नागेश्वर मंदिर की कथा और ज्योतिर्लिंग का महत्व

नागेश्वर  मंदिर की कथा और ज्योतिर्लिंग का महत्व

नागेश्वर मंदिर का परिचय

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह गुजरात के द्वारका के पास स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के रौद्र (शक्तिशाली) रूप का प्रतीक है और इसे भक्तों के सभी भय और बाधाओं को दूर करने वाला माना जाता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

1. दरुकासुर और भगवान शिव की कथा

एक समय की बात है, दारुक नामक एक राक्षस अपनी पत्नी दारुका के साथ समुद्र तट के पास स्थित जंगलों में रहता था।

दारुकासुर को भगवान शिव से वरदान प्राप्त था, जिससे वह बहुत शक्तिशाली हो गया था।

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वरदान के कारण देवता, ऋषि-मुनि और मानव सभी उससे भयभीत रहने लगे।

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उसने अपने सैनिकों के साथ संतों और शिवभक्तों पर अत्याचार शुरू कर दिया और उन्हें बंदी बनाना शुरू कर दिया।

2. शिवभक्त सुहर्त का तप और भगवान शिव का प्रकट होना

एक दिन, उसने सुहर्त नामक एक परम शिवभक्त को बंदी बना लिया।

सुहर्त ने जेल में भी शिव जी की भक्ति और ध्यान करना बंद नहीं किया

भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और जेल में स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए

भगवान शिव ने दारुकासुर का वध किया और सभी बंदी बनाए गए भक्तों को मुक्त किया।

भगवान शिव ने यहाँ स्थायी रूप से ज्योतिर्लिंग के रूप में रहने का निश्चय किया और यह स्थान नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कहलाया।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व

1. भय और संकट से मुक्ति

इस ज्योतिर्लिंग की महिमा यह है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से भगवान नागेश्वर की पूजा करता है, उसके जीवन से सभी प्रकार के भय और संकट समाप्त हो जाते हैं।

विशेष रूप से सर्पदोष (कालसर्प योग) से पीड़ित लोगों के लिए यह मंदिर अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

2. शिव के नागेश्वर रूप की महिमा

नागेश्वर का अर्थ होता है "सर्पों का स्वामी"

भगवान शिव को नागों का राजा कहा जाता है, और उनका प्रमुख अलंकार सर्प (नागराज वासुकी) है।

इस ज्योतिर्लिंग की उपासना करने से सांपों और सर्पदोष से मुक्ति मिलती है

3. शक्ति का अद्भुत केंद्र

यह मंदिर अत्यंत दिव्य ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, जहाँ पर ध्यान और साधना करने से मन की शांति प्राप्त होती है।

यहाँ आने वाले भक्तों को मन की शुद्धता और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव होता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का स्थान और यात्रा मार्ग

स्थान

राज्य – गुजरात

शहर – द्वारका के पास

परिस्थिति – सौराष्ट्र क्षेत्र में समुद्र के तट पर स्थित

कैसे पहुँचे?

हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा जामनगर एयरपोर्ट (137 किमी) है।

रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन द्वारका रेलवे स्टेशन (17 किमी) है।

सड़क मार्ग – द्वारका से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तक बसें और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

मंदिर में भगवान शिव की 80 फीट ऊँची भव्य प्रतिमा स्थित है, जो अत्यंत आकर्षक है।

इस मंदिर की शिवलिंग दक्षिणामूर्ति स्वरूप में स्थित है (अर्थात् शिवजी दक्षिण दिशा की ओर मुख करके विराजमान हैं)।

यहाँ महाशिवरात्रि और श्रावण मास में विशेष पूजन और महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

यह मंदिर संपूर्ण भारत में नाग पूजन का प्रमुख केंद्र माना जाता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भय, संकट और सर्पदोष से मुक्ति दिलाने वाला पवित्र स्थल है। यह भगवान शिव की अजेय शक्ति और भक्तों की रक्षा करने वाली कृपा का प्रतीक है।

जो भी भक्त सच्चे मन से यहाँ शिवजी की उपासना करता है, उसे सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

क्या आप इस पवित्र धाम की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं?