्रुत तीनों के वैज्ञानिक जीवन का मूर्त रूप है।
धन्वंतरि के जीवन का सबसे बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग अमृत का है। उनके जीवन के साथ अमृत का कलश जुड़ा है।
वह भी सोने का कलश। अमृत निर्माण करने का प्रयोग धन्वंतरि ने स्वर्ण पात्र में ही बताया था।
उन्होंने कहा कि जरा मृत्यु के विनाश के लिए ब्रह्मा आदि देवताओं ने सोम नामक अमृत का आविष्कार किया था।
सुश्रुत उनके रासायनिक प्रयोग के उल्लेख हैं। धन्वंतरि के संप्रदाय में सौ प्रकार की मृत्यु है।
उनमें एक ही काल मृत्यु है, शेष अकाल मृत्यु रोकने के प्रयास ही निदान और चिकित्सा हैं।
आयु के न्यूनाधिक्य की एक-एक माप धन्वंतरि ने बताई है।
पुरुष अथवा स्त्री को अपने हाथ के नाप से 120 उंगली लंबा होना चाहिए, जबकि छाती और कमर अठारह उंगली। शरीर के एक-एक अवयव की स्वस्थ और अस्वस्थ माप धन्वंतरि ने बताई है।
उन्होंने चिकित्सा के अलावा फसलों का भी गहन अध्ययन किया है। पशु-पक्षियों के स्वभाव, उनके मांस के गुण-अवगुण और उनके भेद भी उन्हें ज्ञात थे।
मानव की भोज्य सामग्री का जितना वैज्ञानिक व सांगोपांग विवेचन धन्वंतरि और सुश्रुत ने किया है, वह आज के युग में भी प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण है।
धनत्रयोदशी के दिन की हुई खरीदारी का त्तेरा गुना फल मिलता है |
इस दिन झाड़ू की भी पूजा होती है | जोड़ी में झाड़ू खरीदे और पूजा करें |
इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, घी, नमक, शक्कर, झाड़ू, मिट्टी के दीपक, की खरीदारी शुभ फलदाई है |
धनत्रयोदशी को यमदीप दान करने से घर में अपमृत्यु नहीं होती |
मिट्टी के दीपक में तिल का तेल भरके चौमुख दीपक घर के बाहर दक्षिण दिशा में गेहूं की ढ़ेरी के ऊपर रक्खे उसमे काले तिल डाले और दीपक प्रज्वलित करके यम देवता को प्रार्थना करें की हमारे घर में किसीकी भी अपमृत्यु ना हो |
यह उपाय अत्यंत प्रभावी है। जिसने भी यह उपाय किया है उस पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रही है।
यह उपाय आपको धनतेरस से आरंभ करना है। इसके लिए धनतेरस के संध्याकाल में स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें।
तत्पश्चात निवास के पूजा स्थल पर ही एक लघु नारियल (गोला गिरी) पर तथा एक जटा नारियल पर अलग-अलग कलावा लपेटे व दोनों पर केसर से तिलक करें।
छोटे नारियल एवं जटा नारियल व एक लाल चुनरी हाथ में लेकर महालक्ष्मी तथा धन के देवता कुबेर का स्मरण कर उनसे अपनी आर्थिक संपन्नता के लिए निवेदन करें।
इसके पश्चात दोनों नारियल को सवा मीटर लाल नए वस्त्र पर रखकर उस पर रोली से पुनः तिलक करें तथा श्री लक्ष्मी का एकाक्षरी मंत्र "श्रीं" रोली से लिखें इसके बाद आप धूप दीप अर्पित करें तथा एक लाल गुलाब मां के चरणों में स्पर्श करवा कर दोनों नारियल के साथ रखें।
कम से कम 3 माला " श्रीं ह्रीं श्रीं " का जाप करें। जप के बाद हाथ जोड़कर पूजा स्थल से बाहर आ जाएं।
अगले दिन संध्याकाल में ही किसी भी मां शक्ति के मंदिर में अथवा श्री लक्ष्मी नारायण के मंदिर में जा कर पूजा अर्चना कर पिछले दिन की लाल चुनरी वह एक नया जटा वाला नारियल मंदिर में अर्पित करें अर्थात चुनरी तो माता को उड़ा दें तथा जटा नारियल को माँ के चरणों से स्पर्श कराकर मंदिर में ही फोड़ कर वही छोड़ दें।
अब मंदिर से ही एक लाल गुलाब का पुष्प लेकर निवास स्थान पर आए उस पुष्प को दोनों नारियल के साथ ही रख कर उन्हें एकाक्षरी मंत्र की तीन माला का जाप करें। अगले दिन आप केवल एक नया जटा वाला नारियल मंदिर में अर्पित कर एक गुलाब का पुष्प लाकर दोनों नारियल के साथ रख दें।
दीपावली की रात्रि में पूजा के बाद दोबारा 11 माला
" ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालए प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मी नमः ॐ "
का जाप कर आर्थिक संपन्नता का निवेदन करें। तत्पश्चात दोनों नारियल व सभी पुष्पों को उसी लाल कपड़े में लपेट लें इसके बाद एक जटा नारियल को ले जाकर दीपावली संध्या को ही अथवा अगले दिन पुनः उसी मंदिर में अर्पित कर फोड़ दें और प्रणाम कर निवास पर वापस आ जाएं। लाल वस्त्र को छोटे नारियल सहित पोटली का रूप देकर अपने धन रखने के स्थान पर रख दें इस उपाय के बाद आप स्वयं ही परिवर्तन अनुभव करेंगे।
संध्या काल में पूजा के स्थान के पास यह प्रयोग करना है। एक अभिमंत्रित कुबेर यंत्र की व्यवस्था करें। पूजा स्थल के पास के स्थान को गंगाजल से धोकर स्वच्छ कर लें। इस स्थान पर एक चौकी रखें और इसके सामने लाल आसन पर बैठ जाएं। चौकी पर सवा मीटर लाल वस्त्र 4 तह करके बिछाए और उसके ऊपर 11 कमलगट्टे के बीज रखें। इन बीजों के ऊपर श्री कुबेर यंत्र को स्थान दें। यंत्र को केसर से तिलक करें शुद्ध घी का दीपक व धूप अगरबत्ती के साथ कोई भी पीले रंग का मिष्ठान अर्पित करें और अपने निवास में मां लक्ष्मी के साथ स्थाई वास करने का निवेदन करें। अब आप यंत्र के समक्ष ही लाल रंग के आसन पर बैठकर हल्दी की माला से 11 माला निम्न मंत्र का जाप करें।
मंत्र👉 " श्री कुबेराय नमः धंधान्यधिपतये नमोस्तुते "।
जप के बाद प्रणाम कर उठ जाएं। अब अगले दिन भी यही क्रिया करें इस प्रकार से दिपावली तक यही क्रिया करते रहें। दीपावली की रात्रि में एक अभिमंत्रित श्री यंत्र को भी 11 कमलगट्टे के बीजों पर स्थान देकर रोली से तिलक आदि करें और दीपावली का पूजन करें पूजन के बाद मध्यरात्रि में जब सब सो जाएं तो आप पुनः स्नान कर लाल वस्त्र धारण करके पूजा स्थान पर आसन पर बैठ जाएं अब पहले 11 बार लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें स्तोत्र के बाद कमलगट्टे की माला से 11 माला " ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं श्रीहरिप्रिये श्री कुबेराय नमोनमः " का जाप करें। जाप के बाद प्रणाम कर उठ जाएं और एक शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित कर अपने निवास के मुख्य द्वार पर रख दें। अगले दिन से आपको 5 दिन तक उपरोक्त मंत्र का जाप करना है धनतेरस से दीपावली तक और फिर दीपावली से इन 5 दिन तक आपके निवास में मां लक्ष्मी के साधन देवता श्री कुबेर का विवाह होगा यह विश्वास होना चाहिए।
महालक्ष्मीस्तुतिः
👉यह महालक्ष्मी स्तुति का पाठ श्रीदुर्गानवरात्रि के सप्तमी,अष्टमी,नवमीं तिथि में और धनत्रयोदशी,दिपावली के महाकालरात्रि में अगर कोई पाठ करता है,या कराता है,तो अपार धन की वर्षा माँ महालक्ष्मी करती हैं।।
आदिलक्ष्मि
आदिलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरूपिणि ।
यशो देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १॥
सन्तानलक्ष्मि
सन्तानलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्रपौत्रप्रदायिनि ।
सन्तानलक्ष्मि वन्देऽहं
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ २॥
विद्यालक्ष्मि
विद्यालक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्मविद्यास्वरूपिणि ।
विद्यां देहि कलां देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ३॥
धनलक्ष्मि
धनलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदारिद्र्यनाशिनि ।
धनं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ४॥
धान्यलक्ष्मि
धान्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरणभूषिते ।
धान्यं देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ५॥
मेधालक्ष्मि
मेधालक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलिकल्मषनाशिनि ।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ६॥
गजलक्ष्मि
गजलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेवस्वरूपिणि ।
अश्वांश्च गोकुलं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ७॥
धीरलक्ष्मि
धीरलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्तिस्वरूपिणि ।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ८॥
जयलक्ष्मि
जयलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वकार्यजयप्रदे ।
जयं देहि शुभं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ९॥
भाग्यलक्ष्मि
भाग्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमंगल्यविवर्धिनि ।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १०॥
कीर्तिलक्ष्मि
कीर्तिलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्षस्थलस्थिते ।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ ११॥
आरोग्यलक्ष्मि
आरोग्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वरोगनिवारणि । आरोग्यलक्ष्मि वन्देऽहं
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १२॥
सिद्धलक्ष्मि
सिद्धलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वसिद्धिप्रदायिनि ।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १३॥
सौन्दर्यलक्ष्मि
सौन्दर्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालंकारशोभिते ।
सौन्दर्यलक्ष्मि वन्देऽहं
रूपं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १४॥
साम्राज्यलक्ष्मि
साम्राज्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि । साम्राज्यलक्ष्मि वन्देऽहं
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ॥ १५॥
मंगले मंगलाधारे मांगल्ये मंगलप्रदे ।
मंगलार्थं मंगलेशि मांगल्यं देहि मे सदा ॥ १६॥
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥ १७॥
शुभं भवतु कल्याणी आयुरारोग्यसम्पदाम् ।
मम शत्रुविनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तु ते ॥ १८॥
धनत्रयोदशी के मंगल मुहूर्त :
धनतेरस आसो वद बरस (तेरह) शनिवार दिनांक: 22/10/2022 और समय
सुबह:
07.28 से 08.35 गुरु की होरा
10.30 से 11.27 शुक्र की होरा
दोपहर बाद:
11.27 से 12.24 बुध की होरा
12.24 से 13.22 चन्द्र की होरा
14.19 से 15.16 गुरु की होरा
17.11 से 18.08 शुक्र की होरा
18.08 से 19.11 बुध की होरा
19.11 से 20.13 चन्द्र की होरा
21.16 से 22.19 गुरु की होरा
00.25 से 01.27 शुक्र की होरा
वृश्चिक 08.38 से 10.54 तक
कुम्भ 14.46 से 16.19 तक
वृषभ 19.30 से 21.28 तक
सिंह 02.02 से 04.13 तक
वृषभ स्थिर लग्न (सर्वश्रेष्ठ) :
वृषभ 19.30 से 21.28 तक
If you have any work from me or any types of quries , you can send me message from here. It's my pleasure to help you.
Book Your Appoitment Now With Best Astrologers