कुलदेवी , कुलदेवता आवाहन

 

घर में कुलदेवी आवाहन के लिए सिद्ध और शाबर मंत्र, कुलदेवी या कुलदेवता के प्रकार

 

नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करेंगे कुलदेवी या कुलदेवता के बारे में, जो हमारे कुल के रक्षक और आशीर्वाद देने वाले होते हैं। कुलदेवी या कुलदेवता का घर में कौन सा स्थान होता है, कैसे उनका आवाहन किया जाता है, कैसे उनको पहचाना जाता है और कौन से मंत्र से उनकी पूजा की जाती है, ये सब जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।

 

## कुलदेवी या कुलदेवता कौन होते हैं?

 

कुलदेवी या कुलदेवता वो देवी या देवता होते हैं, जो हमारे कुल की परंपरा, इतिहास और संस्कृति से जुड़े होते हैं। उन्हें हमारे कुल के अधिष्ठाता और संरक्षक माना जाता है। उनका नाम, रूप, गुण और कार्य अलग-अलग समुदायों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, नेपाल के कीर्तिपुर के मिंशी नेवार लोग बागभैरव को कुलदेवता की तरह पूजते हैं⁶।

 

## कुलदेवी या कुलदेवता का घर में कौन सा स्थान होता है?

 

घर में कुलदेवी या कुलदेवता का स्थान अलग-अलग परिवारों के अनुसार भिन्न हो सकता है। कुछ परिवारों में कुलदेवी या कुलदेवता की मूर्ति या चित्र को पूजा घर में रखा जाता है, जहां पर अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है। कुछ परिवारों में कुलदेवी या कुलदेवता को घर के बाहर या अलग कमरे में रखा जाता है, जहां पर केवल उनकी पूजा की जाती है। कुछ परिवारों में कुलदेवी या कुलदेवता को घर में नहीं रखा जाता, बल्कि उनका मंदिर उनके मूल स्थान पर होता है, जहां पर वे विशेष अवसरों पर जाकर उनकी पूजा करते हैं।

 

## कुलदेवी या कुलदेवता का आवाहन कैसे किया जाता है?

 

कुलदेवी या कुलदेवता का आवाहन करने का तरीका भी परिवार से परिवार अलग हो सकता है। कुछ परिवारों में कुलदेवी या कुलदेवता का आवाहन एक विशेष मंत्र, यंत्र या विधि के साथ किया जाता है, जो उनके कुल की परंपरा में चली आ रही हो। कुछ परिवारों में कुलदेवी या कुलदेवता का आवाहन साधारण रूप से उनके नाम लेकर, उनके सामने दीपक, धूप, पुष्प, नैवेद्य आदि चढ़ाकर या उनके लिए आरती उतारकर किया जाता है। कुछ परिवारों में कुलदेवी या कुलदेवता का आवाहन केवल उनके मंदिर में ही किया जाता है, जहां पर उनके पुजारी या पंडित उनकी पूजा करते हैं।

 

## कुलदेवी या कुलदेवता के लिए सिद्ध और शाबर मंत्र

 

- कुलदेवी या कुलदेवता के लिए सिद्ध और शाबर मंत्र: कुलदेवी या कुलदेवता को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के सिद्ध और शाबर मंत्र का जाप किया जाता है। इन मंत्रों का रचनाकार गुरु गोरखनाथ जी हैं, जो नाथ संप्रदाय के प्रमुख योगी और शाबरी विद्या के ज्ञाता हैं। इन मंत्रों का उपयोग विभिन्न प्रयोजनों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि रोग निवारण, वशीकरण, आकर्षण, धन प्राप्ति, शत्रु नाश, कार्य सिद्धि, भूत प्रेत बाधा दूर करना आदि। इन मंत्रों की सिद्धि के लिए विशेष विधि और नियम का पालन करना आवश्यक है। कुछ प्रसिद्ध सिद्ध और शाबर मंत्र निम्नलिखित हैं:

 

    - कुलदेवी या कुलदेवता का आवाहन मंत्र:

 ।। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ नमो भगवते (कुलदेवी या कुलदेवता का नाम) रूपिण्यै (कुलदेवी या कुलदेवता का रूप) स्वाहा।।

इस मंत्र की सिद्धि के लिए नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दीपावली, शिवरात्रि या अन्य शुभ तिथि पर कुलदेवी या कुलदेवता की पूजा करके कुष्ठ या कमलगट्टा की माला से 108 माला जप करना है। इस मंत्र का प्रयोग करने से कुलदेवी या कुलदेवता का आवाहन होता है, उनकी कृपा मिलती है, कुल की रक्षा होती है, कुल का वंश बढ़ता है, कुल का नाम रोशन होता है और कुल के सभी सदस्यों को सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, शांति और शक्ति मिलती है।³

 

कुलदेवी या कुलदेवता के आवाहन के लिए शुभ दिन और समय का चयन आपके कुल की परंपरा और उनके स्वरूप पर निर्भर करता है। कुछ सामान्य नियम इस प्रकार हैं:

 

- कुलदेवी या कुलदेवता को नवरात्रि, दीपावली, शिवरात्रि, जन्माष्टमी, बसंत पंचमी जैसे शुभ पर्वों पर विशेष रूप से पूजा जाता है।

 

- कुलदेवी या कुलदेवता को उनके जन्म तिथि, नक्षत्र, राशि या गोत्र के अनुसार भी पूजा जाता है। उदाहरण के लिए, जो लोग मां काली को कुलदेवी मानते हैं, वे अमावस्या के दिन उनका आवाहन कर सकते हैं।

- कुलदेवी या कुलदेवता को प्रातःकाल या सायंकाल के समय पूजा जाता है। राहुकाल, गुलिक काल, यमघंटा काल जैसे अशुभ समय में उनका आवाहन नहीं करना चाहिए।

- कुलदेवी या कुलदेवता को उनकी पसंद के भोग, फूल, वस्त्र, आभूषण, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करना चाहिए। उनकी पसंद के बारे में आप अपने कुल के वृद्धों से पूछ सकते हैं।

 


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