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केतु, जो कि जैमिनी गोत्र का शूद्र माना जाता है, कुश द्वीप का स्वामी है। इसका रंग धुएँ के समान होता है, लेकिन इसके वस्त्र धुएँ के समान नहीं होते। केतु की आकृति विकृत मुँह वाली है और इसका वाहन गिद्ध है। इसके हाथों में वर मुद्रा और गदा होती है। केतु के देवता चित्रगुप्त हैं और इसके प्रमुख देवता ब्रह्मा माने जाते हैं।
केतु ग्रह का संबंध आध्यात्मिकता, रहस्यों और अवशोषण से होता है। यह व्यक्ति को आंतरिक ज्ञान की ओर ले जाने में सहायक होता है। हालांकि केतु को कालेपन और क्रूरता का प्रतीक माना जाता है, यह कभी-कभी शुभ फल भी देता है।
केतु हाथ-पैर की बीमारी, भूख, प्यास, और त्वचा रोगों का कारक है। इसके प्रभाव से व्यक्ति मानसिक चिंता और तनाव का अनुभव कर सकता है। इसके अलावा, यह लकड़ी, भय और अभाव का भी कारक होता है। इस प्रकार, यह ग्रह एक विरोधाभासी चरित्र प्रस्तुत करता है—क्रूर होते हुए भी यह कभी-कभी सकारात्मक परिणाम भी देता है।
केतु की स्थिति विभिन्न राशियों में विभिन्न प्रभाव डालती है। शुभ स्थानों में 2, 9, 10 और 11 के स्थान शामिल होते हैं, जबकि अशुभ स्थानों में 5, 6, और 12 शामिल होते हैं। केतु की कुंडली में स्थिति से व्यक्ति की संभावनाएँ और चुनौतियाँ निर्धारित होती हैं।
केतु के लिए प्रमुख मंत्र है: "ह्रीं केतवे नमः"। इस मंत्र का जाप करने से केतु की ऊर्जा को संतुलित करने में सहायता मिलती है। यह मंत्र विशेषकर मानसिक शांति और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए महत्वपूर्ण होता है।
केतु की पूजा करने से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
केतु पूजा में निम्नलिखित सामग्रियों का उपयोग किया जाता है:
केतु का प्रभाव लक्ष्मी की प्राप्ति में सहायक हो सकता है। जब व्यक्ति केतु की पूजा करता है, तो वह आंतरिक संतोष और मानसिक शांति प्राप्त करता है, जिससे लक्ष्मी के आगमन के लिए मार्ग प्रशस्त होता है। केतु की ऊर्जा से व्यक्ति की इच्छाएँ पूरी होती हैं और उसके प्रयास सफल होते हैं।
केतु का व्यापारिक गतिविधियों पर सकारात्मक प्रभाव हो सकता है। यह व्यवसायियों को अन्वेषण, नवाचार और मानसिक स्पष्टता में सहायता करता है। व्यवसाय में केतु की सकारात्मकता से सफलता के नए दरवाजे खुल सकते हैं।
केतु ग्रह एक महत्वपूर्ण और रहस्यमय ग्रह है, जिसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन के कई पहलुओं पर पड़ता है। इसकी पूजा और सही तरीके से पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति में मदद मिलती है।
केतु की पूजा केवल धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह आत्मा के उन्नति का साधन भी है। जब हम केतु की ऊर्जा को सही दिशा में लगाते हैं, तो यह हमें अद्भुत परिणाम दे सकती है। इसके माध्यम से हम न केवल अपनी इच्छाएँ पूर्ण कर सकते हैं, बल्कि एक सकारात्मक और संतुलित जीवन भी जी सकते हैं।
इस प्रकार, केतु ग्रह का महत्व और पूजा दोनों ही व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसे समझना और सही तरीके से इसका पूजन करना जीवन की राह को सरल और सुखद बना सकता है।