मां ब्रह्मचारिणी: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां ब्रह्मचारिणी: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां ब्रह्मचारिणी: स्वरूप, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, व्रत-नियम, भोग और पौराणिक कथा

मां ब्रह्मचारिणी नवरात्रि के दूसरे दिन साधकों द्वारा पूजी जाती हैं। इनका स्वरूप, पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त, देवी मंत्रों का सही उच्चारण, व्रत-नियम और भोग की संपूर्ण जानकारियां यहां विस्तार से प्रस्तुत की जा रही हैं.

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्रधारी सौम्य कन्या के रूप में पूजी जाती हैं, जिनके दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित होता है। मां का यह रूप संयम, तप, साधना और आत्मबल का प्रतीक है.

पूजा-विधि एवं शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के दूसरे दिन, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त (प्रातः 4:41 AM से 5:27 AM) या शुभ काल (06:13 AM से 10:22 AM) में पूजा करें.

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें, मां को पंचामृत स्नान कराएं और सफेद/पीले वस्त्र अर्पित करें.

रोली, चंदन, अक्षत, सिन्दूर, पुष्प, खासकर कमल या गुड़हल चढ़ाएं।

कलश स्थापना और नवग्रह पूजन, दीपक जलाकर आरती एवं पूजा में घी और कपूर का उपयोग करें.

देवी को भोग कैसे लगाएं

मां ब्रह्मचारिणी को दूध से बनी मिठाई, चीनी अथवा शुद्ध फल अर्पित करें। प्रसाद के रूप में मिश्री, मलाई या खीर भी उचित माने जाते हैं.

भोग अर्पित करते समय ध्यान मंत्र का मानसिक जाप करें और भोग अर्पित करने के बाद देवी को आचमन करवाएं.

देवी मंत्रों का सही उच्चारण

पूजा के समय इन प्रमुख मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करें:

"या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।"

"दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।"

बीज मंत्र: "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः".

मंत्र जप के दौरान रुद्राक्ष या चंद्रमणि की माला का इस्तेमाल करें। उच्चारण शुद्ध रहे, इसका विशेष ध्यान रखें और श्रद्धा से जाप करें.

व्रत एवं नियम

नवरात्रि के दूसरे दिन पूरे दिन सात्विक रहें, मांसाहार, नशा, तामसिक भोजन का त्याग करें.

एक समय फल, दूध, या हल्का सात्विक भोजन लें। जल और फलाहार उपवास का विकल्प रखें।

दिनभर मां के ध्यान-नाम का जाप करें; झूठ, क्रोध, चुगली, अपशब्द से बचें।

संध्या समय फिर से मां की आरती करें और प्रसाद वितरित करें.

महत्व

मां ब्रह्मचारिणी का पूजन साधक में संयम, धैर्य, आत्मबल और साधना की शक्ति जाग्रत करता है.

विद्यार्थी व गुरुज्ञान के इच्छुक साधकों के लिए यह दिन विशेष शुभ है.

मां की कृपा से स्वास्थ्य, सौभाग्य, दीर्घायु, संयम व विजय-भाव प्राप्त होता है.

पौराणिक कथा

प्रेरणादायक पौराणिक कथा के अनुसार, पार्वती जी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। यही कारण है कि उन्हें 'ब्रह्मचारिणी' नाम मिला। उनकी कठोर साधना से ही उन्हें शिव जी की प्राप्ति हुई और साधकों के लिए उनका जीवन आदर्श बन गया.

इस प्रकार, मां ब्रह्मचारिणी की साधना और उपासना नवरात्रि के द्वितीय दिवस पर भक्तों के जीवन में संयम, शक्ति, और विजय का संचार करती है