
1. बुनियादी सिद्धांत
ज्योतिष में किसी व्यक्ति के कारावास या सजा के योग को विश्लेषण करने के लिए मुख्य रूप से छठे, आठवें और बारहवें भाव का अध्ययन किया जाता है। इन भावों में पाप ग्रहों (राहु, केतु, शनि, मंगल) की स्थिति, उनकी युति और दृष्टि से यह निर्धारित किया जाता है कि व्यक्ति को जेल जाने की संभावना है या नहीं।
2. मुख्य ग्रह और उनका प्रभाव
(क) शनि – अनुशासन, न्याय, दंड का कारक। बारहवें भाव में शनि व्यक्ति को कारावास दे सकता है।
(ख) मंगल – आक्रामकता, झगड़ा और अपराध का कारक। यदि यह छठे, आठवें या बारहवें भाव में अशुभ स्थिति में हो तो जेल योग बन सकता है।
(ग) राहु – छल-कपट, षड्यंत्र, धोखाधड़ी का कारक। यदि यह अष्टमेश के साथ हो तो बड़े अपराध के कारण जेल हो सकता है।
(घ) केतु – रस्सी, बेड़ी, हथकड़ी का कारक। यदि यह मंगल या राहु के साथ दृष्टि संबंध बना ले तो व्यक्ति को कारावास मिल सकता है।
(ङ) सूर्य, चंद्रमा, बुध – यदि यह कमजोर हों और पाप ग्रहों से प्रभावित हों तो व्यक्ति को सरकारी मामलों में दोषी ठहराया जा सकता है।
3. मुख्य ज्योतिषीय योग जो जेल यात्रा कराते हैं
अंगारक योग – यदि कुंडली में अशुभ मंगल और राहु के बीच दृष्टि संबंध हो तो व्यक्ति हिंसक हो सकता है और जेल जाने की संभावना बढ़ जाती है।
बंधन योग – जब सूर्यादि ग्रह लग्न, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, दशम, षष्ठ एवं अष्टम भाव में समान रूप से स्थित हों तो यह योग बनता है।
गुरु-राहु या गुरु-शनि योग – यदि गुरु राहु या गुरु शनि द्वादश भाव में हों तो कोर्ट-कचहरी के मामलों में हारकर व्यक्ति को जेल जाना पड़ सकता है।
द्वादश भाव में अशुभ ग्रह – यदि द्वादश भाव में नीच ग्रह या पाप ग्रह स्थित हों और उन पर अशुभ दृष्टि हो तो व्यक्ति को कारावास हो सकता है।
शनि-मंगल दृष्टि संबंध – यदि शनि और मंगल एक-दूसरे को देख रहे हों तो व्यक्ति झगड़े और विवाद में फंस सकता है जिससे जेल यात्रा हो सकती है।
मंगल, राहु, शनि की युति – यह सबसे शक्तिशाली जेल योगों में से एक है।
लग्न में अशुभ ग्रहों की स्थिति – यदि लग्न में अशुभ ग्रह हों और द्वितीय, षष्ठ, अष्टम या द्वादश भाव से संबंध हो तो व्यक्ति को जेल जाने की संभावना रहती है।
4. लग्न और राशि अनुसार जेल योग के प्रभाव
मेष, मिथुन, कन्या, तुला लग्न – यदि इन लग्नों में द्वितीय, पंचम, नवम और द्वादश भाव में पाप ग्रह हों तो व्यक्ति को हथकड़ी लग सकती है।
कर्क, मकर, मीन लग्न – यदि द्वितीय और द्वादश भाव में अशुभ ग्रह हों तो व्यक्ति को नजरबंद या सरकारी निगरानी में रखा जा सकता है।
वृश्चिक लग्न – द्वितीय, पंचम, नवम और द्वादश भाव में अशुभ ग्रहों की स्थिति से व्यक्ति को जेल हो सकती है।
5. गोचर और दशा अनुसार जेल योग की सक्रियता
यदि राहु, केतु, शनि या मंगल की महादशा/अंतर्दशा चल रही हो और वे छठे, आठवें या बारहवें भाव में हों, तो व्यक्ति को जेल जाने की संभावना रहती है।
यदि गोचर में शनि या राहु द्वादश भाव में प्रवेश कर जाएं, तो यह भी जेल योग को सक्रिय कर सकता है।
गोचर के दौरान मंगल-शनि की युति या दृष्टि होने से व्यक्ति को किसी विवाद में फंसने की संभावना होती है।
6. जेल योग को भंग करने वाले उपाय
गुरु और शुभ ग्रहों की दृष्टि – यदि द्वादश भाव में शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति को सजा से बचाया जा सकता है।
सूर्य की मजबूत स्थिति – यदि कुंडली में सूर्य मजबूत हो तो व्यक्ति पर लगे आरोपों से बच सकता है।
रुद्राभिषेक एवं महामृत्युंजय जाप – यह अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं।
राहु और शनि की शांति – राहु-केतु दोष निवारण और शनि शांति उपाय करने से भी जेल योग टल सकता है।
हनुमान उपासना – मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से इस योग के दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं।
पुण्य कार्य एवं दान – गरीबों को भोजन कराना, शनि मंदिर में तेल दान करना, अनाथालय में सेवा करना शुभ फलदायी होता है।
कुंडली में जेल योग मुख्य रूप से छठे, आठवें और बारहवें भाव से देखा जाता है। यदि इन भावों में पाप ग्रह स्थित हों, और उनकी महादशा, अंतर्दशा या गोचर अनुकूल न हो, तो व्यक्ति को जेल जाने की संभावना रहती है। हालाँकि, यदि शुभ ग्रहों की दृष्टि हो या उपाय किए जाएं, तो इस योग के प्रभाव को कम किया जा सकता है।