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2024-10-02

नवरात्रि के दौरान वास्तु दोष निवारण के लिए 68 उपाय

नवरात्रि के पवित्र समय में घर की ऊर्जा को शुद्ध करने और वास्तु दोषों को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय भी महत्वपूर्ण हैं:

नवरात्रि का पर्व केवल देवी पूजा का समय नहीं है, बल्कि यह हमारे घर के वातावरण को भी सकारात्मक बनाने का अवसर है।

यहां कुछ और विशेष उपाय दिए गए हैं, जिन्हें आप अपने घर में वास्तु दोष निवारण के लिए कर सकते हैं:

नवरात्रि का पर्व हमारे जीवन में सकारात्मकता, समृद्धि और खुशी का संचार करता है।

इस दौरान कुछ विशेष उपायों को अपनाकर आप अपने घर में वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं।

यहाँ और उपाय दिए गए हैंनवरात्रि का पर्व केवल आस्था का नहीं, बल्कि अपने जीवन और घर को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का भी समय है।

इस दौरान किए गए कुछ विशेष उपाय आपके घर के वास्तु दोष को दूर करने में मदद कर सकते हैं।

आइए, और उपायों पर नजर डालते हैं:

नवरात्रि, देवी माँ की आराधना का एक महत्वपूर्ण पर्व है,

और इस दौरान किए गए उपाय आपके घर में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार कर सकते हैं।

अगर आपके घर में वास्तु दोष हैं, तो नवरात्रि के समय निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

1. घर की सफाई और साज-सज्जा

सफाई: नवरात्रि से पहले घर की पूरी सफाई करें। धूल-मिट्टी, बेकार की वस्तुओं को हटा दें।
साज-सज्जा: देवी माँ की पूजा के लिए घर को सुंदर तरीके से सजाएं। 
यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करेगा।

2. स्वर्ण या पीतल की देवी की मूर्ति स्थापित करें

नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की मूर्ति को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। 
यह दिशा सकारात्मकता और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।

3. नैवेद्य और भोग का ध्यान
पूजा के दौरान देवी को ताजे फल, मिठाई, और सजीव फूलों का भोग अर्पित करें।
यह ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होगा।
4. घरेलू वास्तु टोटके
नमक और पानी का प्रयोग: एक बर्तन में नमक और पानी भरकर घर के कोनों में रखें। 
यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करेगा।
नीम की पत्तियाँ: घर के चारों कोनों में नीम की पत्तियाँ रखें। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती हैं।
5. वास्तु दोष निवारण के लिए पूजा
नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से नवरात्री की अष्टमी या नवमी को वास्तु दोष निवारण के लिए पूजा का आयोजन करें।
देवी से घर में सकारात्मकता और सुख-शांति की प्रार्थना करें।
6. दीप जलाएं
नवरात्रि के दौरान घर में हर दिन दीप जलाएं।
यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और सकारात्मकता को बढ़ाने में मदद करेगा।
7. मंत्र जाप
नवरात्रि के दौरान विशेष मंत्रों का जाप करें। जैसे:
ॐ श्री दुर्गायै नमः     ॐ महालक्ष्म्यै नमः ॐ सरस्वत्यै नमः
ये मंत्र घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद करेंगे।
8. विशेष ध्यान
नवरात्रि के नौ दिनों में ध्यान और साधना करें। सुबह-सुबह कुछ समय ध्यान में बिताएं, जिससे मानसिक शांति और सकारात्मकता बढ़ेगी।
9. जल और प्रकाश का ध्यान
घर में जल और प्रकाश का ध्यान रखें। घर में प्राकृतिक रोशनी का प्रवेश और जल का उचित प्रवाह वास्तु के लिए महत्वपूर्ण है।
10. सकारात्मकता का वातावरण बनाएं
परिवार के सभी सदस्यों को मिलकर पूजा-पाठ में शामिल करें।
एकत्रित होकर सकारात्मकता का वातावरण बनाएं।
नवरात्रि का पर्व सिर्फ देवी माँ की आराधना का समय नहीं है,
बल्कि यह घर में सकारात्मकता लाने और वास्तु दोषों को दूर करने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है।
11. गुलाब जल का प्रयोग
गुलाब जल: घर के चारों कोनों में गुलाब जल का छिड़काव करें।
यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और घर में सकारात्मकता लाने में मदद करता है।
12. गृह प्रवेश
गृह प्रवेश पूजा: यदि आप नए घर में जा रहे हैं या घर में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन कर रहे हैं,
तो नवरात्रि के पहले या अंतिम दिन गृह प्रवेश पूजा करें। यह सकारात्मकता को बढ़ावा देगा।
13. वास्तु सुधारक वस्तुएं
क्रिस्टल: घर में क्रिस्टल या पत्थर जैसे अमेथिस्ट, क्यूर्ज़, या हेमाटाइट रखें। 
ये सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और नकारात्मकता को खत्म करने में मदद करते हैं।
14. ताजगी और जीवंतता
पौधों का प्रयोग: घर में हरी पौधों का होना न केवल वायुमंडल को ताजगी देता है बल्कि यह भी सकारात्मकता बढ़ाता है।
 विशेष रूप से, तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है।

15. घर में आवाज़ का ध्यान

धुन: नवरात्रि के दौरान देवी माँ के भजन या मंत्रों का गाना घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है।
इससे नकारात्मकता भी दूर होती है।
16. उपयुक्त रंगों का प्रयोग
नवरात्रि के दौरान सजावट में सही रंगों का प्रयोग करें। जैसे:
सफेद और पीला: ये रंग सकारात्मकता और समृद्धि का प्रतीक हैं।
लाल: यह शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है, जिसे पूजा में शामिल करना चाहिए।
17. पूजन सामग्री की शुद्धता
सभी पूजन सामग्री जैसे फूल, फल, और नैवेद्य का चयन शुद्ध और ताजा होना चाहिए। 
इस बात का ध्यान रखें कि सामग्री का चुनाव दिव्य शक्ति को आकर्षित करने के लिए किया जाए।
18. ध्यान और प्राणायाम
ध्यान का अभ्यास: प्रतिदिन ध्यान करें और प्राणायाम का अभ्यास करें। 
यह मानसिक शांति और सकारात्मकता लाता है।
19. ध्यान केंद्रित करें
नवरात्रि के हर दिन ध्यान करें और अपने मन को शांति दें। 
यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है और आपको अपने जीवन के लक्ष्यों की ओर अग्रसर करेगा।
20. परिवारिक एकता
नवरात्रि के नौ दिनों में परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ मिलकर पूजा और आराधना करने के लिए प्रेरित करें।
इससे घर में प्रेम और एकता का वातावरण बनेगा।
21. वास्तु यंत्र का प्रयोग
वास्तु यंत्र: घर के चारों कोनों में वास्तु यंत्र स्थापित करें। 
यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और सकारात्मकता बढ़ाने में मदद करता है। 
यंत्रों का चयन अपने घर के दिशा के अनुसार करें।
22. शुद्धिकरण अनुष्ठान
गृह शुद्धिकरण: नवरात्रि से पहले अपने घर का शुद्धिकरण करें। 
इसके लिए गाय के गोबर, गंगाजल, या सफेद चंदन का प्रयोग करें।
इससे घर की नकारात्मकता समाप्त होगी।
23. मिट्टी के बर्तन का प्रयोग
मिट्टी के बर्तन: घर में मिट्टी के बर्तन रखें। 
ये नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करते हैं और घर में सकारात्मकता को बनाए रखते हैं।
24. स्वच्छता का ध्यान रखें
सफाई: नवरात्रि के दौरान घर की सफाई पर विशेष ध्यान दें। 
स्वच्छता से सकारात्मकता बढ़ती है और नकारात्मकता कम होती है। 
पुराने सामान को हटाना भी आवश्यक है।
25. नवरात्रि के दौरान उपवास
उपवास रखें: यदि संभव हो, तो नवरात्रि के दौरान उपवास रखने से शारीरिक और मानसिक शुद्धता मिलती है। 
यह ध्यान को केंद्रित करने में भी मदद करता है।
26. धूप-दीप का प्रकाश
दीप जलाना: नवरात्रि के हर दिन घर के मंदिर में दीपक जलाएं। 
दीपक से घर में प्रकाश फैलता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
27. नवरात्रि साधना
साधना: इस अवधि में प्रतिदिन देवी माँ की साधना करें। 
मंत्रों का जाप और ध्यान न केवल सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करेगा, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करेगा।
28. सकारात्मक सोच का विकास
सकारात्मक विचार: नवरात्रि के दौरान सकारात्मक सोच को बढ़ावा दें। 
परिवार के साथ बैठकर अच्छे विचारों और अनुभवों पर चर्चा करें। 
इससे घर का माहौल खुशनुमा रहेगा।
29. धातु और रंगों का ध्यान
धातु के बर्तन: घर में धातु के बर्तन का उपयोग करें, जैसे तांबे या चांदी के बर्तन। 
ये ऊर्जा के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
30. ब्रह्मा मुहूर्त में जागरण
ब्रह्मा मुहूर्त: सुबह जल्दी उठकर ब्रह्मा मुहूर्त में देवी माँ की पूजा करें। 
यह समय ऊर्जा के लिए बहुत अनुकूल होता है।
31. फूलों का उपयोग
फूलों की सजावट: घर में ताजे फूलों का उपयोग करें, विशेषकर गुलाब और कमल के फूल। 
ये नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करते हैं और सकारात्मकता का संचार करते हैं।
32. गायत्री मंत्र का जाप
गायत्री मंत्र: हर दिन सुबह गायत्री मंत्र का जाप करें। 
यह मंत्र न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि घर की ऊर्जा को भी सुधारता है।
33. घर की दीवारों का रंग
रंग परिवर्तन: नवरात्रि के समय घर की दीवारों का रंग बदलना भी एक अच्छा उपाय है। 
हल्के रंगों जैसे हल्का पीला या नीला चुनें, जो सकारात्मकता और शांति का प्रतीक होते हैं।
34. पौधों का रोपण
वास्तु अनुसार पौधे: घर में तुलसी, बांस, और अन्य सुख-समृद्धि लाने वाले पौधे लगाएं। 
ये न केवल घर की सुंदरता बढ़ाते हैं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं।
35. ध्वनि प्रदूषण से बचें
सकारात्मक ध्वनि: घर में सकारात्मक ध्वनि जैसे मंत्र, शंख, या बांसुरी का संगीत सुनें। 
ये ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करते हैं।
36. उच्चतम स्थान का चयन
पूजा स्थल का स्थान: पूजा स्थल को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। 
यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
37. दर्पण का सही उपयोग
दर्पण की स्थिति: घर में दर्पणों को इस तरह रखें कि वे सकारात्मक ऊर्जा को दर्शाएं। 
दर्पण को सीधे दरवाजे के सामने न रखें, क्योंकि यह ऊर्जा को बाहर की ओर भेज सकता है।
38. जल का महत्व
जल की धारणा: घर में पानी के बर्तन रखें, जैसे फव्वारा या पानी से भरा बर्तन। 
यह सकारात्मकता को आकर्षित करता है।
39. स्वच्छता के लिए शुद्धता
शुद्धता का ध्यान: घर में सफाई का विशेष ध्यान रखें। 
नवरात्रि के दौरान पुराने और अनुपयोगी सामान को बाहर फेंक दें। 
यह नई ऊर्जा को आमंत्रित करता है।
40. . स्वास्थ्य का ध्यान
अच्छा खानपान: नवरात्रि के दौरान स्वस्थ आहार लें। 
यह शरीर और मन दोनों को सकारात्मक बनाए रखता है।
41. मिट्टी के बर्तनों का उपयोग
मिट्टी के बर्तन: घर में मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें। 
ये न केवल प्राकृतिक होते हैं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी पैदा करते हैं।
42. ज्योतिषीय सजावट
तंत्र-मंत्र का उपयोग: घर में तंत्र और मंत्रों से जुड़े प्रतीकों को सजावट के रूप में रखें। 
ये सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
43. पवित्र नदियों का जल
गंगा जल का उपयोग: यदि संभव हो, तो गंगा जल का उपयोग करें। 
इसे घर में रखने से नकारात्मकता दूर होती है।
44. आस्था की मूर्तियाँ
मूर्तियाँ स्थापित करें: देवी-देवताओं की मूर्तियाँ घर में रखें, विशेषकर उत्तर-पूर्व दिशा में। 
ये घर में सकारात्मकता लाती हैं।
45. कैंडल और अगरबत्तियाँ
दीप जलाना: नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन दीप जलाएं। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है 
और सकारात्मकता को आकर्षित करता है।
46. गृह प्रवेश
गृह प्रवेश समारोह: नए घर में प्रवेश करते समय विशेष पूजा और हवन करें। 
यह नकारात्मकता को दूर करने में मदद करता है।
47. आध्यात्मिक साहित्य का पाठ
ग्रंथों का पाठ: नवरात्रि के दौरान देवी भागवत या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। 
यह मानसिक शांति और सकारात्मकता लाता है।
48. सकारात्मक लोगों का संग
सकारात्मक संबंध: घर में ऐसे लोगों को आमंत्रित करें जो सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं। 
उनका संग आपके घर की ऊर्जा को बढ़ाता है।
49. सकारात्मक वाणी का प्रयोग
सकारात्मक बातें: घर में सकारात्मक बातें करें और अपने आस-पास के लोगों को प्रोत्साहित करें। 
यह सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।
50. विज्ञान और वास्तु
विज्ञान को ध्यान में रखें: वास्तु के उपायों के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी अपनाएं। 
ऊर्जा के प्रवाह को समझें और उसे सुधारने का प्रयास करें।
51. पौधों का रखरखाव
सकारात्मक पौधे: घर में वास्तु के अनुसार तुलसी, बांस, या ऑर्किड जैसे पौधे रखें। 
ये नकारात्मकता को दूर करने में सहायक होते हैं।
52. खिड़कियों और दरवाजों की सफाई
सफाई और मरम्मत: सभी खिड़कियों और दरवाजों को अच्छी तरह साफ करें और उनकी मरम्मत करें। 
खुलापन और रोशनी सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है।
53. नकारात्मकता का नाश
नकारात्मक ऊर्जा का निवारण: घर में नमक का पानी छिड़कें या नींबू और मिर्च का टोटका करें। 
ये नकारात्मकता को दूर करने में मदद करता है।
54. धूप और वेंटिलेशन
प्राकृतिक रोशनी: घर में प्राकृतिक रोशनी को आने दें। 
प्रतिदिन सुबह कम से कम 15 मिनट तक सभी खिड़कियाँ खोलें।
55. ज्योतिषीय चिह्न
स्वस्तिक और अन्य चिह्न: दरवाजों और दीवारों पर स्वस्तिक, ओम, या अन्य शुभ चिह्न बनाएं। 
ये घर में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।
56. संगीत और ध्वनि
सकारात्मक ध्वनि: घर में मंत्रों का जाप करें या भक्ति संगीत सुनें। 
यह वातावरण को सकारात्मक बनाता है।
57. नवीनता लाना
नई चीज़ें जोड़ें: घर में नई चीज़ें जैसे दीवार घड़ी या सजावटी वस्त्र जोड़ें। 
यह नकारात्मकता को दूर करता है।
58. धातुओं का चयन
सकारात्मक धातुएं: घर में ताम्र, चांदी, और सोने जैसी धातुओं का प्रयोग करें। 
ये सकारात्मकता का संचार करती हैं।
नवरात्रि के दौरान घर की ऊर्जा को शुद्ध करने और वास्तु दोषों को दूर करने के उपाय
59 घर की सफाई और सजावट
सफाई: नवरात्रि से पहले घर की गहरी सफाई करें। पुराने और अनुपयोगी सामान को निकालें।
सजावट: घर में फूलों की सजावट करें। रंग-बिरंगे फूल नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं।
60. मसाले और अनाज का दान
नवरात्रि के दौरान विभिन्न दालें, अनाज और मसाले दान करने से घर में धन और समृद्धि का संचार होता है। 
यह घर की सकारात्मक ऊर्जा को भी बढ़ाता है।
61. नवग्रह पूजा
नवग्रह की पूजा करना एक अच्छा उपाय है। 
यह न केवल नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, बल्कि घर में सकारात्मकता भी लाता है।
62. दिव्य मंत्रों का जाप
नवरात्रि के दौरान विशेष मंत्रों का जाप करें। 
जैसे "ॐ महाकाल्यै नमः" या "ॐ दुर्गायै नमः" का जाप करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
63. नक्शा सुधार
यदि आपके घर का नक्शा वास्तु के अनुसार नहीं है, तो नवरात्रि के दौरान देवी मां की कृपा प्राप्त करने के लिए छोटे-छोटे सुधार करें। 
जैसे कि:उत्तर दिशा में पानी का स्थान बनाना।
पूजन स्थान को साफ और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखना।
64. कमरों की व्यवस्था
घर के कमरों को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि हर कमरे में अच्छी रोशनी और वायु संचार हो सके।
बेडरूम में फर्नीचर को इस प्रकार रखें कि दरवाजे की सीधी रेखा में न हो।
65. कर्पूर और अगरबत्ती जलाना
नवरात्रि के दौरान कर्पूर और अगरबत्ती जलाना न भूलें। 
यह वातावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
66. चंदन का उपयोग
पूजा के समय चंदन का इस्तेमाल करें। 
चंदन न केवल सुगंधित होता है, बल्कि यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी सहायक होता है।
67. दीप जलाना
नवरात्रि के प्रत्येक दिन देवी के समक्ष दीपक जलाना न भूलें। 
यह घर में सकारात्मकता और प्रकाश का संचार करता है।
68. धातुओं का रखरखाव
घर में धातुओं (जैसे तांबा, चांदी) का उपयोग करें। ये ऊर्जा को संतुलित करने में मदद करती हैं।

नवरात्रि के इस पावन अवसर पर उपरोक्त उपायों को अपनाकर आप न केवल अपने घर में वास्तु दोषों का निवारण कर सकते हैं, 
बल्कि अपने जीवन में भी सकारात्मकता और समृद्धि का संचार कर सकते हैं। 
इन उपायों के माध्यम से आप एक सुखद और शांति भरा वातावरण बना सकते हैं। 
देवी माँ की कृपा से आपके घर में सुख, शांति, और समृद्धि आएगी।
इस पवित्र समय का लाभ उठाएं और अपने घर को सकारात्मक और प्रेमपूर्ण स्थान बनाएं। 
आपके प्रयास और आस्था के साथ, हर समस्या का समाधान संभव है।
इस नवरात्रि, देवी माँ की कृपा से आपका घर हमेशा खुशियों से भरा रहे। जय माता दी!

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नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि

मां शैलपुत्री की पूजा के लिए भक्त को शुद्धता और नियम का पालन करना चाहिए।

पूजा विधि में निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन लगाकर बैठें।
मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र पहनाएं, क्योंकि यह रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
मां को सफेद पुष्प, विशेष रूप से चमेली या मोगरे के फूल अर्पित करें।
धूप, दीपक जलाएं और मां को घी से बनी मिठाई या खीर का भोग अर्पित करें।
मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें:
मंत्र:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त के मन में शांति और स्थिरता आती है और जीवन के कठिन दौर में भी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि
मां शैलपुत्री की पूजा के लिए भक्त को शुद्धता और नियम का पालन करना चाहिए। पूजा विधि में निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन लगाकर बैठें।
मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र पहनाएं, क्योंकि यह रंग शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
मां को सफेद पुष्प, विशेष रूप से चमेली या मोगरे के फूल अर्पित करें।
धूप, दीपक जलाएं और मां को घी से बनी मिठाई या खीर का भोग अर्पित करें।
मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें:
मंत्र:

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त के मन में शांति और स्थिरता आती है और जीवन के कठिन दौर में भी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।


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नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का स्वरूप और पौराणिक कथा

मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत, दिव्य और सौम्य होता है। वे वृषभ (बैल) पर सवार होती हैं और उनके दाएं हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। त्रिशूल उनके शक्ति और साहस का प्रतीक है, जबकि कमल का पुष्प पवित्रता शांति का संकेत देता है। मां शैलपुत्री के इस स्वरूप को देखकर यह समझा जा सकता है कि वह भक्तों को संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं, जिसमें शक्ति और करुणा का संतुलन हो।

मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा
मां शैलपुत्री के जन्म की कथा पुराणों में विस्तार से बताई गई है। उनके पूर्व जन्म की कहानी देवी सती से जुड़ी हुई है, जो राजा दक्ष की पुत्री थीं और भगवान शिव की पत्नी थीं। एक बार राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया और भगवान शिव को उसमें आमंत्रित नहीं किया। जब सती को इस अपमान का पता चला, तो वह अत्यंत दुखी हुईं और अपने पिता के यज्ञ में बिना निमंत्रण के पहुंचीं। यज्ञ में भगवान शिव का अपमान देखकर सती ने आत्मदाह कर लिया। अगले जन्म में वे पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्मीं और उन्हें शैलपुत्री कहा गया।

मां शैलपुत्री ने कठिन तपस्या के बाद पुनः भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। यह कथा दर्शाती है कि मां शैलपुत्री आत्मशक्ति, संकल्प और धैर्य की देवी हैं। उनके इस रूप की उपासना से साधक को जीवन में सभी कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है।

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मां शैलपुत्री: नवरात्रि के प्रथम दिन की पूजा विधि

नवरात्रि का प्रथम दिन मां शैलपुत्री की उपासना के लिए समर्पित होता है। देवी दुर्गा के नौ रूपों में मां शैलपुत्री प्रथम रूप हैं। उनका यह स्वरूप अत्यंत शांतिपूर्ण और दिव्य है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण उनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। यह दिन सभी शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि मां शैलपुत्री की उपासना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग खुलता है।

नवरात्रि के प्रथम दिन क्या करना चाहिए?
नवरात्रि का आरंभ करने से पहले भक्तों को शुद्धता और पवित्रता का पालन करना चाहिए। दिन की शुरुआत प्रातःकाल स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करके होती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करना अत्यंत आवश्यक होता है। यह कलश देवी शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और इससे पूरे नवरात्रि की पूजा विधि शुरू होती है।

कलश स्थापना विधि:

सबसे पहले एक शुद्ध ताम्बे या मिट्टी के कलश को लें और उसमें गंगाजल भरें।
कलश के ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखें।
कलश को चावल के ढेर पर रखें और उसमें दूब, सिक्का और सुपारी डालें।
इस कलश की पूजा करें और दीपक जलाकर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र के सामने स्थापित करें।
कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा विधि शुरू की जाती है। सफेद फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य अर्पित कर मां की आराधना की जाती है।

 मां शैलपुत्री का पूजा मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त के मन में शांति और स्थिरता आती है और जीवन के कठिन दौर में भी सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

 

 

नवरात्रि के नवम दिन की पूजा विधि

  • नवमी दिन (सिद्धिदात्री): अपने घर में सभी को आमंत्रित करें और प्रसाद का वितरण करें।
  • नए कार्यों की शुरुआत करें और प्रसाद का वितरण करें।
  • नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व और पूजा विधि होती है। यहाँ पर नवम  दिन की पूजा विधि का से वर्णन किया गया है:

         नवमी दिन: सिद्धिदात्री (नवमी)

  • पूजा विधि:
  • देवी को वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
  • शक्कर का भोग लगाएं और प्रसाद बांटें।
  • मंत्र: "ॐ ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः" का जाप करें।
  • नैवेद्य: काले तिल का भोग अर्पित करें और दान करें। 
  • सामान्य पूजा विधि
  • दीपक: प्रत्येक दिन देवी के समक्ष दीप जलाना न भूलें।
  • आरती: पूजा के अंत में देवी की आरती करें और मनोकामनाएं प्रकट करें।
  • प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को परिवार और मित्रों में बांटें।

इन विधियों का पालन करने से आप देवी माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। जय माता दी!

नवरात्रि के अष्टम दिन की पूजा विधि

  • अष्टमी दिन (महागौरी): विशेष रूप से नंदी के प्रतीक का पूजन करें।
  • अपने घर की सफाई करें और विशेष पूजा का आयोजन करें।
  • नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। अष्टम दिन का अपना विशेष महत्व और पूजा विधि होती है। यहाँ पर अष्टम   दिन की पूजा विधि का  वर्णन किया गया है:

अष्टमी दिन: महागौरी (अष्टमी)

  • पूजा विधि:
  • देवी को नारियल और काले तिल का भोग अर्पित करें।
  • मंत्र: "ॐ ह्रीं वरदायै नमः" का जप करें।
  • नैवेद्य: नारियल का प्रसाद अर्पित करें।
  •  
  • सामान्य पूजा विधि

  • दीपक: प्रत्येक दिन देवी के समक्ष दीप जलाना न भूलें।
  • आरती: पूजा के अंत में देवी की आरती करें और मनोकामनाएं प्रकट करें।
  • प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को परिवार और मित्रों में बांटें।
  • इन विधियों का पालन करने से आप देवी माँ की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। जय माता दी!