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गणेश चतुर्थी पूजा: भगवान गणेश का पर्व

गणेश चतुर्थी पूजा: भगवान गणेश का पर्व

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Mayank JoshiMayank Joshi

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गणेश चतुर्थी पूजा: 

गणेश चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। गणेश, जो हाथी के सिर वाले देवता हैं, बाधाओं को दूर करने वाले और ज्ञान एवं नए आरंभ के देवता माने जाते हैं। यह उत्सव दस दिनों तक चलता है और आमतौर पर हिंदू पंचांग के भाद्रपद माह की चौथी तिथि से शुरू होता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में अगस्त या सितंबर में आता है।

अनुष्ठासमारोहन और

इस पर्व की शुरुआत घरों और सार्वजनिक स्थलों पर मिट्टी के गणेश idols की स्थापना के साथ होती है। ये मूर्तियाँ खूबसूरती से सजाई जाती हैं और पूजा और उत्सव का केंद्र बनती हैं। भक्त विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, जिसमें स्तोत्रों का पाठ, गणपति अथर्वशिरश का पाठ, और प्रार्थनाएँ शामिल हैं।

प्रत्येक दिन की पूजा के दौरान भक्ति गीत और नृत्य का आयोजन होता है, जिससे वातावरण में खुशी और आध्यात्मिकता का संचार होता है। इस पर्व का एक प्रमुख पहलू प्रसाद का वितरण है—सुखद भोजन जो भक्तों में बांटा जाता है। मोदक, जो भगवान गणेश का प्रिय माना जाता है, आमतौर पर तैयार किया जाता है और समुदाय में बांटा जाता है।

सामुदायिक सहभागिता

गणेश चतुर्थी समुदाय को एकजुट करने का अवसर प्रदान करता है, क्योंकि लोग उत्सव में भाग लेने के लिए एकत्र होते हैं। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, जैसे संगीत और नृत्य प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं, जो सामूहिक भावना को बढ़ाते हैं। यह त्योहार न केवल भक्ति बल्कि सामाजिक बंधन और सामूहिक आनंद का प्रतीक है।

त्योहार का समापन

यह त्योहार दसवें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी कहा जाता है, समाप्त होता है। इस दिन मूर्तियों को भव्य जुलूस में ले जाया जाता है। संगीत, नृत्य और भक्ति गीतों के साथ भक्त इन मूर्तियों को नदियों या समुद्र में विसर्जित करते हैं। यह अनुष्ठान गणेश के स्वर्गीय निवास, कैलाश पर्वत की ओर लौटने का प्रतीक है, जहाँ वह माता पार्वती और भगवान शिव के साथ मिलते हैं।

जब मिट्टी की मूर्तियाँ पानी में विलीन होती हैं, तो ऐसा माना जाता है कि गणेश दिव्य लोक में लौट जाते हैं, अपने भक्तों को अगले earthly visit तक आशीर्वाद देते हैं। विसर्जन न केवल एक अंत का प्रतीक है, बल्कि उनके लौटने का वादा भी छोड़ता है, जिससे प्रिय यादें और आध्यात्मिक संतोष मिलत

भगवान गणेश: एक संक्षिप्त परिचय

भगवान गणेश, जिन्हें "गणपति" भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे प्रिय और सम्मानित देवताओं में से एक हैं। उन्हें समस्त विघ्नों का नाशक और ज्ञान, समृद्धि, और भाग्य के देवता माना जाता है। उनका चित्रण एक हाथी के सिर और मानव शरीर के साथ होता है, जो उनकी अद्वितीयता को दर्शाता है।

जन्म और परिवार

गणेश जी का जन्म देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र के रूप में हुआ। कहा जाता है कि माँ पार्वती ने उन्हें अपने एक विष्णु के रूप में बनाया और उन्हें संतान सुख की प्राप्ति के लिए आह्वान किया। गणेश का जन्म एक विशेष कथा के अनुसार हुआ, जब माँ पार्वती ने अपने स्नान के दौरान गणेश को दरवाजे पर रखा और भगवान शिव के लौटने पर उनके द्वारा गलती से मारे जाने के बाद, उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए शिव ने हाथी के सिर का प्रयोग किया।

गुण और विशेषताएँ

गणेश जी के चार हाथ होते हैं, जिनमें से प्रत्येक हाथ में एक विशेष वस्तु होती है:

  1. अखंडित चक्र: यह ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है।
  2. मोदक: यह सुख और संतोष का प्रतीक है, जिसे गणेश जी का प्रिय भोजन माना जाता है।
  3. फूल: यह समर्पण और भक्ति का प्रतीक है।
  4. दृष्टि: यह ध्यान और ध्यान की शक्ति का प्रतीक है।

पूजा और अनुष्ठान

गणेश जी की पूजा विभिन्न अवसरों पर की जाती है, विशेषकर:

  • गणेश चतुर्थी: यह सबसे प्रमुख पर्व है, जिसमें गणेश जी की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
  • विनायक चतुर्थी: यह हर महीने की चतुर्थी को मनाया जाता है।
  • नववर्ष: नए साल की शुरुआत में भी गणेश जी की पूजा की जाती है।

गणेश जी का विशेष महत्व

गणेश जी को पूजा करने का विशेष महत्व है, खासकर किसी नए कार्य की शुरुआत से पहले। उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे सभी बाधाओं को दूर करते हैं। यह विश्वास है कि उनकी पूजा से कामयाबी, समृद्धि, और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

गणेश जी के मंत्र

गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ प्रसिद्ध मंत्र हैं:

  • गणेश गायत्री मंत्र:

    ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात्।

  • ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ,

  •    निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।

भगवान गणेश केवल बाधाओं को दूर करने वाले देवता नहीं हैं, बल्कि वे ज्ञान, समर्पण और प्रेम के प्रतीक भी हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि और संतोष की प्राप्ति होती है।

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