आज दिल्ली के रेडिसन ब्लू होटल में एक भव्य ज्योतिष सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें धर्मगुरू ज्योतिषाचार्य एच एस रावत जी को 70वां और 71वां लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। इस विशेष अवसर पर IVAF और माँ आदिशक्ति फाउंडेशन ने मिलकर रावत जी को सम्मानित किया। यह अवार्ड उन्हें 15 पुस्तकों की रचना और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए प्रदान किया गया।
इस कार्यक्रम में ऑल्सो ग्रुप https://allso.in/ के डायरेक्टर प्रोफ़ेसर कार्तिक रावल https://www.profkartikhrawal.com/भी शामिल थे। रावत जी ने इस अवसर पर ज्योतिष के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने गोचर में नक्षत्रों से प्राप्त होने वाले लाभ के बारे में बताया और सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में होने के प्रभावों पर चर्चा की। रावत जी ने मानव शरीर के ऊपर नक्षत्रों की स्थिति और उनके प्रभावों के बारे में विशेष जानकारी साझा की।
इस अवसर पर संस्था की अध्यक्ष दिव्या पिल्लई, एसोसिएट डायरेक्टर अलका शर्मा, आचार्य हरी शर्मा और मनीष पांडे ने भी मंच से अपने विचार प्रस्तुत किए और रावत जी को सम्मानित किया। सम्मेलन में पूनम माता, हीरो होंडा कंपनी के चेयरमैन महेश मुंजाल, आचार्य राजेश ओझा, आचार्य मानवेन्द्र रावत, डॉ. प्रणव शास्त्री, वाई के गुप्ता, नरेंद्र भैंसोदडिया, युवराज राजोरिया, राजनाथ झा, कपिल मैनी, प्रोफ़ेसर कार्तिक रावल, गुरुजी धान संस्था के अध्यक्ष राजीव गोयल, जयपुर से दामोदर बंसल, भारत भूषण, प्रभात, राजीव रंजन, हीना कपूर, नूपुर, सर्वेश गुप्ता, अदिति शौकीन, प्रिया कपूर, उर्वशी, मीनाक्षी शर्मा, डॉ. नीना सैनी, शिल्पी पाहवा और अन्य 200 से अधिक विद्वान उपस्थित थे।
इस अवसर पर एस्ट्रोलॉजर मानवेन्द्र रावत को Maharishi Gyan Ratna Award से भी सम्मानित किया गया। मानवेन्द्र रावत ने ज्योतिष शास्त्र और नक्षत्रों के महत्व पर एक प्रभावशाली प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि नक्षत्रों का ज्योतिष शास्त्र में क्या महत्व होता है और नक्षत्रों के चरणों के आधार पर राशियों का भविष्यवाणी कैसे की जाती है। उनकी इस प्रस्तुति ने सभी उपस्थित एस्ट्रोलॉजर्स के ज्ञान को और भी समृद्ध किया।
यह सम्मेलन उम्मीद से भी अधिक सफल और सुपर डुपर हिट साबित हुआ। इसमें ज्योतिष के क्षेत्र के विशेषज्ञों ने अपने अनुभव और ज्ञान को साझा किया और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। इस प्रकार, यह कार्यक्रम न केवल ज्ञानवर्धक रहा बल्कि ज्योतिष विद्या के प्रचार-प्रसार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
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