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2024-10-30

स्टोन हीलिंग 2024: दिवाली के लिए विशेष उपाय और लाभ

दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत में मनाए जाने वाले सबसे बड़े और प्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। इस अवसर पर, लोग अपने घरों को सजाते हैं, लक्ष्मी माता का स्वागत करते हैं, और एक-दूसरे के साथ खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं। दिवाली के इस पावन पर्व पर, स्टोन हीलिंग का उपयोग करके नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मकता को आकर्षित करने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

स्टोन हीलिंग क्या है?

स्टोन हीलिंग एक प्राचीन पद्धति है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पत्थरों और क्रिस्टल्स का उपयोग किया जाता है। इन पत्थरों में अद्वितीय ऊर्जा होती है, जो व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। प्रत्येक पत्थर की अपनी विशेषताएँ और लाभ होते हैं, जो व्यक्ति की आवश्यकता के अनुसार उपयोग किए जा सकते हैं।

स्टोन हीलिंग के लाभ

स्टोन हीलिंग के कई लाभ होते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

मानसिक तनाव को कम करना: विभिन्न पत्थरों का उपयोग मानसिक तनाव और चिंता को कम करने में किया जाता है।

ऊर्जा संतुलन: स्टोन हीलिंग शरीर के ऊर्जा चक्रों को संतुलित करने में मदद करता है।

भावनात्मक स्वास्थ्य: यह पत्थर व्यक्ति के भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: कुछ पत्थर शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।

आध्यात्मिक विकास: स्टोन हीलिंग ध्यान और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

दिवाली के लिए विशेष स्टोन हीलिंग उपाय
सकारात्मकता बढ़ाने के लिए स्टोन

दिवाली पर घर में सकारात्मकता का संचार करना आवश्यक है। इसके लिए आप निम्नलिखित पत्थरों का उपयोग कर सकते हैं।

उपाय:

क्वार्ट्ज क्रिस्टल: इसे पूजा स्थान पर रखें। यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
रोज़ क्वार्ट्ज: यह प्यार और संबंधों को बढ़ावा देता है। इसे बेडरूम में रखें।


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नकारात्मकता को दूर करने के लिए स्टोन

दिवाली पर नकारात्मकता को दूर करना आवश्यक है। कुछ विशेष पत्थर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक होते हैं।

उपाय:

ऑब्सीडियन: यह पत्थर नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है। इसे घर के कोनों में रखें।
स्मोकी क्वार्ट्ज: यह मानसिक तनाव को कम करता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
धन और समृद्धि के लिए स्टोन

दिवाली के समय, धन और समृद्धि की कामना करना आवश्यक है। इसके लिए कुछ विशेष पत्थर उपयोगी होते हैं।

उपाय:

सिट्रीन: इसे धन और समृद्धि को आकर्षित करने के लिए जाना जाता है। इसे अपने धन स्थान पर रखें।
पैसली क्रिस्टल: यह आर्थिक स्थिरता और समृद्धि में सहायक होता है।
स्वास्थ्य और कल्याण के लिए स्टोन

दिवाली के समय, स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है। कुछ पत्थर शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

उपाय:

अम्येथिस्ट: यह तनाव को कम करने और स्वास्थ्य में सुधार के लिए उपयोग किया जाता है।
ग्रीन जेड: यह स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और शांति लाने में सहायक होता है।
आध्यात्मिकता और ध्यान के लिए स्टोन

दिवाली के समय, आध्यात्मिकता का ध्यान रखना आवश्यक है। पत्थरों का उपयोग ध्यान में मदद करता है।

उपाय:

लैपिस लाज़ुली: यह ध्यान और आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ाता है। इसे ध्यान करते समय अपने पास रखें।
सोडलाइट: यह मानसिक स्पष्टता और ध्यान को बढ़ावा देता है।
दिवाली पूजा में स्टोन हीलिंग का उपयोग
पूजा स्थान को चार्ज करना

दिवाली पूजा के समय, पूजा स्थान को सकारात्मक ऊर्जा से चार्ज करना आवश्यक है।

उपाय:

पत्थरों का चक्र: पूजा स्थान के चारों ओर पत्थरों का चक्र बनाएं। इससे पूजा की ऊर्जा बढ़ेगी।
दीप जलाते समय स्टोन का उपयोग: दीप जलाते समय अपने हाथों में स्टोन लेकर ध्यान करें। इससे सकारात्मकता और शक्ति का संचार होगा।
मंत्रों का जाप करते समय स्टोन

दिवाली के समय, मंत्रों का जाप करते समय स्टोन का उपयोग करें।

उपाय:

मंत्र जाप के दौरान स्टोन को पकड़े रहें: जैसे ही आप मंत्र जाप करें, अपने हाथों में स्टोन को पकड़ें। इससे ऊर्जा और ध्यान में वृद्धि होगी।
पत्थरों का ऊर्जावान चक्र: मंत्र जाप करते समय चारों ओर पत्थरों का चक्र बनाएं। इससे मंत्र की शक्ति बढ़ेगी।
सकारात्मकता और प्रेम का संचार

दिवाली पर प्यार और संबंधों को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। स्टोन इस संदर्भ में सहायक होते हैं।

उपाय:

रोज़ क्वार्ट्ज: इसे परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम बढ़ाने के लिए उपयोग करें।
पत्थरों को परिवार के साथ साझा करें: अपने परिवार के साथ स्टोन का साझा करें। इससे संबंधों में मजबूती आएगी।
दिवाली के बाद स्टोन हीलिंग के उपाय
पारिवारिक संबंधों को बढ़ावा देना

दिवाली के बाद, पारिवारिक संबंधों को मजबूत करना आवश्यक है।

उपाय:

पत्थरों के साथ पारिवारिक ध्यान: परिवार के सदस्यों के साथ पत्थरों का उपयोग करके ध्यान करें। इससे सामंजस्य और प्रेम बढ़ेगा।
साझा स्टोन सत्र: अपने परिवार के साथ स्टोन हीलिंग सत्र आयोजित करें।

 

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आर्थिक स्थिति में सुधार

दिवाली के बाद, आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पत्थरों का उपयोग करें।

उपाय:

सिट्रीन का उपयोग: इसे अपने ऑफिस या काम की जगह पर रखें। इससे धन और समृद्धि में वृद्धि होगी।
धन के लिए मंत्र जाप: "ॐ श्रीं लक्ष्मी नमः" का जाप करते समय सिट्रीन को पकड़ें।
स्वास्थ्य में सुधार

दिवाली के बाद, स्वास्थ्य का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।

उपाय:

अम्येथिस्ट का उपयोग: इसे अपने सोने के स्थान पर रखें। इससे रात में नींद की गुणवत्ता में सुधार होगा।
स्टोन वाटर: अम्येथिस्ट को पानी में डालकर कुछ घंटों के लिए छोड़ें और उसे पीएं। इससे स्वास्थ्य में सुधार होगा।
दिवाली का त्योहार केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है अपने जीवन को नकारात्मकता से मुक्त करने और सकारात्मकता का स्वागत करने का। स्टोन हीलिंग एक प्रभावशाली तकनीक है, जो दिवाली के इस खास मौके पर आपकी जीवन ऊर्जा को बढ़ाने, शांति और संतुलन लाने में मदद कर सकती है।

इस दिवाली, स्टोन हीलिंग के उपायों का पालन करें और अपने जीवन को समृद्धि, सुख और शांति से भर दें। आपके द्वारा किए गए प्रयास निश्चित रूप से आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।

 

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नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि

मां शैलपुत्री की पूजा के लिए भक्त को शुद्धता और नियम का पालन करना चाहिए।

पूजा विधि में निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन लगाकर बैठें।
मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र पहनाएं, क्योंकि यह रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
मां को सफेद पुष्प, विशेष रूप से चमेली या मोगरे के फूल अर्पित करें।
धूप, दीपक जलाएं और मां को घी से बनी मिठाई या खीर का भोग अर्पित करें।
मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें:
मंत्र:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त के मन में शांति और स्थिरता आती है और जीवन के कठिन दौर में भी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि
मां शैलपुत्री की पूजा के लिए भक्त को शुद्धता और नियम का पालन करना चाहिए। पूजा विधि में निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन लगाकर बैठें।
मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र पहनाएं, क्योंकि यह रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
मां को सफेद पुष्प, विशेष रूप से चमेली या मोगरे के फूल अर्पित करें।
धूप, दीपक जलाएं और मां को घी से बनी मिठाई या खीर का भोग अर्पित करें।
मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें:
मंत्र:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त के मन में शांति और स्थिरता आती है और जीवन के कठिन दौर में भी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।


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नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का स्वरूप और पौराणिक कथा

मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत, दिव्य और सौम्य होता है। वे वृषभ (बैल) पर सवार होती हैं और उनके दाएं हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। त्रिशूल उनके शक्ति और साहस का प्रतीक है, जबकि कमल का पुष्प पवित्रता शांति का संकेत देता है। मां शैलपुत्री के इस स्वरूप को देखकर यह समझा जा सकता है कि वह भक्तों को संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं, जिसमें शक्ति और करुणा का संतुलन हो।

मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा
मां शैलपुत्री के जन्म की कथा पुराणों में विस्तार से बताई गई है। उनके पूर्व जन्म की कहानी देवी सती से जुड़ी हुई है, जो राजा दक्ष की पुत्री थीं और भगवान शिव की पत्नी थीं। एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया और भगवान शिव को उसमें आमंत्रित नहीं किया। जब सती को इस अपमान का पता चला, तो वह अत्यंत दुखी हुईं और अपने पिता के यज्ञ में बिना निमंत्रण के पहुंचीं। यज्ञ में भगवान शिव का अपमान देखकर सती ने आत्मदाह कर लिया। अगले जन्म में वे पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्मीं और उन्हें शैलपुत्री कहा गया।

मां शैलपुत्री ने कठिन तपस्या के बाद पुनः भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। यह कथा दर्शाती है कि मां शैलपुत्री आत्मशक्ति, संकल्प और धैर्य की देवी हैं। उनके इस रूप की उपासना से साधक को जीवन में सभी कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।

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मां शैलपुत्री: नवरात्रि के प्रथम दिन की पूजा विधि

नवरात्रि का प्रथम दिन मां शैलपुत्री की उपासना के लिए समर्पित होता है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में मां शैलपुत्री प्रथम रूप हैं। उनका यह स्वरूप अत्यंत शांतिपूर्ण और दिव्य है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। यह दिन सभी शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि मां शैलपुत्री की उपासना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग खुलता है।

नवरात्रि के प्रथम दिन क्या करना चाहिए?
नवरात्रि का आरंभ करने से पहले भक्तों को शुद्धता और पवित्रता का पालन करना चाहिए। दिन की शुरुआत प्रातःकाल स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करके होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करना अत्यंत आवश्यक होता है। यह कलश देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और इससे पूरे नवरात्रि की पूजा विधि शुरू होती है।

कलश स्थापना विधि:

सबसे पहले एक शुद्ध ताम्बे या मिट्टी के कलश को लें और उसमें गंगाजल भरें।
कलश के ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखें।
कलश को चावल के ढेर पर रखें और उसमें दूब, सिक्का और सुपारी डालें।
इस कलश की पूजा करें और दीपक जलाकर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने स्थापित करें।
कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा विधि शुरू की जाती है। सफेद फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित कर मां की आराधना की जाती है।

 मां शैलपुत्री का पूजा मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त के मन में शांति और स्थिरता आती है और जीवन के कठिन दौर में भी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

 

 

नवरात्रि के नवम दिन की पूजा विधि

  • नवमी दिन (सिद्धिदात्री): अपने घर में सभी को आमंत्रित करें और प्रसाद का वितरण करें।
  • नए कार्यों की शुरुआत करें और प्रसाद का वितरण करें।
  • नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और पूजा विधि होती है। यहाँ पर नवम  दिन की पूजा विधि का से वर्णन किया गया है:

         नवमी दिन: सिद्धिदात्री (नवमी)

  • पूजा विधि:
  • देवी को वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
  • शक्कर का भोग लगाएं और प्रसाद बांटें।
  • मंत्र: "ॐ ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः" का जाप करें।
  • नैवेद्य: काले तिल का भोग अर्पित करें और दान करें। 
  • सामान्य पूजा विधि
  • दीपक: प्रत्येक दिन देवी के समक्ष दीप जलाना न भूलें।
  • आरती: पूजा के अंत में देवी की आरती करें और मनोकामनाएं प्रकट करें।
  • प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को परिवार और मित्रों में बांटें।

इन विधियों का पालन करने से आप देवी माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। जय माता दी!

नवरात्रि के अष्टम दिन की पूजा विधि

  • अष्टमी दिन (महागौरी): विशेष रूप से नंदी के प्रतीक का पूजन करें।
  • अपने घर की सफाई करें और विशेष पूजा का आयोजन करें।
  • नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। अष्टम दिन का अपना विशेष महत्व और पूजा विधि होती है। यहाँ पर अष्टम   दिन की पूजा विधि का  वर्णन किया गया है:

अष्टमी दिन: महागौरी (अष्टमी)

  • पूजा विधि:
  • देवी को नारियल और काले तिल का भोग अर्पित करें।
  • मंत्र: "ॐ ह्रीं वरदायै नमः" का जप करें।
  • नैवेद्य: नारियल का प्रसाद अर्पित करें।
  •  
  • सामान्य पूजा विधि

  • दीपक: प्रत्येक दिन देवी के समक्ष दीप जलाना न भूलें।
  • आरती: पूजा के अंत में देवी की आरती करें और मनोकामनाएं प्रकट करें।
  • प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को परिवार और मित्रों में बांटें।
  • इन विधियों का पालन करने से आप देवी माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। जय माता दी!