चोरी गई वस्तु का पता लगाना ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से संभव है। यह शास्त्र न केवल व्यक्ति को यह बताता है कि वस्तु मिलेगी या नहीं, बल्कि यह भी कि कब तक मिल सकती है। इसके साथ ही, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि चोरी गई वस्तु कितनी दूर हो सकती है और चोर कौन हो सकता है। यह ज्योतिषीय ज्ञान लोगों को मानसिक शांति प्रदान करता है और उन्हें सही दिशा में कदम बढ़ाने की प्रेरणा देता है।
नक्षत्रों के आधार पर वस्तु की स्थिति
ज्योतिष के अनुसार, अलग-अलग नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुओं के मिलने या न मिलने की संभावनाएं भिन्न होती हैं। यहां हम जानते हैं कि विभिन्न नक्षत्रों के आधार पर चोरी गई वस्तुओं का क्या परिणाम हो सकता है:
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अंध नक्षत्र (रोहिणी, पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा, रेवती):
ये नक्षत्र सकारात्मक माने जाते हैं। इन नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुएं सामान्यतः पूर्व दिशा में जाती हैं और जल्दी मिल जाती हैं। ऐसी वस्तुएं अधिक दूर नहीं जातीं, इसलिए उन्हें आसपास ही तलाशना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपकी वस्तु इन नक्षत्रों में चोरी हुई है, तो संभावना है कि वह निकटवर्ती स्थान पर हो।
मंद नक्षत्र (मृगशिरा, अश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, शतभिषा, अश्विनी):
इन नक्षत्रों में चोरी की गई वस्तुएं आमतौर पर तीन दिनों के भीतर मिलने की संभावना रखती हैं। ये वस्तुएं दक्षिण दिशा में मिलती हैं और अक्सर रसोई, अग्नि या जल के स्थान पर छुपाई जाती हैं। यदि आपके सामान की चोरी इन नक्षत्रों में हुई है, तो आपको जल्द ही उसका पता चल सकता है।
मध्य लोचन नक्षत्र (आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजीत, पूर्वाभाद्रपद, भरणी):
इन नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुएं पश्चिम दिशा में मिलती हैं। वस्तु के मिलने की जानकारी 64 दिनों के भीतर मिलने की संभावना होती है। यदि 64 दिनों में वस्तु नहीं मिली, तो फिर कभी नहीं मिलती। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि वस्तु बहुत दूर हो चुकी है और फिर उसका मिलना संभव नहीं है।
सुलोचन नक्षत्र (पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद, कृतिका):
इन नक्षत्रों में गई वस्तुएं कभी दोबारा नहीं मिलती। ये वस्तुएं उत्तर दिशा में जाती हैं और अक्सर बहुत दूर छिपी होती हैं। इस स्थिति में चोरी गई वस्तुओं का पता लगाना अत्यंत कठिन होता है।
विशेष ध्यान देने वाली बातें
ज्योतिष में कुछ विशेष परिस्थितियों को भी ध्यान में रखा गया है। जैसे भद्रा, व्यतिपात और अमावस्या के समय में चोरी गई वस्तुओं का मिलना असंभव माना जाता है। इन समयों में वस्तुओं का पुनः प्राप्त होना अत्यंत दुर्लभ होता है, जिससे व्यक्ति को और अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होती है।
इस प्रकार, ज्योतिष के माध्यम से चोरी गई वस्तुओं का पता लगाना एक प्रभावी उपाय हो सकता है। नक्षत्रों की स्थिति का अध्ययन करके व्यक्ति जान सकता है कि उसकी चोरी गई वस्तु कितनी दूर है और उसे वापस पाने की संभावनाएं क्या हैं। यह जानकारी न केवल पीड़ित व्यक्ति को मानसिक संतोष देती है, बल्कि उसे सही दिशा में प्रयास करने में भी मदद करती है।
इस लेख के माध्यम से, यह स्पष्ट होता है कि ज्योतिषीय ज्ञान का उपयोग कर, व्यक्ति चोरी गई वस्तु के प्रति सजग रह सकता है और भविष्य में सुरक्षा के उपाय भी कर सकता है। यदि आप इस ज्ञान का सही उपयोग करते हैं, तो आप चोरी की गई वस्तुओं का पता लगाने में सक्षम हो सकते हैं और अपने जीवन को सुरक्षित बना सकते हैं।
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