रामेश्वर मंदिर की कथा और ज्योतिर्लिंग का महत्व

रामेश्वर मंदिर की कथा और ज्योतिर्लिंग का महत्व

रामेश्वर मंदिर का परिचय

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है क्योंकि इसका संबंध भगवान श्रीराम और उनके लंका विजय अभियान से है। रामेश्वरम मंदिर को चार धामों में से एक माना जाता है और यहाँ भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है।

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

1. श्रीराम द्वारा शिवलिंग की स्थापना

रामायण के अनुसार, जब भगवान श्रीराम अपनी पत्नी माता सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए लंका जा रहे थे, तो उन्होंने यहाँ समुद्र तट पर भगवान शिव की पूजा करने का निश्चय किया।

भगवान श्रीराम ने समुद्र से मार्ग मांगने के लिए तीन दिन तक तपस्या की।

'; astrologer vastu shastri Dr. Sunita N

समुद्र ने मार्ग देने से पहले कहा कि श्रीराम को पहले भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए

श्रीराम ने एक शिवलिंग की स्थापना करने का निश्चय किया।

शिवलिंग की स्थापना के लिए हनुमान जी कैलाश पर्वत से एक शिवलिंग लाने के लिए गए।

जब हनुमान जी समय पर नहीं लौटे, तो माता सीता ने बालू और मिट्टी से एक शिवलिंग बनाया, जिसे रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।

जब हनुमान जी असली शिवलिंग लेकर आए, तो श्रीराम ने उसे भी मंदिर में स्थापित कर दिया। इसे विशालिंगम कहा जाता है और यह आज भी मंदिर में मौजूद है।

2. भगवान शिव का आशीर्वाद

जब श्रीराम ने भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा की, तो भगवान शिव ने उन्हें लंका विजय और रावण वध का आशीर्वाद दिया।

भगवान शिव ने कहा कि जो भी इस स्थान पर श्रद्धा से पूजा करेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।

'; best astrologer west bangal

यह स्थान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि श्रीराम ने रावण वध के बाद अपने ब्रह्महत्या दोष से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की आराधना की थी

इसलिए रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग को मोक्ष प्रदायक तीर्थ भी कहा जाता है।

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व

1. चार धाम यात्रा का प्रमुख तीर्थ

रामेश्वरम भारत के चार प्रमुख धामों में से एक है –

बद्रीनाथ (उत्तराखंड)

द्वारका (गुजरात)

पुरी (ओडिशा)

रामेश्वरम (तमिलनाडु)

कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति चारों धामों की यात्रा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

2. तीर्थराज रामेश्वरम

रामेश्वरम को "तीर्थराज" भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ 22 पवित्र कुण्ड (जल स्रोत) स्थित हैं।

इनमें स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा शुद्ध हो जाती है।

3. हिंदू धर्म में विशेष स्थान

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग उत्तर भारत के काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का पूरक माना जाता है।

यह परंपरा है कि जो भी व्यक्ति काशी में शिव पूजन करता है, उसे रामेश्वरम जाकर शिवलिंग का पूजन करना चाहिए

यहाँ भगवान शिव और भगवान श्रीराम दोनों की पूजा की जाती है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।

रामेश्वरम मंदिर का स्थान और यात्रा मार्ग

स्थान

राज्य – तमिलनाडु

'; best astrologer Prof. Kartik Rawal

शहर – रामेश्वरम

परिस्थिति – हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित एक द्वीप पर

कैसे पहुँचे?

हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा मदुरई एयरपोर्ट (170 किमी) है।

रेल मार्ग – रामेश्वरम रेलवे स्टेशन भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग – चेन्नई, मदुरई और कन्याकुमारी से रामेश्वरम तक बसें और टैक्सियाँ उपलब्ध हैं।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

मंदिर की गोपुरम (मुख्य द्वार) की ऊँचाई 38 मीटर है, जो अत्यंत भव्य है।

इस मंदिर में विश्व का सबसे लंबा मंदिर गलियारा है, जिसकी लंबाई 1200 मीटर है।

महाशिवरात्रि और श्रावण मास के दौरान यहाँ विशेष रूप से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव और भगवान श्रीराम दोनों की भक्ति का प्रतीक है। यह मंदिर न केवल एक ज्योतिर्लिंग तीर्थ है, बल्कि चार धामों में से एक भी है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहाँ भगवान शिव की पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

क्या आप इस पवित्र धाम की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं?