मां कात्यायनी: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां कात्यायनी: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां कात्यायनी नवरात्रि के छठे दिन पूजी जाती हैं। वे शक्ति, साहस, विजय और प्रेम की देवी हैं। मां कात्यायनी का स्वरूप भव्य, तेजस्वी और आकर्षक होता है, जो भक्तों को सभी दुखों से मुक्ति और संपूर्ण जीवन प्रदान करती हैं।

स्वरूप

मां कात्यायनी चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो विशाल दैवीय सिंह पर सवार दिखाई जाती हैं। उनके एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल, तीसरे में अभय और चौथे में वर मुद्रा होती है। उनका रंग सुनहरा या लाल होता है और वे रत्नाभूषणों से सज्जित होती हैं। वे महिषासुर का संहार करने वाली योद्धा देवी के रूप में प्रसिद्ध हैं।

पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। आमतौर पर लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

मां को लाल या पीले फूल, खासतौर पर गुलाब या गेंदा चढ़ाएं।

सिंदूर, रोली, अक्षत, धूप, दीपक और नारियल अर्पित करें।

शहद, गुड़ या फल जैसे मिठाइयों का भोग लगाएं।

मंत्रों का जाप और दुर्गा सप्तशती या कात्यायनी स्तुति का पाठ करें।

पूजा के अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के छठे दिन, चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि प्रातः 6 से 10 बजे के बीच पूजा करना शुभ माना जाता है। शाम को गोधूलि बेला में भी पूजा का विशेष महत्व है।

मंत्र और उच्चारण

बीज मंत्र:

"क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः।"

प्रमुख मंत्र:

"या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।"

स्तुति:

"कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।

नन्दगोपसुतं देवी पति मे कुरु ते नमः।।"

मंत्रों का निर्विघ्न और श्रद्धापूर्वक उच्चारण करना चाहिए। साधारणतः 11, 21 या 108 बार जप मनोकामना पूर्ण करता है।

व्रत और नियम

व्रत में फलाहार करें या एक समय भोजन लें।

तामसिक भोजन, जुआ, मदिरा, झूठ और क्रोध से बचें।

पूरे दिन मां कात्यायनी के ध्यान और मंत्र जाप में लीन रहें।

व्रत की समाप्ति पर ब्राह्मणों का सेवा करें और दान करें।

भोग

मां को शहद, गुड़, ताजे फल, खासकर सेव, केले और रंगीन मिठाइयां चढ़ाएं।

लाल या पीली रंग की सामग्री भोग में शामिल करें।

पूजा के बाद प्रसाद रूप में सभी को वितरित करें।

पौराणिक कथा

मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या के फलस्वरूप प्रकट हुई थीं। वे देवी पार्वती का एक अत्यंत शक्तिशाली और क्रोधित रूप हैं जिन्होंने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया। उनकी पूजा से भक्तों को विजय, प्रेम, समृद्धि, और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। पारंपरिक मान्यता है कि मां कात्यायनी की सच्ची भक्ति से मनोवांछित फल प्राप्त होता है और जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।

मां कात्यायनी की भक्तिपूर्ण पूजा न केवल आध्यात्मिक उन्नति देती है, बल्कि जीवन में साहस, शक्ति और सफलता का संचार भी करती है। नवरात्रि के छठे दिन उनकी पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।