एकादश मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव के रूद्र रूप का प्रतीक है और इसे भगवान हनुमान का प्रतीक भी माना जाता है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति को अद्वितीय भक्ति, शक्ति, और ज्ञान की प्राप्ति कराता है। इसे धारण करने वाले को हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
ज्ञान और भक्ति में वृद्धि: इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति में आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि होती है और वह भगवान के प्रति पूर्ण भक्ति प्राप्त करता है।
संतान सुख: यह रुद्राक्ष विशेष रूप से स्त्रियों के लिए लाभकारी है, जिनकी संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही हो। इसे धारण करने से संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।
मानसिक शांति और साहस: यह व्यक्ति को मानसिक शांति और साहस प्रदान करता है। इसका प्रभाव यह होता है कि धारणकर्ता के जीवन से तनाव, चिंता, और भय समाप्त हो जाते हैं।
बाधाओं का निवारण: यह रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करता है। किसी भी प्रकार के संकट, रोग, या जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति दिलाता है।
आध्यात्मिक उन्नति: यह रुद्राक्ष भगवान हनुमान का आशीर्वाद देने वाला माना जाता है, जिससे व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति होती है और उसे कठिन परिस्थितियों में भी मनोबल मिलता है।
विशेष पेशेवर लाभ: यह रुद्राक्ष खासकर बैंक कर्मचारी, चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर, इंजीनियर, वैद्य, सर्जन, पायलट, और वायु सेना से जुड़े कर्मचारियों के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। उनके कार्यक्षेत्र में उन्नति और प्रगति होती है।
एकादश मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का समय और शुभ मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसे सही विधि से और शुभ समय पर धारण करने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है।
सोमवार: सोमवार भगवान शिव का दिन है, इसलिए इस दिन इसे धारण करना सबसे शुभ माना जाता है।
शनिवार: शनिवार भी एकादश मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए उत्तम दिन माना जाता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो शनि दोष से पीड़ित होते हैं।
शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: सूर्योदय से पहले का समय, जिसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है, एकादश मुखी रुद्राक्ष धारण करने का सबसे शुभ समय होता है।
सुबह 6 से 9 बजे: ब्रह्म मुहूर्त में धारण करना संभव न हो तो सुबह के समय 6 बजे से 9 बजे तक इसे धारण किया जा सकता है।
धारण करने से पहले: इसे धारण करने से पहले स्नान कर लें और पवित्र मन से पूजा करें।
शुद्धिकरण: सबसे पहले रुद्राक्ष को गंगा जल या शुद्ध जल से धोकर शुद्ध करें।
पूजा: पूजा के समय इसे चन्दन, भस्म और सिंदूर से अर्चित करें। धूप-दीप जलाकर भगवान शिव और हनुमान की स्तुति करें।
मंत्र जप: "ॐ एकादश वकत्रस्य ॐ हुं नमः" इस मंत्र का 21 माला जप करें।
धारण करें: मंत्र जप के बाद इसे गले या दाहिने हाथ में धारण करें। इसे काले धागे या सोने-चांदी की चेन में पहन सकते हैं। इसे सोमवार या शनिवार को धारण करना शुभ होता है।
पवित्रता: इसे धारण करते समय हमेशा पवित्रता का ध्यान रखें और इसे नियमित रूप से साफ रखें।
ध्यान और पूजा: रुद्राक्ष धारण करने के बाद इसकी नियमित पूजा करें और मंत्रों का जप करते रहें।
मल-मूत्र त्याग के समय: जब आप मल-मूत्र त्याग कर रहे हों तो इस रुद्राक्ष को निकालकर रखें।
यह रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों को दूर करता है।
धारणकर्ता को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की समृद्धि प्राप्त होती है।
यह व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास और साहस का संचार करता है, जिससे वह किसी भी परिस्थिति का सामना करने में सक्षम होता है।
यह भगवान हनुमान का आशीर्वाद लेकर आता है और भक्त को उनकी अपार शक्ति का अनुभव कराता है।
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