प्रथम भाव में उच्च के शुक्र के प्रभाव को और विस्तार से समझते हैं। शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य, कला, वैभव, सुख-सुविधाओं और भौतिक सुखों का प्रतिनिधित्व करता है। जब शुक्र किसी कुंडली के प्रथम भाव में स्थित होता है, विशेष रूप से उच्च राशि में (जिसका अर्थ है कि शुक्र मीन राशि में हो), तो इसका जातक के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक। यहां और विस्तार से:
आकर्षक व्यक्तित्व: कुंडली के पहले भाव में उच्च का शुक्र जातक को न केवल शारीरिक रूप से आकर्षक बनाता है, बल्कि उनका व्यक्तित्व भी अत्यंत मोहक होता है। ऐसे जातक का चेहरा सुंदर और व्यक्तित्व आकर्षक होता है, जिससे लोग उनकी ओर स्वाभाविक रूप से खिंचते हैं।
विलासिता और धन: शुभ उच्च का शुक्र जातक को सुख-सुविधाओं और विलासितापूर्ण जीवन का आनंद देता है। ऐसे जातक के जीवन में धन और ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं रहती। उन्हें अच्छे घर, कपड़े, वाहन, और अन्य भौतिक सुख प्राप्त होते हैं।
कलात्मक क्षमता: उच्च के शुक्र के प्रभाव में ऐसे जातक कलात्मक गुणों से भरपूर होते हैं। वे संगीत, चित्रकला, नृत्य, लेखन या अन्य रचनात्मक कार्यों में उत्कृष्ट होते हैं। ये जातक कलाकार, संगीतकार, फैशन डिजाइनर, या अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में सफल हो सकते हैं।
प्रेम जीवन: प्रेम के क्षेत्र में भी उच्च का शुक्र जातक को भाग्यशाली बनाता है। उनका प्रेम जीवन सुखमय और संतोषजनक होता है। वे अपने साथी के प्रति समर्पित होते हैं और रिश्तों में गहराई बनाए रखते हैं।
लंबी आयु: कुंडली के प्रथम भाव में शुभ उच्च के शुक्र का प्रभाव जातक की आयु बढ़ाने वाला होता है। ऐसे जातक सामान्य से अधिक दीर्घायु होते हैं और उनके जीवन में स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
रोग और दुर्बलता: यदि शुक्र अशुभ हो जाए, तो जातक को अनेक प्रकार के शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ जातक जन्म से ही किसी बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं, जबकि अन्य लोग जीवन भर शारीरिक रूप से कमजोर और दुर्बल रह सकते हैं। विशेष रूप से प्रजनन और जननांग से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
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अत्यधिक कामुकता: अशुभ उच्च के शुक्र से प्रभावित जातक अत्यधिक भोग विलास की ओर झुकाव रखते हैं। उनका मन अक्सर शारीरिक सुखों की ओर आकर्षित रहता है, और वे कई स्त्रियों के साथ अनैतिक संबंध बना सकते हैं। कुछ जातक अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए वेश्याओं के पास जाने तक सीमित हो सकते हैं।
धन का अपव्यय: अशुभ उच्च के शुक्र के प्रभाव से जातक का धन अनैतिक और भौतिक सुखों पर खर्च हो सकता है। वे अपने शारीरिक सुखों के पीछे इतना धन खर्च करते हैं कि आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। इस तरह का जीवन उन्हें आर्थिक रूप से अस्थिर कर सकता है।
मानसिक और सामाजिक अपमान: ऐसे जातक के अनैतिक कृत्यों के चलते उन्हें समाज में अपयश और मान-हानि का सामना करना पड़ सकता है। उनके अनैतिक कार्यों के चलते उनका सामाजिक और पारिवारिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है। समाज में उनकी प्रतिष्ठा कम हो सकती है और वे मानसिक रूप से दुखी और निराश भी हो सकते हैं।
शुक्र ग्रह की शांति: अशुभ शुक्र के प्रभाव को कम करने के लिए शुक्र ग्रह के लिए शांति उपाय किए जा सकते हैं। शुक्र के मंत्रों का जाप, शुक्र के लिए दान, और धार्मिक कर्मकांड करना लाभदायक हो सकता है।
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सादा जीवन: अत्यधिक भौतिक सुखों के प्रति आकर्षण से बचना चाहिए और एक संतुलित, सादा जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।
व्रत और पूजा: शुक्रवार के दिन व्रत करना, सफेद वस्त्र पहनना और दुर्गा मां की पूजा करना अशुभ शुक्र के प्रभाव को कम कर सकता है।
इस प्रकार, कुंडली के प्रथम भाव में उच्च का शुक्र जातक को शुभ और अशुभ दोनों तरह के परिणाम प्रदान कर सकता है, जो इस पर निर्भर करता है कि शुक्र ग्रह का प्रभाव सकारात्मक है या नकारात्मक।
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