
द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद प्रदान करता है। इस बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। सूर्य स्वरूप होने से धारक को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है। ब्रह्मचर्य रक्षा, चेहरे का तेज और ओज बना रहता है। सभी प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा मिट जाती है तथा ऐश्वर्ययुक्त सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। जन्म -कुंडली में गुरु-राहु का चांडाल योग , सूर्य-राहु का ग्रहण योग , शनि सूर्य का विष योग , पितृ दोष, मंगल-राहु का अंगारक दोष, शनि-चन्द्र की युति से बनने वाला विष दोष हो तो १२ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से इन दोषों से होने वाले दुष्प्रभावों को समाप्त किया जा सकता है।
द्वादश मुख वाला रुद्राक्ष को धारण करते समय विशेष द्रव्यों से अभिषेक से पूजा अर्चना कर के रविवार के दिन "ॐ द्वादश वकत्रस्य ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः" इस मंत्र की 21 माला जप कर के धारण करना चाहिए ।यह रुद्राक्ष को मंत्र जाप के पश्चात धारण करने से दुष्प्रभावों को समाप्त किया जा सकता है।
द्वादश मुखी रुद्राक्ष रविवार के दिन यदि कोई भी मनुष्य इसे धारण करता है तो उसका आत्मविश्वास के साथ उनके जातक के शरीर की ऊर्जा और प्रसिद्धि एवं राजकीय नेतृत्व में अच्छी कारकिर्दी प्राप्त हो सकती है। यह रुद्राक्ष बैंक कर्मचारी , इलेक्ट्रिक्स कम्युनिकेशन से जुड़े हुए सभी व्यक्ति, चार्टेंट एकाउंटेंट, डॉक्टर,वैद्य , सर्जन बड़ा बिजनेस करने वाले उद्योगपति यह रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
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