स्वाधिष्ठान चक्र त्रिकास्थि (कमर के पीछे की तिकोनी हड्डी) में अवस्थित होता है
यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से चार अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी छ: पंखुड़ियां हैं।
और अंडकोष या अंडाश्य के परस्पर के मेल से विभिन्न तरह का यौन अंत:स्राव उत्पन्न करता है,
जो प्रजनन चक्र से जुड़ा होता है।
स्वाधिष्ठान को आमतौर पर मूत्र तंत्र और अधिवृक्कसे संबंधित भी माना जाता है।
त्रिक चक्र का प्रतीक छह पंखुडिय़ों और उससे परस्पर जुदा नारंगी रंग का एक कमल है।
स्वाधिष्ठान का मुख्य विषय संबंध, हिंसा, व्यसनों, मौलिक भावनात्मक आवश्यकताएं और सुख है।
अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानता रहेगी।
शारीरिक रूप से स्वाधिष्ठान प्रजनन,
मानसिक रूप से रचनात्मकता, भावनात्मक रूप से खुशी और
आध्यात्मिक रूप से उत्सुकता को नियंत्रित करता है।
यह सब करते हुए ही आपका जीवन कब व्यतीत हो जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा और हाथ फिर भी खाली रह जाएंगे।
VAM NAMAHA
कैसे जाग्रत करें :
जीवन में मनोरंजन जरूरी है, लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं।
मनोरंजन भी व्यक्ति की चेतना को बेहोशी में धकेलता है।
फिल्म सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़कर आप जो अनुभव करते हैं वह आपके बेहोश जीवन जीने का प्रमाण है।
नाटक और मनोरंजन सच नहीं होते।
प्रभाव :
इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश
होता है।
सिद्धियां प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि उक्त सारे दुर्गुण समाप्त हो तभी सिद्धियां आपका द्वार खटखटाएंगी।
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