अथ अपराधक्षमापन स्तोत्रम्

        ॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ 

                     ।। अथ अपराधक्षमापन स्तोत्रम् ।। 

                    ॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥

                                                        ॐ अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि।।१।।

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।

पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।२।।

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।

यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।।३।।

अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत् ।

यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः ।। ४।।

सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके ।

इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु ।। ५।।

अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रोन्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम् ।

तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि ।। ६।।

कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे ।

गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि ।। ७।।

गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्।

सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसात्सुरेश्वरि।।८।।

          ॥ इति अपराधक्षमापन स्तोत्रं समाप्तम् ॥ http://adweb.lovestoblog.com/?i=1


Get In Touch

Have questions or feedback? We'd love to hear from you.