
जन्मपत्री में 12 भाव जीवन के अलग अलग क्षेत्र को बताते है। उद्धरण द्वितीय भाव को धन भाव कहते हैं अथवा तृतीय भाव भाई बहन का माना जाता है? प्रतेयक भाव को विशिष्ठ कारक तत्व क्यो दिया है,इस पर एक विचार व दृष्टिकोण।
प्रथम भाव
प्रथम भाव वो भाव है जब सूर्य पूर्वी शितिज पर उदय होता है अर्थात सूर्य का उदय जीवन का उदय होता है। इसलिये प्रथम भाव को जीवन कहते हैं। janiye janampatri may bhaav
जीवन के बाद का भाव । जीवन उत्पन के साथ जीवन बनाये रखने के लिये भौतिक वस्तुओं की जरूरत होती है। धन भौतिक वस्तुओं में सर्वाधिक मुख्य है इसलिये इसे धन भाव कहते है। इसे कुटुंब भाव भी कहते हैं। जीव के जन्म के साथ ही परिवार में वृद्वि होती है अर्थात पति पत्नी अब माता पिता बनते है और एक कुटुंब या परिवार का जन्म होता है। janiye grahho ka up or niche place
मंगल
यह ग्रह मकर में उच्च का और कर्क में नीच का होता है। janiye all bhaav
ये भाव जातक के उदगम के पूर्व का भाव है। इस पूर्व भाव मे जातक के उदगम पूर्व की स्थिति दर्शित होती है। जातक के पूर्व की स्थिति, इसलिये इसे भाई बहनों का भाव कहते है ।
चतुर्थ भाव मे सूर्य पृथ्वी के दूसरी और निम्नतम बिंदु पर होता है। अर्थात सूर्य अंधकार, दृश्य से दूर व उत्पति के कगार पर होता है। चतुर्थ भाव मूलतः ग्रह की rest position को बताता है अर्थात उदगम स्थान। जातक का उदगम स्थान माँ होती है। इसलिये इसे माँ का स्थान कहते है। चतुर्थ भाव का सूर्य सदैव रात्रि जन्म को बताता है।
ये जातक के उदगम उपरांत का भाव है। जातक के उदगम उपरांत जातक क्रियाशील होता है और अपने सामान क्रियाशीलता को गति देता है जिसे संतान कहते हैं।
मृत्यु भाव के पूर्व का भाव अर्थात मृत्यु से पूर्व की पीड़ा, तकलीफ और मृत्यु पूर्व की स्थिति अर्थात बीमारी आदि। इसलिये इस भाव को रोग स्थान, कहते हैं।
सप्तम भाव वह भाव है जंहा सूर्य अस्त होता है अर्थात दृश्य से हट जाता है संसार मे अंधकार होने लगता है। अंधकार और दृष्टि से हट जाना मृत्यु है। इसलिये इसे मृत्यु भाव कहते है। ये भाव प्रथम भाव से विपरीत होने के कारण पुरुष और स्त्री को भी प्रतिपादित करता है।
मृत्यु के बाद का भाव अर्थात वो कार्य जो मृत्यु के बाद होते है अर्थात वसीयत,जातक की मृत्यु उपरांत संपति, जातक का बीमा आदि।
नवम भाव, दशम भाव से पूर्व का भाव है अर्थात वैचारिक कार्मिक परिपक्वता से पूर्व का भाव। ये भाव जातक को परिपक्व बनाने में मदद करता है, जीवन मे अधिकतम ऊंचाई कैसे प्राप्त की जाती है इसमें मदद करता है। इसलिये ये भाव शिक्षा और पिता दोनों से जुड़ा है। शिक्षा और पिता दोनों ही जातक को सफल बनाने में मदद करते है।
दशम भाव वह भाव है जब सूर्य अपनी अधिकतम ऊंचाई पर होता है अर्थात जातक परिपक्व होता है, और परिपक्वता विचारों,और कार्यो से आती है। इसलिये इसे कर्म भाव कहते है।
ये व दशम भाव के बाद का भाव है अर्थात जातक को वैचारिक व कार्मिक परिपक्वता का क्या फल मिलेगा, इसका परिणाम एकादश भाव देगा। इसलिये इसे लाभ भाव कहते हैं।
If you have any work from me or any types of quries , you can send me message from here. It's my pleasure to help you.
Book Your Appoitment Now With Best Astrologers