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मल्लिकार्जुन मंदिर का परिचय
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे दक्षिण का काशी भी कहा जाता है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है और शिव तथा शक्ति (पार्वती) के संयुक्त स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर सिर्फ शिव भक्तों के लिए ही नहीं, बल्कि शक्ति उपासकों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
मल्लिकार्जुन मंदिर की पौराणिक कथा
कथा 1: शिव-पार्वती और उनके पुत्रों से जुड़ी कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के दो पुत्र – भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय थे। जब उनके विवाह की बात आई, तो शिव और पार्वती ने निर्णय लिया कि जो भी पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, उसका विवाह पहले होगा।
भगवान कार्तिकेय ने अपनी सवारी मोर पर बैठकर पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करने का निर्णय लिया, जबकि गणेश जी ने अपने माता-पिता की ही परिक्रमा कर ली और कहा कि "माता-पिता ही संपूर्ण ब्रह्मांड हैं।" इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव और माता पार्वती ने गणेश जी का विवाह पहले कर दिया।
जब कार्तिकेय को यह पता चला, तो वे क्रोधित होकर दक्षिण भारत में श्रीशैल पर्वत पर चले गए। माता पार्वती और भगवान शिव भी अपने पुत्र को मनाने के लिए वहां पहुंचे। अंततः शिव-पार्वती वहां ही निवास करने लगे, और यही स्थान मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
कथा 2: चंद्रगुप्त और मल्लिका देवी से जुड़ी कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, एक महान राजा चंद्रगुप्त की पुत्री मल्लिका देवी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहां प्रकट होकर ज्योतिर्लिंग रूप में विराजमान होने का आशीर्वाद दिया। इसी कारण इसे मल्लिकार्जुन नाम मिला, जहां "मल्लिका" माता पार्वती को और "अर्जुन" भगवान शिव को दर्शाता है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का महत्व
1. शिव और शक्ति का संयुक्त स्थल
मल्लिकार्जुन मंदिर विशेष रूप से महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यहां भगवान शिव और माता पार्वती दोनों ही विद्यमान हैं। यही कारण है कि इसे "शिव शक्ति पीठ" भी कहा जाता है।
2. मोक्ष प्रदान करने वाला स्थान
यह ज्योतिर्लिंग उन भक्तों के लिए विशेष माना जाता है जो जीवन में मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को शिवलोक की प्राप्ति होती है।
3. ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ का मिलन
मल्लिकार्जुन मंदिर उन कुछ गिने-चुने स्थानों में से एक है जो ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों हैं। यह स्थान माता सती के 18 महाशक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहां उनकी ऊर्ध्व ओष्ठ (ऊपरी होंठ) गिरी थी।
4. भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाला मंदिर
कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से यहां पूजा करते हैं, उनकी हर इच्छा पूरी होती है। इस मंदिर में विशेष रूप से कुमारी कन्याओं की शादी की इच्छा को पूरा करने के लिए पूजा की जाती है।
मल्लिकार्जुन मंदिर का स्थान और यात्रा मार्ग
स्थान
राज्य – आंध्र प्रदेश
जिला – कुरनूल
स्थान – श्रीशैलम पर्वत, नल्लमाला जंगलों में
कैसे पहुँचें?
हवाई मार्ग – नजदीकी हवाई अड्डा हैदराबाद में स्थित है, जो श्रीशैलम से लगभग 215 किमी दूर है।
रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन मार्कापुर रोड (Markapur Road) है, जो मंदिर से लगभग 85 किमी दूर है।
सड़क मार्ग – हैदराबाद, विजयवाड़ा और अन्य प्रमुख शहरों से श्रीशैलम के लिए बसें और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
मुख्य उत्सव – महाशिवरात्रि, श्रावण मास, कार्तिक पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा
दर्शन समय – सुबह 4:30 बजे से रात 10:00 बजे तक
विशेष पूजा – रुद्राभिषेक, अर्धनारीश्वर पूजन, कुमारी पूजन और सहस्त्रनाम अर्चना
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग शिव और शक्ति का एक पवित्र संगम है, जो भक्तों को जीवन में शांति और मोक्ष प्रदान करता है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है।
आप इस मंदिर की यात्रा कब करने की योजना बना रहे हैं?