श्री सत्यनारायण व्रत कथा के इस चतुर्थ अध्याय में सूतजी द्वारा एक दिलचस्प कथा का वर्णन किया गया है,
जिसमें साधु वैश्य और उसकी यात्रा के अनुभवों का विवरण मिलता है।
सत्यनारायण भगवान का व्रत, उनकी महिमा, और भक्तों के प्रति उनकी करुणा का वर्णन करते हुए इस कथा में यह बताया गया है कि किसी भी प्रकार से असत्य, अहंकार और लापरवाही के परिणामस्वरूप कैसे ईश्वर का कोप भुगतना पड़ सकता है।
कथा यह भी सिखाती है कि कैसे सच्ची भक्ति और विनम्रता से सभी समस्याओं का समाधान होता है।
साधु वैश्य ने व्यापार में समृद्धि की प्राप्ति के उद्देश्य से अपने नगर की यात्रा शुरू की।
यात्रा के दौरान, एक दण्डी वेशधारी ने उससे पूछा कि उसकी नाव में क्या है।
वैश्य ने अपनी धनी स्थिति पर अहंकार करते हुए कटुता से जवाब दिया कि उसकी नाव में सिर्फ बेल और पत्ते हैं।
अहंकारपूर्ण वचन सुनकर दण्डी वेशधारी सत्यनारायण भगवान ने उसे अपने ही वचनों का सत्य होने का
आशीर्वाद दिया और वहाँ से चले गए।
इसके बाद, जब वैश्य ने अपनी नाव को देखा, तो वह आश्चर्यचकित रह गया, क्योंकि उसकी पूरी नाव सच में बेल-पत्तों से भर चुकी थी।
इस घटना ने उसे एहसास दिलाया कि उसने किसी ईश्वरीय शक्ति को अपमानित किया है।
वैश्य का दामाद उसे समझाता है कि यह सब सत्यनारायण भगवान के अपमान के कारण हुआ है, और भगवान की शरण में जाने की सलाह देता है।
वैश्य दण्डी रूप में उपस्थित भगवान के पास जाकर विनम्रता से अपनी गलती मानता है और उनसे क्षमा मांगता है।
वैश्य की विनम्रता और पश्चाताप को देखकर भगवान सत्यनारायण उसे क्षमा कर देते हैं और उसकी नाव को धन-धान्य से भर देते हैं।
इसके बाद वैश्य अपने साथियों के साथ सत्यनारायण भगवान की पूजा करता है और भगवान के आशीर्वाद से उसका व्यापार सफल हो जाता है।
वह अपने नगर लौटने की यात्रा करता है।
जब कलावती अपने पति को वहाँ न पाकर शोक करती है, तब उसके पिता वैश्य सत्यनारायण भगवान से क्षमा प्रार्थना करते हैं और कलावती को प्रसाद ग्रहण करने का आदेश देते हैं।
आकाशवाणी होती है कि यदि कलावती प्रसाद ग्रहण कर वापस लौटेगी, तो उसका पति पुनः उसे मिल जाएगा।
यह सुनकर, कलावती घर जाकर प्रसाद खाती है और फिर लौटती है, जिससे उसे अपने पति के दर्शन होते हैं।
इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि सत्यनारायण भगवान के व्रत में श्रद्धा और भक्ति अति महत्वपूर्ण हैं।
प्रसाद का सम्मान और विनम्रता का भाव ही व्यक्ति को भगवान की कृपा दिला सकते हैं।
साधु वैश्य के पूरे परिवार ने भगवान सत्यनारायण का विधिवत पूजन किया, जिससे उनके समस्त कष्ट समाप्त हो गए और अंततः उन्होंने अपने जीवन का सुख प्राप्त किया।
इस प्रकार, श्री सत्यनारायण व्रत का पालन करने वाले भक्त को इस लोक में सुख-समृद्धि और परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
भगवान सत्यनारायण सच्ची भक्ति और निष्ठा को स्वीकारते हैं, और भक्तों को हर विपत्ति से उबारते हैं।
।।इति श्री सत्यनारायण भगवान व्रत कथा का चतुर्थ अध्याय संपूर्ण ।।
श्री सत्यनारायण भगवान की जय!
Planets Magic Astrology, healing and counselling services.
Vaishalee suryavanshi is a new professional astrologer she is providing astrological services to clients. Specializing in birth chart analysis, planetary position analysis, and horoscope interpretation. She uses her expertise to help clients understand their lives better and make informed decisions. Whether you are seeking guidance for a personal issue or just curious about astrology, She is here to assist you. Book a consultation today and discover the insights astrology can provide.
Please Vist Our Best Brand Astrologer's
Consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod
tempor incididuesdeentiut labore
etesde dolore magna aliquapspendisse and the gravida.
Here You Can See Daily Updates For Any Event, Astrology, Your Life
© Copyright 2022-2023 allso.in Designed by Ved Shastra Astro Pvt. Ltd.