भाई दूज
भाई दूजआज, जानें तिलक का शुभ मुहूर्त और रोचक कथा
भाई दूज का पर्व दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाएगा, कार्तिक के हिंदू महीने में शुक्लपक्ष के दूसरे चंद्रदिवस केरूप में मनाया जाता है.भाई दू जका पर्व भाई-बहन के स्नेह, त्याग और समर्पणका प्रतीक है .इस दिन बहनेंअपने भाई की लंबी उम्र और उनकी समृद्धि की कामना करती है .एक विशेष त्योहार है जिसे भारत में भाई और बहन के बीच बंधन मनाने के लिए मनाया जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों को अपने घर भोजन के लिए बुलाती है और उन्हें प्यार से खाना खिलाती हैं.
रक्षाबंधन की तरह से त्योहार भी भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है.भाई दूज पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती है और सुख-समृद्धि व खुश हाली की कामना करती हैं .ऐसा माना जाता है कि इस खास दिन पर हिंदू धर्म में मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना सेमिलने आएथे।
भाई दूज की रोचक कथा
ऐसा माना जाता है कि इस खास दिन पर हिंदू धर्म में मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना सेमिल ने आए .यमुना ने कई बार यमराज को बुलाया था लेकिन वह उन्हें दर्शन देने में असमर्थ थे.
हालांकि, एक बार जब यमराज ने यमुनाका दौरा किया, तो उनका बहुत प्यार और सम्मान के साथ स्वागत किया गया. यमुनाने उनके माथे पर तिलक भी लगाया, इतना प्यार पाने के बाद यमराज ने यमुना से वरदान मांग ने को कहा. उसकी बहन ने यमराज को हर साल एक दिन चिह्नित करने के लिए कहा जहां वह उसेदेखने जाएंगे
.इस प्रकार, हम भाई दूज को भाई और बहन के बीच के बंधन को मनाने के लिए मनाते हैं।
भाई दूज की पूजन विधि
इस दिन सुबह नहा धोकर अपने भाईको घरपर भोजन के लिए बुलाएं, अगर वो साथ में रहता है तो कोई बात नहीं है फि र भी उसे एक बार खाने पर बुलाएं ऐसा कहें. इस के बाद भाई को एक पाट पर बैठा कर बहन अपने भाई को घी और चावल का टीका लगाती है
फिर भाई की हथेली पर सिंदूर, पान, सुपारी और सूखा नारियल यानी गोला भी रखती है।भाई के हाथ पर कलावा बांधा जाता है और उनका मुंह मीठा किया जाता है.इस के साथ हीउसकी लंबीआयु, स्वास्थ्य जीवन, सफलता आदि की कामना करें और इसके बाद भाई कीआरती करें औऱ उसके बाद उसे भोजन करवाएं।
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