जन्म और प्रारंभिक जीवन
22 मार्च 1975 को महाराष्ट्र के उल्हासनगर में जन्मे मनोज दिवाकर शांडिल्य एक प्रख्यात वास्तु शास्त्री और ज्योतिषाचार्य हैं। उनके पिता केंद्रीय रेलवे में कार्यरत थे, जिससे उन्हें अनुशासन और मेहनत की सीख बचपन से ही मिली।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि
मनोज दिवाकर शांडिल्य ने बी.कॉम की डिग्री हासिल की, जिससे उन्हें वित्तीय और प्रबंधन कौशल में महारत हासिल हुई। इसके बावजूद, उनका रुझान वास्तु शास्त्र और ज्योतिष की ओर अधिक था, जिसे उन्होंने अपने करियर के रूप में चुना।
वास्तु शास्त्र में 26 वर्षों का अनुभव
मनोज शांडिल्य ने अपने 26 वर्षों के अनुभव के दौरान वास्तु शास्त्र के क्षेत्र में अनेकों महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उन्होंने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। उनके ज्ञान और अनुभव ने उन्हें इस क्षेत्र में एक सम्मानित नाम बना दिया है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान
मनोज दिवाकर शांडिल्य को अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्होंने USA, पश्चिम अफ्रीका, UAE, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, थाईलैंड और उज़्बेकिस्तान (ताशकंद) जैसे देशों में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं और वहां से भी उन्हें सराहना मिली है।
रत्न विज्ञान में पीएचडी
4 मार्च 2016 को, मनोज दिवाकर शांडिल्य ने ज्योतिष जागृति और वास्तु संशोधन संस्था से रत्न विज्ञान (Gemology) में पीएचडी प्राप्त की। यह उपाधि उनके गहन अध्ययन और अनुसंधान का परिणाम है, जिसने उन्हें इस क्षेत्र में एक विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया है।
मेडिकल ज्योतिष में पीएचडी
मनोज शांडिल्य ने 26 जनवरी 2022 को इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजी फेडरेशन इंक. USA से मेडिकल ज्योतिष में भी पीएचडी प्राप्त की। यह उपाधि उनके ज्योतिषीय ज्ञान और चिकित्सा विज्ञान के संगम को दर्शाती है, जिससे वे अपने ग्राहकों को अधिक सटीक और प्रभावी समाधान प्रदान कर सकते हैं।
इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजी फेडरेशन इंक. USA के ब्रांड एम्बेसडर
उनकी विशेषज्ञता और प्रतिष्ठा के कारण, मनोज दिवाकर शांडिल्य को इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजी फेडरेशन इंक. USA का ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया गया है। यह सम्मान उनके उत्कृष्ट योगदान और ज्योतिष के क्षेत्र में उनके प्रभावशाली कार्यों का प्रमाण है।
सिंध सरस्वत ब्राह्मण सेना के संस्थापक और अध्यक्ष
मनोज दिवाकर शांडिल्य समाजसेवा में भी अग्रणी रहे हैं। उन्होंने उल्हासनगर में सिंध सरस्वत ब्राह्मण सेना की स्थापना की और इसके अध्यक्ष के रूप में समाज के कल्याण के लिए अनेक कार्य किए हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और समर्पण ने उन्हें समुदाय में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
ज्योतिष भारत - रत्न सम्मान
19 नवंबर 2002 को विश्व ज्योतिष अनुसंधान संस्थान द्वारा मनोज दिवाकर शांडिल्य को 'ज्योतिष भारत - रत्न' से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें ज्योतिष के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था।
कर्मकांड और ज्योतिष आचार्य की उपाधि
मनोज शांडिल्य ने 11 नवंबर 2005 को ज्योतिष जागृति और वास्तु संशोधन संस्था से कर्मकांड और ज्योतिष आचार्य की उपाधि प्राप्त की। यह उपाधि उनके गहन अध्ययन और ज्ञान का प्रतीक है, जिससे उन्हें इस क्षेत्र में और अधिक प्रतिष्ठा प्राप्त हुई।
विभिन्न संस्थाओं से गोल्ड मेडल
मनोज दिवाकर शांडिल्य को विभिन्न संस्थाओं द्वारा गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उनके कार्य की उत्कृष्टता और समाज में उनके योगदान के प्रति आदर का प्रतीक है।
भविष्य की योजनाएं और दृष्टिकोण
मनोज दिवाकर शांडिल्य ने अपने अब तक के करियर में बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन उनका सफर यहीं खत्म नहीं होता। वे भविष्य में और भी ऊंचाइयों को छूने की योजना बना रहे हैं। उनका लक्ष्य वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के क्षेत्र में नवाचार करना और अधिक से अधिक लोगों को इससे लाभान्वित करना है।
व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक योगदान
मनोज दिवाकर शांडिल्य अपने परिवार के साथ उल्हासनगर में रहते हैं। अपने व्यस्त पेशेवर जीवन के बावजूद, वे समाज सेवा और धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहते हैं। उनकी यह प्रतिबद्धता उन्हें एक सच्चे समाजसेवी के रूप में स्थापित करती है।
नए शोध और परियोजनाएं
मनोज शांडिल्य नए शोध और परियोजनाओं पर भी काम कर रहे हैं, जिनका उद्देश्य वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के क्षेत्र में नई खोज करना है। वे अपने ज्ञान और अनुभव को और अधिक गहराई से समझने और उसे व्यापक स्तर पर लागू करने के लिए सतत प्रयासरत हैं।
समाज और समुदाय में उनकी भूमिका
मनोज दिवाकर शांडिल्य ने अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग समाज और समुदाय की भलाई के लिए किया है। उन्होंने कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों के साथ मिलकर काम किया है और समाज के कमजोर वर्गों की सहायता के लिए कई पहल शुरू की हैं।
भविष्य की चुनौतियां और अवसर
मनोज दिवाकर शांडिल्य अपने क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भविष्य में कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा। वे नई तकनीकों और विधियों को अपनाने के लिए तैयार हैं, जिससे वे अपने ग्राहकों को और भी बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकें।
अहमदाबाद में विद्या वाचस्पति सम्मान
मई 2024 में, भारतीय प्राच्य विद्या संस्थान द्वारा अहमदाबाद के YMCA क्लब में मनोज दिवाकर शांडिल्य को वास्तु शास्त्री के लिए 'विद्या वाचस्पति' से भी सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उनके योगदान और उनके कार्य की उच्च गुणवत्ता को दर्शाता है।
निष्कर्ष
मनोज दिवाकर शांडिल्य का यह सफर उनके दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और उत्कृष्टता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के क्षेत्र में जो योगदान दिया है, वह वास्तव में प्रेरणादायक है। उनके कार्य और उपलब्धियां उन्हें एक आदर्श और प्रेरणा स्रोत के रूप में स्थापित करती हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेंगे।
Jai Mata Di I am Astro Himanshu Bhardwaj, son of Shri Astro Rajesh Bhardwaj, a young astrologer in the world of astrology.
I belong to a Brahmin family, hence since childhood I have had a distinct interest in astrology and our religious scriptures and the Vedas.
I got the company of my father and my guru Astro Rajesh Sharma ji right from my childhood and due to this,
my interest in astrology was awakened and I received education from him only.
In today's world, where many people say that things like astrology or astrology are superstitions,
I believe that scientific evidence of all these things is available in our religion and we should unite and support this golden age of our religion,
Sanatan and astrology. History should be taken forward and awareness should be spread among the people.
Through my studies and knowledge acquired over many years, I want to awaken the coming generation and always dedicate myself for the welfare of humanity.
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