शुभरंग :- सफेद,
शुभ अंक :- 7
शुभधातु :- चाँदी,
शुभरत्न :- हीरा व ओपल,
शुभदिन :- शुक्रवार,
इंष्ट :- सन्तोषीमाता (या कुलदेवी जो भी हो) का व्रत व पूजन करे,
शुभ महीने :- चैत्र व ज्येष्ठ,
मध्यम महीने :- आषाढ़ महीना , श्रावण महीना , भाद्रपद महीना , आश्विन महीना , पौष महीना , माघ महीना एवं फाल्गुन महीना
अशुभ महीने :- वैशाख, कार्तिक व मार्गशीर्ष ।
वायु तत्व प्रधान इस राशि का स्वामी शुक्र है ..
इसके कारक ग्रह बुध, शुक्र और शनि माने गए हैं।
चित्रा, स्वाति और विशाखा इस राशि के नक्षत्र हैं।
चित्रा नक्षत्र के देव त्वाशत्व और स्वामी मंगल हैं।
इस नक्षत्र के जातक शौकीन मिजाज होते हैं।
एक साथ अनेक विषयों में शौक होने के कारण किसी विशेष विषय में ध्यान फोकस नहीं कर पाते।
इनमें चंचलता बहुत होती है।
सफलता की उम्मीद तो ये बहुत करते हैं लेकिन उसके लिए उतनी दिमागी मेहनत नहीं करते।
स्वाति नक्षत्र के देव वायु और स्वामी राहू हैं।
इस राशि के जातकों में एकाग्रता और सफल होने के भरपूर गुण पाए जाते हैं।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले काफी भाग्यवान होते हैं।
विशाखा नक्षत्र के देव इंद्र-अग्नि हैं और स्वामी गुरु हैं।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले अधिकतर दुविधा में रहते हैं और इनके मन में विरोधाभासी विचार चलते रहते हैं।
तुला राशि पर शुक्र का आधिपत्य होने के कारण इस राशि के जातकों को बनने-संवरने, संगीत, चित्रकारी और बागवानी जैसे शौक होते हैं।
इन जातकों का शरीर दुबला-पतला और अच्छे गठन वाला होता है।
मुस्कान मोहक होती है। एक बार मित्र बना लें तो हमेशा के लिए अच्छे मित्र सिद्ध होते हैं।
इनकी खूबी यह होती है कि वे विवादों को बड़ी कुशलता से निपटाते हैं और संघर्ष व टकराव की स्थिति से बचने के लिए स्वयं को निष्पक्ष रखते हुए बड़ी चतुराई से अपनी बात कहते हैं।
निष्पक्ष तर्क के लिए यदि कूटनीति को अपनाना पड़े या समझौते का रास्ता लेना पड़े तो भी विरोध नहीं करते और अपनी पूर्ण बौद्धिक क्षमता का प्रयोग करना जानते हैं।
जहाँ तक स्वयं को अपने लिए निर्णय लणा हो तो तुरंत नहीं ले पाते और असमंजस की स्थिति में रहते हैं।
ये अपने फायदे या नुक्सान के बारे में बहुत ज्यादा सोचते हैं।
जबकि, इतरलिंगी के प्रति तुला वाले जातक जल्दी आकर्षित होते हैं किन्तु जीवनसाथी बनाने का निर्णय करते समय काफी ज्यादा चौकन्ने रहते हैं और बहुत सोच-विचार करते हैं।
ऐसा भी माना जाता है कि इस राशि के लोग निर्णय लेने से डरते हैं और इसलिए हर बात के लिए अपने पार्टनर पर निर्भर होते हैं।
ये अकेलेपन से काफी घबराते हैं और इसलिए कई बार परख किए बिना ये लोगों से जुड़ जाते हैं। इससे कई बार उनका गलत रिश्तों से सामना होता है।
तुला राशि के जातक अपने रिश्ते में काफी ईमानदार रहते हैं।
परन्तु ये अपने साथी पर हावी रहना चाहते है, किन्तु यदि इनका साथी इन पर अवि हो तो यह बर्दाश्त नहीं करते ।
ये चाहते हैं कि हमेशा सौंदर्य इनके आसपास रहे।
हालांकि, ये चेहरे से ज्यादा लोगों के दिल की खूबसूरती पर मर मिटते हैं।
ऐसा माना जाता है कि तुला राशि के जातक चाहे कैसी भी परिस्थिति हो विचलित नहीं होते, दूसरों को प्रोत्साहित करना, मदद करना इनका स्वभाव होता है।
ये कलाकार और स्नेही वृत्ति वाले होते है एवं सुंदरता के मोहक होते है।
व्यवहारिक भी होते हैं और इनके मित्र इन्हें पसंद करते हैं।
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