मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज प्रकृति के अधीन है । दो प्राणियों के मिलन से नए जीवन की उत्पत्ति होती है । हमारे ऋषियों ने मानव वंश की वृद्धि के लिए विवाह संस्कार बनाया है ।
इसके कुछ नियम बनाए गए हैं । पहले तो विवाह दो परिवारों के बीच में हुआ करता था । कुल , संस्कार , खानदान , जाति एवं धर्म को देख कर विवाह संपन्न होते थे । परंतु प्रकृति के बदलाव अनिवार्य है । इसलिए आज पैसा , घरबार, कोठी, मकान ,सुख-साधन, शिक्षा आदि को देख कर विवाह संपन्न होते हैं । फिर भी लड़का या लड़की के विवाह में किसी कारण से देरी हो जाती है । आज हम विचार करेंगे कि यह देरी क्यों होती है ।
(1) शिक्षा
(2)व्यवसाय (कारोबार)
(3) आचार- व्यवहार
(4)विचार (सोच)
(5) माता पिता का स्वभाव
(1) शिक्षा :--
शिक्षा मानव का मूल अधिकार है । सबसे पहले व्यक्ति शिक्षा ग्रहण करता है । उच्च स्तरीय शिक्षा पाने के बाद ही वह विवाह के बारे में सोचता है । स्नातकोत्तर (Graduation) शिक्षा पाने के लिए अथवा योग शिक्षा पाने के लिए उसे कई वर्ष तक पढ़ाई करनी पड़ती है । इसीलिए वह विवाह में देरी का कारण बनती है ।
(2) व्यवसाय (कारोबार) :--
शिक्षा प्राप्त करने के बाद सबसे पहले व्यक्ति नौकरी को खोजता है । जब नौकरी मिल जाए तो विवाह शीघ्र हो जाता है । अन्यथा उसे अपने कारोबार को कामयाब के लिए उसे कई वर्ष का समय लग जाता है । जब तक कारोबार सेट नहीं होता तब तक वह विवाह के बारे में नहीं सोचता । इसीलिए विवाह में देरी पाई जाती है।
(3) आचार-व्यवहार:--
विवाह में आचार-व्यवहार का मुख्य स्थान है यदि व्यक्ति का आचार-व्यवहार उचित है तब विवाह शीघ्र हो जाता है । लेकिन यदि आचार-व्यवहार कमी आ जायें अथवा बुरी आदतों में व्यक्ति लग जाये, नशा आदि में व्यस्त हो जाए तो उसके विवाह में अक्सर देरी हो ही जाती है । कोई भी माता-पिता अपने बेटे अथवा बेटी का ऐसी जगह विवाह नहीं करता जहां लड़का या लड़की को बुरी आदतें हो ।
(4) विचार ( सोच) :--
जब व्यक्ति के विचार उत्तम होते हैं तो उसके विवाह में देरी नहीं होती । लेकिन जब विचारों की निम्नता पाई जाती है। बिना कारण के ही शंका करना अथवा दूसरे के काम में कमियां निकालना आदि दोष पाए जाते हैं । तब विवाह में देरी होती है ।
(5) माता पिता का स्वभाव :---
कई बार देखा गया है कि माता-पिता के स्वभाव के कारण भी बच्चे के विवाह में देरी होती है। माता-पिता अधिक लालची होते हैं, गुस्से वाले होते हैं, रहने का ढंग पुराना होता है, या फिर बोलने में थोड़ी कड़वे शब्द बोल देते हैं । इससे भी बच्चे के विवाह में देरी आती है। यह सामान्य कारण है। जिसके कारण समाज में बच्चों के विवाह में देरी होती है ।
अब विचार करते हैं कि ज्योतिष के अनुसार विवाह में देरी क्यों होती है।
(१)जब लग्नेश कमजोर होता है ।
(२) जब सप्तमेश कमजोर होता है ।
(३) जब सप्तमेश की दशा देरी से आती है ।
(४) जब सप्तम में क्रूर करें बैठे होतें हैं ।
(५) जब सप्तमेश क्रूर ग्रहों से दृष्ट अथवा युक्त होता है ।
(६) जब बच्चे के मांगलिक दोष होता है ।
(७) जब सप्तमेश बाल्य अवस्था में अथवा वृद्ध अवस्था में होता है ।
(८) सप्तमेश त्रिक् (6,8,12) में बैठा होता है तब भी विवाह में देरी होती है ।
(९) जब सप्तम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि नहीं होती ।
(१०) जब सप्तमेश पीड़ित होता है ।
उपाय :-
अब हम विचार करेंगे कि यदि विवाह में देरी हो रही हो तो हमें क्या उपाय करने चाहिए ।
(१) स्वभाव को शुद्ध करें। व्यवहार को उचित करें। व्यसनों से दूर रहें। अपने कारोबार को उन्नति की ओर ले कर जाए।
(२) भगवान शंकर की आराधना एवं अभिषेक करने से विवाह की देरी दूर हो जाती है ।
(३) माता कात्यायनी का संपुट पाठ करें तो अवश्य ही विवाह जल्दी हो जाता है।
(४) माता गौरी की उपासना करें विवाह की देरी दूर हो जाती है।

(५) आर्या उपासना करने से विवाह शीघ्र हो जाता है।
(६) माता दुर्गा का (पत्नी मनोरमा देहि ---) संपुट पाठ करने से भी विवाह की देरी दूर हो जाती है।
(७) 16 सोमवार के व्रत करने से विवाह शीघ्र हो जाता है ।
(८) 16 गुरुवार के व्रत करने से विवाह की देरी दूर हो जाती है।
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