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2024-10-15

सप्तम भाव में उच्च के बुध का फल

सप्तम भाव में उच्च के बुध का फल: शुभ और अशुभ प्रभाव

सप्तम भाव को ज्योतिष शास्त्र में जीवनसाथी, साझेदारी, विवाह, और वैवाहिक जीवन से संबंधित माना जाता है। यदि किसी जातक की कुंडली में बुध सप्तम भाव में उच्च स्थिति में (कन्या राशि में) स्थित हो, तो इसका प्रभाव उनके वैवाहिक जीवन, साझेदारियों, और व्यवसाय पर महत्वपूर्ण पड़ता है। बुध की शुभ स्थिति सकारात्मक परिणाम प्रदान करती है, जबकि अशुभ स्थिति कुछ समस्याएँ भी उत्पन्न कर सकती है।

शुभ प्रभाव:

विवाह और वैवाहिक सुख: सप्तम भाव में उच्च का बुध जातक को समय पर विवाह का योग प्रदान करता है। इस प्रकार के जातक का विवाह सही समय पर होता है और वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि का अनुभव होता है। पति-पत्नी के बीच समझ और तालमेल अच्छा होता है, जिससे रिश्ते में मधुरता बनी रहती है।

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स्मार्ट और बुद्धिमान जीवनसाथी: उच्च के बुध के प्रभाव से जातक को बुद्धिमान, व्यवहार कुशल, और सामाजिक रूप से सक्रिय जीवनसाथी प्राप्त हो सकता है। यह जीवनसाथी जातक को हर क्षेत्र में सहयोग करता है, जिससे उनका जीवन अधिक व्यवस्थित और सफल होता है। जीवनसाथी के साथ अच्छे संबंध होने से जातक को मानसिक शांति भी मिलती है।

धनी जीवनसाथी: सप्तम भाव में शुभ बुध के प्रभाव में, जातक का विवाह किसी धनी या आर्थिक रूप से सक्षम व्यक्ति से हो सकता है। इससे जातक की आर्थिक स्थिति और सामाजिक स्तर में उन्नति होती है। विवाह के बाद इन जातकों की संपन्नता और समृद्धि बढ़ जाती है, और वे समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त करते हैं।

व्यवसाय में सफलता: सप्तम भाव व्यवसाय का भी प्रतिनिधित्व करता है, और उच्च का बुध जातक को व्यवसाय में सफलता दिला सकता है। बुध व्यापार, तर्कशक्ति, और संचार का ग्रह है, इसलिए जातक व्यापारिक मामलों में निपुण होते हैं और साझेदारी से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। कुछ जातक विदेशों में व्यवसाय स्थापित कर धन और यश अर्जित कर सकते हैं।

विदेशी यात्राएं और सफलता: बुध के उच्च होने से जातक को विदेशी यात्राओं और वहां व्यवसायिक सफलता के योग भी बन सकते हैं। विदेशों में व्यवसायिक कार्यों के कारण इन्हें आर्थिक लाभ और नाम मिलता है।

अशुभ प्रभाव:

वैवाहिक समस्याएं: यदि सप्तम भाव में बुध अशुभ हो जाए तो जातक के वैवाहिक जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। जीवनसाथी के साथ तालमेल की कमी, विचारों का असमानता, और विवाद होने की संभावना रहती है। विवाह के बाद समझ और सामंजस्य की कमी के कारण जातक और जीवनसाथी के बीच संबंधों में दरार आ सकती है।

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विवाह में देरी या अशुभ विवाह: अशुभ बुध जातक के विवाह में देरी कर सकता है। इसके अलावा, जातक का विवाह किसी ऐसे व्यक्ति से हो सकता है जिसका स्वभाव बहुत भिन्न हो, जिससे आपसी सामंजस्य की कमी रहती है। इस प्रकार के विवाह में जातक को मानसिक कष्ट हो सकता है और वैवाहिक जीवन में सुख की कमी हो सकती है।

व्यवसायिक समस्याएं: अशुभ बुध के प्रभाव में जातक को व्यवसाय में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साझेदारी में विवाद हो सकते हैं, व्यापारिक निर्णय गलत साबित हो सकते हैं, जिससे आर्थिक नुकसान की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। साझेदारी में विश्वास की कमी या असफलता के कारण व्यवसाय में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।

बुध के अशुभ प्रभाव के कारण जातक को स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। खासकर त्वचा, तंत्रिका तंत्र, और मानसिक तनाव से जुड़े रोग हो सकते हैं। इसके अलावा, जातक को वैवाहिक जीवन के तनाव के कारण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

कुंडली के सप्तम भाव में उच्च का बुध जातक को वैवाहिक और व्यवसायिक जीवन में कई शुभ फल प्रदान कर सकता है, जैसे कि सुखी वैवाहिक जीवन, धनी और बुद्धिमान जीवनसाथी, व्यवसायिक सफलता, और विदेशों में व्यवसाय से लाभ। हालांकि, अशुभ बुध के प्रभाव में जातक को वैवाहिक समस्याओं, व्यवसायिक असफलताओं, और स्वास्थ्य संबंधी कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस प्रकार के जातक को बुध ग्रह को सुदृढ़ करने के लिए उपाय करने चाहिए, जैसे कि बुध के मंत्रों का जाप, हरे रंग की वस्त्र धारण करना, बुधवार का व्रत रखना, और हरे रंग के फल और सब्जियों का दान करना।

About - Purvi

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Introduction
Purvi Rawal is a renowned tarot card reader with over 10 years of experience. She is known for her insightful readings and serves as a trusted advisor to many celebrities and individuals seeking spiritual guidance. As an international tarot reader and brand ambassador for India, she combines expertise with a compassionate approach.

Expertise
Purvi’s journey in tarot began with a passion for spirituality. Over the years, she has helped a diverse clientele navigate challenges in love, career, and personal growth. Her readings are recognized for their accuracy and depth.

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रेवती नक्षत्र और उनके वृक्षों का रहस्य

रेवती नक्षत्र के जातकों के लिए महुआ का वृक्ष विशेष रूप से शुभ होता है। यह वृक्ष आर्थिक समृद्धि, उर्वरता और शांति का प्रतीक है। महुआ के फूल और फल से कई प्रकार की औषधियां और पारंपरिक पेय बनाए जाते हैं। इसे लगाने से जीवन में धन-वैभव और सुख-शांति बनी रहती है। रेवती नक्षत्र के जातकों को इस वृक्ष का रोपण और संरक्षण करना चाहिए। इसका लगाना जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और उनके वृक्षों का रहस्य

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के जातकों के लिए पीपल और सोनपाठा का वृक्ष विशेष महत्व रखता है। पीपल का वृक्ष धर्म, आध्यात्मिकता और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है। इसे लगाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहती है। सोनपाठा का वृक्ष औषधीय गुणों से भरपूर होता है और स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है। उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के जातकों को इन वृक्षों की पूजा करनी चाहिए। इनका रोपण जीवन में समृद्धि और शुभता लाने वाला होता है।
 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र और उनके वृक्षों का रहस्य

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र से जुड़े जातकों के लिए आम का वृक्ष विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह वृक्ष स्वास्थ्य, प्रेम और उन्नति का प्रतीक है। आम का फल स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है और इसे 'फलों का राजा' कहा जाता है। इस वृक्ष को घर में लगाने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के जातकों को इस वृक्ष की देखभाल करनी चाहिए। इसका रोपण जीवन में समृद्धि और सौभाग्य लाने वाला होता है।

शतभिषा नक्षत्र और उनके वृक्षों का रहस्य

शतभिषा नक्षत्र के जातकों के लिए कदंब का वृक्ष अत्यंत शुभ होता है। यह वृक्ष प्रेम, सौंदर्य और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। कदंब के फूल सुगंधित होते हैं और वातावरण को शुद्ध करने में सहायक होते हैं। इसे धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है और कृष्ण भक्ति में इसका विशेष स्थान है। शतभिषा नक्षत्र के जातकों को इस वृक्ष का रोपण करना चाहिए। इसका लगाना जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति लाने वाला होता है।

धनिष्ठा नक्षत्र और उनके वृक्षों का रहस्य

धनिष्ठा नक्षत्र के जातकों के लिए शमी और सेमर के वृक्ष अत्यंत शुभ माने गए हैं। शमी का वृक्ष शक्ति, विजय और समृद्धि का प्रतीक है और इसे भगवान शनि और हनुमानजी को अर्पित किया जाता है। सेमर का वृक्ष स्वास्थ्य और उन्नति में सहायक होता है। इन वृक्षों को घर में लगाने से सुख-शांति और सफलता प्राप्त होती है। धनिष्ठा नक्षत्र के जातकों को इनका रोपण अवश्य करना चाहिए। ये वृक्ष जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं।