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Vaishalee Suryavanshi

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Raj jyotishi Pt. Kirpa Ram Upadhyay

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Acharya Pt. Subodh Pathak

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Vinita Raghuvanshi Verma

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आज का भविष्यफल (17 अक्टूबर 2024): Ten of Swords के आधार पर - By Purvi Rawal | Allso
आज का भविष्यफल (17 अक्टूबर 2024): Ten of Swords के आधार पर - By Purvi Rawal

आज का दिन आपके लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। टेन ऑफ स्वॉर्ड्स दर्शाता है कि आप किसी कठिन परिस्थिति के अंतिम चरण में हैं। इस कार्ड का मतलब अक्सर मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक थकान, धोखा, या किसी गहरे दर्द का अनुभव होता है। यह एक कठिन अंत का प्रतीक है, लेकिन इसके साथ ही यह एक नए आरंभ की संभावना भी लाता है।

आप शायद किसी ऐसी स्थिति में हैं जहाँ आपको लगता है कि चीजें आपके नियंत्रण से बाहर हैं या आप हानि और संघर्ष का सामना कर रहे हैं। किसी पुराने रिश्ते, नौकरी, या परिस्थिति का समापन हो सकता है, और आप इस समय खुद को कमजोर महसूस कर सकते हैं। हालाँकि, यह भी संकेत है कि अब आप इससे आगे बढ़ने के लिए तैयार हो रहे हैं, क्योंकि सबसे बुरा अब समाप्त हो चुका है।

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आज के लिए मुख्य बिंदु:

  1. अंत और नई शुरुआत: यह कार्ड यह बताता है कि एक महत्वपूर्ण और कठिन दौर का अंत हो रहा है, जिससे आप बहुत समय से जूझ रहे थे। अब यह अध्याय खत्म हो रहा है, और आपको खुद को फिर से खड़ा करने और एक नई शुरुआत की दिशा में कदम बढ़ाने का मौका मिल रहा है।

  2. धोखे और हानि का संकेत: यह कार्ड कभी-कभी दूसरों द्वारा धोखा या पीठ में छुरा घोंपे जाने का प्रतीक हो सकता है। अगर आप हाल ही में किसी रिश्ते या काम में धोखे या विश्वासघात का अनुभव कर रहे हैं, तो यह समय है कि आप उन नकारात्मक चीजों से बाहर आएं।

  3. मानसिक और भावनात्मक थकान: आप मानसिक और भावनात्मक रूप से थके हुए महसूस कर सकते हैं। यह समय अपने आप को शारीरिक और मानसिक रूप से पुनर्जीवित करने का है। खुद को समर्पित करते हुए अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानें।

  4. चीजों को स्वीकार करना: कभी-कभी, हमें उन चीजों को स्वीकार करना पड़ता है जो हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं। यह कार्ड आपको सुझाव देता है कि आप उन परिस्थितियों से लड़ने के बजाय उन्हें स्वीकार करें और आगे बढ़ें, जो अब आपके लिए उपयोगी नहीं हैं।

आज के लिए सलाह:

  • मुक्ति और क्षमा: पुराने संघर्षों और नकारात्मक भावनाओं को जाने दें। खुद को और दूसरों को क्षमा करें। यह आपको मानसिक शांति और आत्मिक मुक्ति प्रदान करेगा।

  • आगे बढ़ने की योजना: आप एक कठिन चरण से गुज़र चुके हैं, और अब नई शुरुआत की योजना बनाएं। नए अवसरों के लिए अपने दिल और दिमाग को खोलें।

  • ध्यान और आत्मनिरीक्षण: अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने और खुद को संतुलित करने के लिए ध्यान या आत्मनिरीक्षण का सहारा लें।

सकारात्मक पहलू:

हालांकि यह कार्ड नकारात्मकता और कठिनाइयों का प्रतीक है, लेकिन यह संकेत भी देता है कि आप इन संघर्षों से आगे बढ़ सकते हैं। आपके जीवन में जो समाप्त हो रहा है, वह आपके लिए नए और बेहतर अवसरों के दरवाजे खोल सकता है।


टेन ऑफ स्वॉर्ड्स आपको याद दिलाता है कि अंत कभी-कभी नई शुरुआत का द्वार होता है। दर्द और संघर्ष के इस चरण से उबरने के बाद, आप एक मजबूत और समझदार व्यक्ति बनकर उभरेंगे। जीवन में कठिनाइयाँ अस्थायी होती हैं, और उनके बाद आपके लिए शांति और उन्नति का समय आता है।

अब आपके जीवन में नकारात्मकता को छोड़ने और नई आशाओं के साथ आगे बढ़ने का समय आ गया है।

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आज का भविष्यफल (15 अक्टूबर 2024): Eight of Wands - By Purvi Rawal | Allso
आज का भविष्यफल (15 अक्टूबर 2024): Eight of Wands - By Purvi Rawal

Eight of Wands टैरो कार्ड तेजी से घटने वाली घटनाओं, गति, और अचानक बदलावों का प्रतीक है। यह कार्ड दिखाता है कि जीवन में चीजें तेजी से आगे बढ़ने वाली हैं, और आपके प्रयासों के परिणाम जल्द ही दिखाई देंगे। अब चलिए देखते हैं आज (15 अक्टूबर 2024) का Eight of Wands टैरो कार्ड के आधार पर भविष्यफल:

1. व्यक्तिगत जीवन:

आज आपका व्यक्तिगत जीवन काफी सक्रिय रहेगा। आप अपने दोस्तों, परिवार, या साथी के साथ कई गतिविधियों में व्यस्त हो सकते हैं। अगर आपने किसी प्रोजेक्ट या योजना की शुरुआत की है, तो आज के दिन आपको उसके परिणाम जल्दी मिल सकते हैं। यह दिन आपके लिए संवाद और रिश्तों में स्पष्टता लाएगा। किसी निर्णय का इंतजार कर रहे हैं तो आपको जल्द ही अच्छी खबर मिल सकती है।

2. पेशेवर जीवन:

कार्यस्थल पर आज आपका दिन बहुत तेज़ी से बीतेगा। अगर आप किसी डील या प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, तो चीजें आपके पक्ष में तेजी से आगे बढ़ेंगी। काम के दबाव के बावजूद, आप अपने लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। अगर आप नौकरी बदलने या प्रमोशन के इंतजार में थे, तो आज आपको कुछ सकारात्मक संकेत मिल सकते हैं।

3. स्वास्थ्य:

स्वास्थ्य के मामले में आज आप ऊर्जावान महसूस करेंगे। यदि आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे थे, तो आज सुधार दिखेगा। यह समय फिटनेस और शारीरिक गतिविधियों पर ध्यान देने का है, क्योंकि आपकी ऊर्जा उच्च स्तर पर रहेगी। छोटी यात्राओं या नई गतिविधियों में भाग लेना आज आपके लिए फायदेमंद होगा।
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4. आध्यात्मिकता:

आज आप अपने आंतरिक विकास और ध्यान की ओर तेज़ी से बढ़ सकते हैं। कोई नया आध्यात्मिक अनुभव या सीखने का अवसर आपके जीवन में अचानक आ सकता है। अपने आंतरिक दिशा-निर्देशों पर विश्वास करें और अपने उच्च उद्देश्यों की ओर ध्यान दें।

आज के लिए सलाह:

  • तेजी से निर्णय लें: अवसरों को हाथ से न जाने दें, और जो भी निर्णय लेना हो, उसे तेजी से लें।
  • लचीलापन बनाए रखें: चीजें तेजी से बदल सकती हैं, इसलिए लचीला बने रहना और परिस्थितियों के अनुसार प्रतिक्रिया देना महत्वपूर्ण है।
  • संचार पर ध्यान दें: अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से साझा करें ताकि किसी प्रकार का भ्रम न हो।

Eight of Wands आज के दिन को सक्रिय और गतिशील बनाता है। आपके जीवन में तेजी से बदलाव आएंगे, और आप अपने प्रयासों के परिणाम देखेंगे। यह दिन आपको ऊर्जावान और उत्साहित महसूस कराएगा, इसलिए अवसरों को पहचानें और उनके अनुसार कार्य करें।

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आज का भविष्यफल (15 अक्टूबर 2024): तारा टैरो कार्ड (The Star) के आधार पर - By Purvi Rawal | Allso
आज का भविष्यफल (15 अक्टूबर 2024): तारा टैरो कार्ड (The Star) के आधार पर - By Purvi Rawal

आज का दिन आपके लिए आशा और नई संभावनाओं से भरा हुआ है। तारा टैरो कार्ड आज आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव और नवीनीकरण का संकेत दे रहा है। यह दिन आपको आत्म-सुधार और आत्म-ज्ञान के रास्ते पर ले जा सकता है। अगर आप पिछले कुछ दिनों से तनाव में थे, तो आज आपको शांति और स्थिरता प्राप्त होगी।

मुख्य भविष्यवाणी:

  1. व्यक्तिगत जीवन: आज आपके व्यक्तिगत जीवन में शांति और सामंजस्य रहेगा। जिन समस्याओं का सामना आप लंबे समय से कर रहे थे, वे अब धीरे-धीरे सुलझने लगी हैं। आपको अपने संबंधों में नई ऊर्जा और ताजगी का अनुभव होगा। अगर आप किसी के साथ संवाद सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, तो आज का दिन इसके लिए बेहतरीन है।

पेशेवर जीवन: आपका पेशेवर जीवन भी नई संभावनाओं की ओर बढ़ रहा है। अगर आप किसी नई परियोजना पर काम कर रहे हैं, तो यह दिन आपके लिए रचनात्मक ऊर्जा और प्रेरणा से भरा होगा। अपने काम में नई दिशा और स्थिरता मिलेगी, जिससे आप अपनी योजनाओं को साकार कर पाएंगे।

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  1. स्वास्थ्य: तारा कार्ड आज आपके स्वास्थ्य के लिए भी एक सकारात्मक संकेत दे रहा है। अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो आज आपको सुधार महसूस हो सकता है। योग और ध्यान जैसे आत्मिक अभ्यास आज आपके लिए फायदेमंद रहेंगे।

  2. आध्यात्मिकता: यह दिन आत्म-चिंतन और आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए उपयुक्त है। आप अपने जीवन के उद्देश्य और अपनी आंतरिक शक्तियों के प्रति अधिक सजग होंगे। आज का दिन आध्यात्मिक प्रथाओं को गहराई से अपनाने और आत्मा से जुड़ने का है।

आज के लिए सलाह:

  • आशावादी बनें: अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें और नई संभावनाओं को स्वीकार करें।
  • आध्यात्मिकता का पालन करें: ध्यान और आत्म-सुधार के लिए समय निकालें। यह आपके मन और आत्मा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
  • संबंधों को संवारें: आज अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं। यह आपके व्यक्तिगत जीवन में संतुलन और शांति लाएगा।
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दसम भाव में उच्च के बुध का फल | Allso
दसम भाव में उच्च के बुध का फल

दसवां भाव ज्योतिष में करियर, पेशा, सामाजिक प्रतिष्ठा, कार्यक्षेत्र और व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है। जब किसी कुंडली के दसवें भाव में बुध उच्च स्थिति (कन्या राशि) में होता है, तो इसका शुभ और अशुभ प्रभाव जातक के जीवन में गहरे परिवर्तन ला सकता है। यह प्रभाव उनके करियर और सामाजिक प्रतिष्ठा को सीधा प्रभावित करता है।

शुभ प्रभाव:

व्यवसायिक सफलता: दसवें भाव में उच्च का बुध जातक को व्यवसायिक क्षेत्रों में विशेष सफलता दिला सकता है। बुध की यह स्थिति जातक को ऐसी व्यावसायिक प्रतिभा और कुशलता प्रदान करती है, जिससे वे अपने करियर में उच्च स्थान प्राप्त करते हैं। यह प्रभाव उनके कार्यक्षेत्र में अद्वितीय योगदान और नवाचार लाने की क्षमता भी प्रदान करता है। इस स्थिति में आने वाले जातक सफलता के नए आयाम स्थापित कर सकते हैं।

नाम, यश, और ऐश्वर्य: बुध के शुभ प्रभाव के कारण जातक न केवल अपने करियर में सफल होते हैं, बल्कि समाज में भी एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त करते हैं। ऐसे जातक को उनके कार्यों के लिए सम्मान, मान्यता और यश मिलता है। इस प्रकार के जातक अपनी मेहनत और बुद्धिमत्ता से ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं और अनेक सुविधाओं का आनंद लेते हैं।

सरकारी पद प्राप्ति: कुंडली के दसवें भाव में उच्च का बुध जातक को सरकारी सेवाओं या सरकारी संस्थानों में उच्च पद पर नियुक्ति दिलवा सकता है। इस प्रभाव के तहत, जातक को सरकार से जुड़े कार्यों में विशेष सफलता मिलती है, और वे समाज में प्रभुत्वशाली स्थिति हासिल कर सकते हैं। इस प्रकार के जातक उच्च प्रशासनिक, राजनीतिक, या सरकारी सेवा के क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं।
 

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व्यावसायिक बुद्धिमत्ता और निर्णय लेने की क्षमता: उच्च का बुध जातक को त्वरित और सटीक निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है, जो व्यवसाय में महत्वपूर्ण होता है। बुध का प्रभाव जातक को तार्किक, व्यावहारिक और समस्याओं का हल निकालने में सक्षम बनाता है, जिससे वे अपने व्यवसायिक जीवन में अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

अशुभ प्रभाव:

व्यवसायिक असफलताएं: यदि दसवें भाव में बुध अशुभ स्थिति में हो, तो यह जातक के करियर में समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। अशुभ बुध के प्रभाव के कारण जातक को बार-बार व्यवसायिक असफलताएं झेलनी पड़ सकती हैं। उनके काम में बाधाएं आ सकती हैं, और वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल हो सकते हैं।

पद और प्रतिष्ठा में गिरावट: अशुभ बुध का प्रभाव जातक की सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इस स्थिति में जातक को किसी गलती या अनुचित कार्य के कारण अपने पद से नीचे गिरना पड़ सकता है। समाज में उनका मान-सम्मान कम हो सकता है, और वे अपनी प्रतिष्ठा खो सकते हैं।

आर्थिक हानि और अपयश: अशुभ बुध के कारण जातक को अपने गलत कार्यों के कारण भारी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, जातक को अपने अनुचित कार्यों के कारण समाज में अपयश और मानहानि झेलनी पड़ सकती है। कुछ विशेष स्थितियों में, जातक को कोर्ट केस या अन्य कानूनी मामलों का सामना भी करना पड़ सकता है, जिसके चलते उन्हें धन, पद और यश की हानि हो सकती है।

नैतिक और कानूनी समस्याएं: यदि अशुभ बुध जातक को प्रभावित कर रहा हो, तो उनके गलत निर्णय या कार्यों के कारण उन्हें कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे मामलों में जातक को कोर्ट केस, अभियोग या अन्य कानूनी विवादों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे न केवल उनका धन बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा भी खतरे में पड़ सकती है।

दसवें भाव में उच्च का बुध जातक को व्यवसायिक सफलता, ऐश्वर्य, नाम, यश, और सरकारी सेवाओं में उच्च पद दिला सकता है। यह जातक को तार्किक और व्यावसायिक कुशलता प्रदान करता है, जिससे वे अपने करियर में विशेष उन्नति करते हैं। वहीं अशुभ बुध जातक के करियर में असफलता, आर्थिक हानि, अपयश और कानूनी समस्याओं का कारण बन सकता है। अशुभ बुध के प्रभाव को कम करने के लिए बुध से जुड़े उपाय, जैसे बुध के मंत्रों का जाप, हरे रंग का रत्न धारण करना, या बुधवार का व्रत रखना, लाभकारी हो सकता है।

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नवम भाव में उच्च के बुध का फल  | Allso
नवम भाव में उच्च के बुध का फल

नवम भाव में उच्च के बुध का फल: शुभ और अशुभ प्रभाव

नवम भाव ज्योतिष में भाग्य, धर्म, आध्यात्मिकता, उच्च शिक्षा, विदेशी यात्राओं, पिता और जीवन के उच्च उद्देश्यों से जुड़ा होता है। जब किसी कुंडली के नवम भाव में बुध उच्च स्थिति (कन्या राशि) में होता है, तो इसका प्रभाव जातक के जीवन में गहरे और महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है। शुभ बुध जातक के लिए सौभाग्य और सफलता लाता है, जबकि अशुभ बुध कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है।

शुभ प्रभाव:

पिता से सहयोग और धन: नवम भाव में उच्च का बुध जातक को उनके पिता से विशेष समर्थन और सहयोग प्राप्त करवा सकता है। इस प्रभाव के तहत, जातक अपने पिता की ओर से जीवनभर आर्थिक सहायता, धन, संपत्ति, और नाम यश प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे जातकों के पिता उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनके जीवन को दिशा देने में सहायक होते हैं।

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विदेशों में सफलता: शुभ बुध का प्रभाव जातक को विदेश में बसने और वहाँ पर सफल होने के अवसर प्रदान कर सकता है। इस स्थिति में जातक विदेशों में जाकर अच्छा करियर बना सकते हैं और बहुत धन अर्जित कर सकते हैं। यह उन्हें समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान दिला सकता है और उनके जीवन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सफल बना सकता है।

धार्मिक या आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता: नवम भाव में उच्च के बुध का शुभ प्रभाव जातक को धार्मिक, आध्यात्मिक या सामाजिक संस्थाओं में उच्च पद प्रदान कर सकता है। ऐसे जातक धर्म, अध्यात्म, या समाज सेवा के कार्यों में गहरी रुचि रखते हैं और इस क्षेत्र में उच्च पदों तक पहुंच सकते हैं। कुछ जातक गुरुओं, धार्मिक नेताओं, या महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यकर्ताओं के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकते हैं।

उच्च शिक्षा और ज्ञान: नवम भाव उच्च शिक्षा और ज्ञान का भाव है, और उच्च का बुध जातक को शिक्षा के क्षेत्र में विशेष सफलता दिला सकता है। ऐसे जातक विद्वान होते हैं और अपने ज्ञान के कारण समाज में मान्यता प्राप्त करते हैं। बुध की यह स्थिति उन्हें बुद्धिमानी और तार्किकता प्रदान करती है, जिससे वे जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं।

अशुभ प्रभाव:

व्यवसाय में समस्याएं: यदि नवम भाव में बुध अशुभ स्थिति में हो, तो यह जातक के व्यवसाय में बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है। व्यवसायिक क्षेत्र में रुकावटें, असफलताएँ, और विरोधियों का सामना करना पड़ सकता है। अशुभ बुध के कारण जातक को बार-बार समस्याओं का सामना करना पड़ता है और व्यापारिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

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Best Reiki Healer Dr. Rupal Desai 

पितृ दोष और समस्याएं: नवम भाव में स्थित अशुभ उच्च का बुध पितृ दोष का निर्माण कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप जातक को अपने पितरों की ओर से समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दोष के कारण जातक को जीवन में विभिन्न प्रकार की बाधाओं और संकटों का सामना करना पड़ सकता है। व्यवसाय में हानि, विरोधियों के षड्यंत्र, और सामाजिक अपयश का सामना भी करना पड़ सकता है।

लंबी बीमारियां: अशुभ बुध का प्रभाव जातक को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित कर सकता है। इस स्थिति में जातक को लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, जो जीवन को कष्टकारी बना सकती हैं। ये बीमारियाँ लंबे समय तक जातक के जीवन में बनी रह सकती हैं और इनके इलाज में भी कठिनाइयाँ आ सकती हैं।

भाग्य में कमी: नवम भाव भाग्य का भाव है, और यदि इसमें बुध अशुभ हो, तो जातक के भाग्य में कमी आ सकती है। ऐसे जातकों को अपने जीवन में बार-बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, और भाग्य उनके साथ नहीं देता। उन्हें सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है, फिर भी सफलता में विलंब हो सकता है।

नवम भाव में उच्च का बुध जातक को भाग्य, शिक्षा, विदेशों में सफलता, और पिता से सहयोग दिला सकता है। यह उन्हें धर्म, अध्यात्म, और समाज सेवा के क्षेत्रों में भी उन्नति प्रदान कर सकता है। लेकिन यदि बुध अशुभ हो, तो व्यवसायिक समस्याएं, पितृ दोष, स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयाँ, और भाग्य की कमी जैसे प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं। अशुभ बुध के निवारण के लिए बुध के मंत्रों का जाप, बुधवार का व्रत, और पन्ना रत्न धारण करना लाभकारी हो सकता है।

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अष्टम भाव में उच्च के बुध का फल | Allso
अष्टम भाव में उच्च के बुध का फल

अष्टम भाव में उच्च के बुध का फल: शुभ और अशुभ प्रभाव

अष्टम भाव ज्योतिष में मृत्यु, रहस्य, गुप्त विद्याएं, आयु, और परिवर्तन का भाव माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध अष्टम भाव में उच्च स्थिति में (कन्या राशि में) हो, तो इसके प्रभाव जातक के जीवन के गहरे और रहस्यमयी पहलुओं पर दिखाई देते हैं। बुध की शुभ स्थिति जातक के लिए सकारात्मक परिणाम लाती है, जबकि अशुभ स्थिति कुछ कठिनाइयाँ उत्पन्न कर सकती है।

शुभ प्रभाव:

लंबी आयु: अष्टम भाव आयु से जुड़ा होता है, और उच्च का बुध जातक को लंबी और स्वस्थ आयु प्रदान कर सकता है। ऐसे जातक सामान्य से अधिक आयु तक जीवित रहते हैं और जीवन की चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार कर लेते हैं। बुध की यह स्थिति जातक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

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आध्यात्मिकता और पराविज्ञान में रूचि: उच्च का बुध जातक को आध्यात्मिकता और पराविज्ञान के क्षेत्र में गहरी रुचि प्रदान कर सकता है। जातक को रहस्यमयी और गूढ़ विद्याओं में अभिरुचि हो सकती है, और वे आध्यात्मिकता या गुप्त ज्ञान के किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं। कुछ जातक इन क्षेत्रों को अपना व्यवसाय भी बना सकते हैं और इससे अच्छा आर्थिक लाभ कमा सकते हैं।

गुप्त विद्याओं का ज्ञान: उच्च के बुध का प्रभाव जातक को गुप्त विद्याओं, तंत्र-मंत्र, ज्योतिष, और अन्य रहस्यमयी ज्ञान की ओर आकर्षित करता है। जातक गहरे और छिपे हुए विषयों को समझने में सक्षम होते हैं, जिससे उन्हें इन विषयों में महारत हासिल हो सकती है। यह उन्हें समाज में एक विशेष पहचान और प्रतिष्ठा दिला सकता है।

आर्थिक लाभ: शुभ बुध जातक को अनपेक्षित स्रोतों से धन की प्राप्ति करा सकता है। कुछ जातक अचानक लाभ, वसीयत, या निवेश से धन अर्जित कर सकते हैं। अष्टम भाव में बुध के शुभ प्रभाव के कारण जातक को उत्तराधिकार या छिपे हुए धन का लाभ हो सकता है।

अशुभ प्रभाव:

वैवाहिक समस्याएं: अष्टम भाव में बुध की अशुभ स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन में कठिनाइयाँ पैदा कर सकती है। जीवनसाथी के साथ तालमेल की कमी, विचारों में मतभेद, और विवाद होने की संभावना रहती है। वैवाहिक जीवन में तनाव और अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है, जिससे जातक को मानसिक तनाव और वैवाहिक जीवन में संतोष की कमी महसूस हो सकती है।

व्यवसाय में असफलता: यदि अष्टम भाव में बुध अशुभ हो, तो जातक के व्यवसाय में लगातार रुकावटें और विफलताएँ आ सकती हैं। अशुभ बुध के प्रभाव से जातक को व्यवसाय में नुकसान हो सकता है, और वे आर्थिक संकटों का सामना कर सकते हैं। कुछ जातकों को व्यापार में धोखा या साझेदारियों में विवादों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनका व्यवसायिक जीवन प्रभावित हो सकता है।

संतान सुख में विलंब: अष्टम भाव में अशुभ बुध संतान से जुड़े मामलों में समस्याएं पैदा कर सकता है। जातक को संतान सुख प्राप्त करने में कठिनाइयाँ हो सकती हैं, और कभी-कभी इसके लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। संतान प्राप्ति में विलंब के कारण जातक को मानसिक तनाव हो सकता है, और इसके लिए उन्हें चिकित्सा सहायता लेनी पड़ सकती है।

आर्थिक हानि: अशुभ बुध जातक को अनपेक्षित आर्थिक समस्याओं का सामना करने के लिए मजबूर कर सकता है। व्यापार या निवेश में नुकसान, धोखा, या चोरी जैसी समस्याएं जातक की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर सकती हैं।

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अष्टम भाव में उच्च का बुध जातक को लंबी आयु, आध्यात्मिक उन्नति, और गुप्त विद्याओं में ज्ञान प्रदान करता है। इससे जातक अपने जीवन के गूढ़ पहलुओं को समझने और उनमें सफलता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। हालांकि, यदि बुध अशुभ हो, तो जातक को वैवाहिक जीवन में कठिनाइयाँ, व्यवसाय में असफलता, और संतान प्राप्ति में विलंब जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति को सुधारने के लिए बुध के लिए उपाय किए जा सकते हैं, जैसे बुध मंत्रों का जाप, बुधवार का व्रत, और हरे रंग की वस्तुओं का दान।

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मां ब्रह्मचारिणी: नवरात्रि के द्वितीय दिन की पूजा विधि, महात्म्य और पौराणिक कथा
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मां ब्रह्मचारिणी: नवरात्रि के द्वितीय दिन की पूजा विधि, महात्म्य और पौराणिक कथा

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में से यह दूसरा स्वरूप अत्यंत पवित्र, शुद्ध और तपस्या का प्रतीक है। ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ होता है तपस्या या तपस्वी जीवन, और ‘चारिणी’ का अर्थ होता है आचरण करने वाली। इस प्रकार, मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप संयम, साधना और अनुशासन का प्रतीक है। नवरात्रि के दूसरे दिन की पूजा उनके तपस्वी रूप की आराधना के रूप में की जाती है।

नवरात्रि के द्वितीय दिन क्या करना चाहिए?

द्वितीय नवरात्रि के दिन भक्तों को संयम, आत्मनियंत्रण और एकाग्रता का पालन करना चाहिए। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से साधक को जीवन के कठिन समय में धैर्य, शांति और शक्ति प्राप्त होती है। यह दिन विशेष रूप से मानसिक शांति और धैर्य को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पूजा के साथ-साथ, इस दिन व्रत रखने और अपने आचरण को शुद्ध रखने का भी विशेष महत्व है।

कलश की पूजा और नवदुर्गा का आह्वान: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, जो पूरे नवरात्रि के दौरान पूजनीय होती है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय कलश के सामने दीप जलाकर नवदुर्गा का आह्वान किया जाता है। दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भक्त के मन को शांति मिलती है।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और तपस्विनी है। वह दो हाथों वाली देवी हैं। उनके एक हाथ में जप की माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है। जप माला उनके निरंतर ध्यान और साधना का प्रतीक है, जबकि कमंडल उनके तपस्वी जीवन और वैराग्य का संकेत देता है। इस स्वरूप से यह संदेश मिलता है कि आत्मसंयम, साधना और तपस्या जीवन के हर क्षेत्र में आवश्यक हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की पौराणिक कथा

मां ब्रह्मचारिणी का पूर्व जन्म की कथा भी देवी सती से जुड़ी हुई है। अपने पिछले जन्म में, मां सती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी। यह तपस्या इतनी कठोर थी कि उन्होंने हजारों वर्षों तक केवल फल और फिर केवल पत्तों पर ही अपना जीवन बिताया। अंततः उन्होंने पानी तक का त्याग कर दिया। उनकी कठोर तपस्या से सभी देवता और ऋषि-मुनि प्रभावित हुए। उनके इस तपस्वी जीवन के कारण ही उन्हें 'ब्रह्मचारिणी' कहा गया।

उनकी तपस्या की यह कथा प्रेरणादायक है और यह संदेश देती है कि संकल्प, धैर्य और तपस्या से किसी भी कठिन कार्य को सिद्ध किया जा सकता है। उनकी साधना और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। यह कथा हमें जीवन में धैर्य और समर्पण का महत्व सिखाती है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि में विशेष रूप से शुद्धता और संयम का ध्यान रखा जाता है। पूजा विधि में निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।

मां को सफेद रंग के फूल अर्पित करें, क्योंकि सफेद रंग पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है।

उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

मां ब्रह्मचारिणी के ध्यान और तपस्या का स्मरण करते हुए उनके इस मंत्र का जाप करें:

मंत्र:

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।

इस मंत्र का जाप करने के बाद मां ब्रह्मचारिणी को फल, मिश्री और पंचामृत का भोग अर्पित करें।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और उन्हें अपनी साधना और तपस्या से प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना करें।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना साधक के जीवन में संयम, शक्ति और अनुशासन का संचार करती है। उनकी कृपा से साधक को तपस्वी जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है और कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है।

जो लोग जीवन में मानसिक अशांति या अव्यवस्था का अनुभव कर रहे होते हैं, उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन में संतुलन और धैर्य की प्राप्ति होती है।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और महात्म्य

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत साधारण होते हुए भी अद्वितीय तपस्विनी है। उनका तप और साधना यह सिखाता है कि जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या और संकल्प आवश्यक हैं।

उनके तपस्वी स्वरूप का दर्शन भक्तों को यह प्रेरणा देता है कि भौतिक सुखों की चाह छोड़कर, ईश्वर की उपासना और ध्यान में लीन होना ही सच्चा आनंद है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक को जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

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मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के विशेष स्तोत्र

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना में निम्नलिखित स्तोत्र का पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र मां ब्रह्मचारिणी के गुणों और महिमा का वर्णन करता है और साधक को मानसिक शांति और आत्मशक्ति प्रदान करता है।

या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लाभ

स्वास्थ्य: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। जो लोग मानसिक तनाव या अवसाद का सामना कर रहे होते हैं, उनके लिए मां की उपासना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

धन और वित्त: मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और संतुलन आता है, जिससे वित्तीय समस्याओं का समाधान होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिलती है।

व्यापार: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से व्यापार में सफलता और वृद्धि होती है। उनकी कृपा से व्यवसाय में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और व्यापार में स्थिरता प्राप्त होती है।

शिक्षा: विद्यार्थी वर्ग के लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके आशीर्वाद से छात्रों को पढ़ाई में एकाग्रता और धैर्य मिलता है, जिससे वे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं।

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वास्तु: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से घर और कार्यस्थल का वास्तु दोष दूर होता है और वहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

वैवाहिक जीवन और प्रेम: मां ब्रह्मचारिणी की उपासना वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों में सामंजस्य और प्रेम बनाए रखने में सहायक होती है। उनकी कृपा से जीवनसाथी के साथ संबंध मधुर और स्थिर रहते हैं।

भविष्य की योजना और अध्ययन: जो लोग अपने भविष्य के लिए अध्ययन कर रहे हैं या किसी विशेष योजना पर काम कर रहे हैं, उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

नवरात्रि का द्वितीय दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनकी पूजा विधि, तपस्या और कथा का स्मरण हमें जीवन में धैर्य, संयम और आत्मसंयम के महत्व को सिखाता है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से जीवन में संतुलन, शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

मां ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और धैर्य प्राप्त होता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।

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मां शैलपुत्री: नवरात्रि के प्रथम दिन की पूजा विधि, महात्म्य और कथा
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मां शैलपुत्री: नवरात्रि के प्रथम दिन की पूजा विधि, महात्म्य और कथा

नवरात्रि का प्रथम दिन मां शैलपुत्री की उपासना के लिए समर्पित होता है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में मां शैलपुत्री प्रथम रूप हैं। उनका यह स्वरूप अत्यंत शांतिपूर्ण और दिव्य है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। यह दिन सभी शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि मां शैलपुत्री की उपासना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग खुलता है।

नवरात्रि के प्रथम दिन क्या करना चाहिए?
नवरात्रि का आरंभ करने से पहले भक्तों को शुद्धता और पवित्रता का पालन करना चाहिए। दिन की शुरुआत प्रातःकाल स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करके होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करना अत्यंत आवश्यक होता है। यह कलश देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और इससे पूरे नवरात्रि की पूजा विधि शुरू होती है।

कलश स्थापना विधि

सबसे पहले एक शुद्ध ताम्बे या मिट्टी के कलश को लें और उसमें गंगाजल भरें।
कलश के ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखें।
कलश को चावल के ढेर पर रखें और उसमें दूब, सिक्का और सुपारी डालें।
इस कलश की पूजा करें और दीपक जलाकर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने स्थापित करें।
कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा विधि शुरू की जाती है। सफेद फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित कर मां की आराधना की जाती है।

मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत, दिव्य और सौम्य होता है। वे वृषभ (बैल) पर सवार होती हैं और उनके दाएं हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। त्रिशूल उनके शक्ति और साहस का प्रतीक है, जबकि कमल का पुष्प पवित्रता और शांति का संकेत देता है। मां शैलपुत्री के इस स्वरूप को देखकर यह समझा जा सकता है कि वह भक्तों को संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं, जिसमें शक्ति और करुणा का संतुलन हो।

मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा
मां शैलपुत्री के जन्म की कथा पुराणों में विस्तार से बताई गई है। उनके पूर्व जन्म की कहानी देवी सती से जुड़ी हुई है, जो राजा दक्ष की पुत्री थीं और भगवान शिव की पत्नी थीं। एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया और भगवान शिव को उसमें आमंत्रित नहीं किया। जब सती को इस अपमान का पता चला, तो वह अत्यंत दुखी हुईं और अपने पिता के यज्ञ में बिना निमंत्रण के पहुंचीं। यज्ञ में भगवान शिव का अपमान देखकर सती ने आत्मदाह कर लिया। अगले जन्म में वे पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्मीं और उन्हें शैलपुत्री कहा गया।

मां शैलपुत्री ने कठिन तपस्या के बाद पुनः भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। यह कथा दर्शाती है कि मां शैलपुत्री आत्मशक्ति, संकल्प और धैर्य की देवी हैं। उनके इस रूप की उपासना से साधक को जीवन में सभी कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि
मां शैलपुत्री की पूजा के लिए भक्त को शुद्धता और नियम का पालन करना चाहिए। पूजा विधि में निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन लगाकर बैठें।
मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र पहनाएं, क्योंकि यह रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
मां को सफेद पुष्प, विशेष रूप से चमेली या मोगरे के फूल अर्पित करें।
धूप, दीपक जलाएं और मां को घी से बनी मिठाई या खीर का भोग अर्पित करें।

मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें
मंत्र

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त के मन में शांति और स्थिरता आती है और जीवन के कठिन दौर में भी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
मां शैलपुत्री की पूजा का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से अत्यंत महत्व है। उनका आशीर्वाद जीवन में स्थिरता, मानसिक शांति और सफलता लाता है। विशेष रूप से जो लोग मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए मां शैलपुत्री की उपासना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
भक्तों का मानना है कि मां शैलपुत्री की कृपा से सभी दुखों और बाधाओं का अंत होता है और व्यक्ति को जीवन के हर पहलू में सफलता प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री की उपासना के लिए विशेष स्तोत्र

मां शैलपुत्री की उपासना में विशेष स्तोत्र का पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र मां की महिमा और गुणों का वर्णन करता है और उनके आशीर्वाद से साधक को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। स्तोत्र का पाठ करने से साधक के जीवन में सकारात्मकता का प्रवाह होता है और उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री स्वरूप की उपासना विधि
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना के दौरान निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:

प्रातः स्नान के बाद मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
उन्हें सफेद वस्त्र अर्पित करें और सफेद फूलों से उनकी पूजा करें।
धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित कर मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।

इस दौरान मां शैलपुत्री के इस मंत्र का जाप करें
मंत्र

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।
इस मंत्र का जाप नवरात्रि के प्रथम दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे साधक को आत्मशक्ति और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री की पूजा के लाभ: स्वास्थ्य, धन, व्यापार, शिक्षा और प्रेम जीवन

स्वास्थ्य: मां शैलपुत्री की उपासना से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से शरीर में ऊर्जा और मन में शांति का अनुभव होता है। जो लोग लंबे समय से बीमारियों से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए मां शैलपुत्री की उपासना विशेष लाभकारी मानी जाती है।

धन और वित्त: मां शैलपुत्री की पूजा से साधक के जीवन में धन और समृद्धि का प्रवाह होता है। जो लोग आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं, उनके लिए मां की उपासना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

व्यापार: मां शैलपुत्री का आशीर्वाद व्यापार में सफलता और समृद्धि लाता है। नवरात्रि के पहले दिन मां की आराधना करने से व्यापार में आने वाली सभी रुकावटें दूर होती हैं और व्यवसाय में वृद्धि होती है।

शिक्षा: मां शैलपुत्री की उपासना से विद्यार्थियों को शिक्षा में सफलता मिलती है। जो विद्यार्थी अपने भविष्य के अध्ययन के लिए मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, उन्हें हर परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है।

वास्तु: मां शैलपुत्री की पूजा से घर का वास्तु दोष भी दूर होता है। उनका आशीर्वाद घर में शांति, प्रेम और सौहार्द बनाए रखने में मदद करता है। वैवाहिक जीवन और प्रेम: मां शैलपुत्री की उपासना वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों में आने वाली बाधाओं को दूर करती है। उनके आशीर्वाद से दांपत्य जीवन में सुख, प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।

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आज का भविष्यफल (15 अक्टूबर 2024): तारा टैरो कार्ड (The Star) के आधार पर
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आज का भविष्यफल (15 अक्टूबर 2024): तारा टैरो कार्ड (The Star) के आधार पर

आज का दिन आपके लिए आशा और नई संभावनाओं से भरा हुआ है। तारा टैरो कार्ड आज आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव और नवीनीकरण का संकेत दे रहा है। यह दिन आपको आत्म-सुधार और आत्म-ज्ञान के रास्ते पर ले जा सकता है। अगर आप पिछले कुछ दिनों से तनाव में थे, तो आज आपको शांति और स्थिरता प्राप्त होगी।

मुख्य भविष्यवाणी:

  1. व्यक्तिगत जीवन: आज आपके व्यक्तिगत जीवन में शांति और सामंजस्य रहेगा। जिन समस्याओं का सामना आप लंबे समय से कर रहे थे, वे अब धीरे-धीरे सुलझने लगी हैं। आपको अपने संबंधों में नई ऊर्जा और ताजगी का अनुभव होगा। अगर आप किसी के साथ संवाद सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, तो आज का दिन इसके लिए बेहतरीन है।

  2. पेशेवर जीवन: आपका पेशेवर जीवन भी नई संभावनाओं की ओर बढ़ रहा है। अगर आप किसी नई परियोजना पर काम कर रहे हैं, तो यह दिन आपके लिए रचनात्मक ऊर्जा और प्रेरणा से भरा होगा। अपने काम में नई दिशा और स्थिरता मिलेगी, जिससे आप अपनी योजनाओं को साकार कर पाएंगे।

  3. स्वास्थ्य: तारा कार्ड आज आपके स्वास्थ्य के लिए भी एक सकारात्मक संकेत दे रहा है। अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो आज आपको सुधार महसूस हो सकता है। योग और ध्यान जैसे आत्मिक अभ्यास आज आपके लिए फायदेमंद रहेंगे।

  4. आध्यात्मिकता: यह दिन आत्म-चिंतन और आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए उपयुक्त है। आप अपने जीवन के उद्देश्य और अपनी आंतरिक शक्तियों के प्रति अधिक सजग होंगे। आज का दिन आध्यात्मिक प्रथाओं को गहराई से अपनाने और आत्मा से जुड़ने का है।

आज के लिए सलाह:

  • आशावादी बनें: अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें और नई संभावनाओं को स्वीकार करें।
  • आध्यात्मिकता का पालन करें: ध्यान और आत्म-सुधार के लिए समय निकालें। यह आपके मन और आत्मा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।
  • संबंधों को संवारें: आज अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं। यह आपके व्यक्तिगत जीवन में संतुलन और शांति लाएगा।
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Venus Transit in Taurus 2024
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Venus Transit in Taurus 2024
Venus or Shukra is associated with beauty, love and luxury/ comfort. This is the brightest planet among the all planets. This time Venus is transit in Taurus sign, which is ruled by Venus itself. Transit date and time: Date - May 19, 2024 Time - 8:29 A.M (Sunday)
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