मीन राशि
शुभरंग:- पीला व भगवा,
शुभ अंक:- 3 व 9,
शुभधातु:- सोना,
शुभरत्न:- पुखराज,
शुभवार:- गुरुवार,
ईष्ट:- सरस्वती पूजा से लाभ होगा,
शुभमास:- मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन,
मध्यममास:- वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद. आश्विन व कार्तिक
अशुभमास:- चैत्र।
मीन राशि के जातक का सुंदर भरा हुआ संतुलित शरीर रचना, मध्यम या ऊंचा कद, बड़ा मस्तिष्क एवं चौड़ा गोल चेहरा, श्वेत पीत ...
वर्ण एवं सुगठित कंधे, आकर्षक तेजस्वी एवं कुछ बड़े नेत्र, आंखे कुछ उभरी हुई दिखाई दे सकती है,
कोमल एवं मखमली बाल, तीक्ष्ण नैन-नक्श, किसी को भी आकर्षित करने के प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी होते है।
राशि स्वामी बृहस्पति शुभ हो तो मीन राशि के जातक अति बुद्धिमान, ईमानदार जैसे मानवीय गुणों को धारण करने वाले होते है,
परिश्रमी, सौम्य एवं नम्र-मधुर स्वभाव, महत्वकांक्षी, संवेदनशील, भावुक, सहृदय, संगीत, साहित्य एवं सुंदरता के प्रति स्वाभाविक रूचि होती है।
तथा मीन राशि होने से जातक जल की तरह हर एक प्रकार की परिस्थितियों में अपने आप को ढाल लेने की विलक्षण क्षमता रखता है।
स्मरण शक्ति तीव्र होती है।
जातक विपरीत परिस्थितियों में भी स्वयं को विचलित नहीं होने देता, उच्च कल्पनाशील होने पर भी जातक की प्रबंधन शक्ति अच्छी होती है।
वह अपने कार्य क्षेत्र में सक्रिय एवं विकासशील बना रहता है।
राशिपति गुरु के कारण जातक हंसमुख, मिलनसार, परोपकारी, सरल एवं दयालु स्वभाव, धर्म परायण, सत्य निष्ठ, सेवाभावी, प्रेरणादायक, साधारण लोगों की भलाई एवं सहायता करने में उत्सुक, हस्तशिल्प, साहित्य, लेखन, गायन ,धार्मिक, ज्योतिष एवं योग दर्शन आदि गूढ़ विषयों में विशेष रुचि रखने वाला।
धैर्यवान, क्षमाशील, स्वाभिमानी, कई बार गंभीर रहस्यमई एवं गोपनीय आचरण करने वाला होता है।
मीन द्वि-स्वभाव राशि होने से जातक शीघ्रता से अपने मन की बात प्रकट नहीं कर पाता।
कई बार दूसरों के लिए उन्हें समझना कठिन हो जाता है।
ऐसी स्थिति में जातक निष्कपट एवं सरल हृदय होते हुए भी संदेह के दायरे में आ जाते हैं।
यदि जन्म कुंडली में चंद्र, गुरु शुभ भावों में स्थित हो अथवा उन दोनों का योग अथवा संबंध हो तो जातक महत्वकांक्षी, धार्मिक एवं पौराणिक आस्थाओं से युक्त दूसरों पर अधिकार जताने की प्रवृत्ति।
तर्क-वितर्क करने में कुशल, व्यवहार कुशल होते हैं।
अधिकांशतः मिलनसार प्रकृति के होते हैं। जातक नए-नए सृजनात्मक एवं मौलिक विचार सोचते रहते हैं। मीन जातक अपने परिवार एवं मित्रों के साथ विशेष प्यार और आसक्ति रखते हैं।
अपने मित्रों का चुनाव भी बहुत ध्यान पूर्वक करते हैं।
उनके मैत्री संबंध सामान्य जन से लेकर कुछ प्रतिष्ठित लोगों तक होते हैं।
मीन राशि के जातक द्वि-स्वभाव के होने की वजह से किसी भी कार्य में जल्दी कोई निर्णय नहीं ले पते किन्तु जब गंभीर विचार-विमर्श करने के बाद यदि कोई निर्णय लेते है तो उसे उत्साह एवं ध्यानपूर्वक अंजाम देते हैं।
यदि कुंडली में मंगल शुक्र का योग किसी अशुभ भाव में हो तो जातक विषय आसक्त, कामुक, मदिरा आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला, व्यंग एवं कटु वचन का प्रयोग करने वाला एवं अशांत मन का होता है।
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