धनतेरस
धनतेरस या धन्वंतरि जयंती कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। मां बगलामुखी पीठ परिषद के संस्थापक एवं ज्योतिर्विद पं महेश मोहन झा ने बताया कि इस वर्ष 10 नवम्बर शुक्रवार को दोपहर 11बजकर 35 मिनट से त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ हो रहा है। त्रयोदशी तिथि का समापन अगले दिन 11 नवम्बर की दोपहर 01 बजकर 24 मिनट पर होगा। धनतेरस के दिन पूजा प्रदोष काल में होती है इसलिए धनतेरस 10 नवम्बर शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त संध्या 06 बजकर 15 मिनट से रात्रि 08 बजकर 10 मिनट तक है। धनतेरस पर सोना, चांदी या नयी चीजें खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त 10 नवम्बर को दोपहर 02 बजकर 35 मिनट से रात्रि 08 बजकर 15 मिनट तक खरीदारी कर सकते हैं।
पंडित महेश मोहन झा जी ने कहा कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन को धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाते हैं। इस दिन भगवान धन्वंतरि की षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए साथ ही धन की देवी लक्ष्मी माता की भी पूजा करनी चाहिए जिससे स्वास्थ्य, समृद्धि और परिवार में कल्याण सालों भर बना रहता है। धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने और नयी चीजें घर में लाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसी दिन से पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत हो जाती है। पंडित महेश मोहन झा ने बताया कि धनतेरस की शाम को घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीप जलाने चाहिए। इस दिन शाम के समय यम देव के निमित्त दीपदान करना चाहिए ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है। इस दिन दक्षिण दिशा में एक बड़ा दीपक जलाकर रखने से अकाल मृत्यु का योग टल जाता है
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