प्रथम प्रहर: 26 फरवरी 2025, शाम 6:42 से रात 9:47 तक
द्वितीय प्रहर: 26 फरवरी 2025, रात 9:47 से 27 फरवरी, रात 12:51 तक
तृतीय प्रहर: 27 फरवरी 2025, रात 12:51 से 3:56 तक
चतुर्थ प्रहर: 27 फरवरी 2025, रात 3:56 से सुबह 7:05 तक
शिवरात्रि पूजा का निशिता काल मुहूर्त:
27 फरवरी 2025, रात 12:09 से 12:59 तक
शिवरात्रि व्रत पारण समय:
27 फरवरी 2025, सुबह 6:48 से 8:54 तक
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि:
शुरू: 26 फरवरी 2025, सुबह 11:10 बजे
समाप्त: 27 फरवरी 2025, सुबह 8:54 बजे
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा विधि (Mahashivratri Puja Vidhi)
प्रथम प्रहर: भगवान शिव के ईशान स्वरूप का दूध से अभिषेक करें।
द्वितीय प्रहर: भगवान शिव के अघोर स्वरूप का दही से अभिषेक करें।
तृतीय प्रहर: भगवान शिव के वामदेव स्वरूप का घी से अभिषेक करें।
चतुर्थ प्रहर: भगवान शिव के सद्योजात स्वरूप का शहद से अभिषेक करें।
चार प्रहर की पूजा के मंत्र (Shivratri Puja Mantra)
प्रथम प्रहर: "ह्रीं ईशानाय नमः"
द्वितीय प्रहर: "ह्रीं अघोराय नमः"
तृतीय प्रहर: "ह्रीं वामदेवाय नमः"
चतुर्थ प्रहर: "ह्रीं सद्योजाताय नमः"
महाशिवरात्रि का महत्व (Mahashivratri Mahatva)
महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पवित्र विवाह का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करके भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं।
1. महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व
शिव-पार्वती विवाह: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था, इसलिए यह दिन शिव-पार्वती उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
लिंगोद्भव कथा: पुराणों के अनुसार, इसी दिन मध्यरात्रि में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे।
पापों से मुक्ति: महाशिवरात्रि का व्रत करने और रात्रि जागरण करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
यह दिन आत्म-शुद्धि और भगवान शिव के प्रति भक्ति की अभिव्यक्ति का विशेष अवसर है।
ध्यान, मंत्र जप और शिवलिंग पर अभिषेक करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
इस दिन शिव पंचाक्षर मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
3. वैज्ञानिक और ज्योतिषीय महत्व
महाशिवरात्रि की रात्रि को प्रकृति में एक विशेष ऊर्जा होती है, जिससे ध्यान और साधना का विशेष प्रभाव पड़ता है।
चंद्रमा की स्थिति इस दिन विशेष रूप से अनुकूल होती है, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
इस दिन उपवास करने से शरीर शुद्ध होता है और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
4. चार प्रहर की पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है।
प्रथम प्रहर: ईशान रूप का दूध से अभिषेक (शांति और समृद्धि के लिए)
द्वितीय प्रहर: अघोर रूप का दही से अभिषेक (रोग और कष्टों से मुक्ति के लिए)
तृतीय प्रहर: वामदेव रूप का घी से अभिषेक (शक्ति और ऊर्जा के लिए)
चतुर्थ प्रहर: सद्योजात रूप का शहद से अभिषेक (भोग और मोक्ष प्राप्ति के लिए)
5. महाशिवरात्रि का फल और लाभ
जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
रोग, शोक और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
6. महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा विधि
इस दिन भक्त निर्जला या फलाहार व्रत रखते हैं।
शिवलिंग का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है।
बेलपत्र, भांग, धतूरा और फल अर्पित किए जाते हैं।
रात्रि जागरण कर "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप किया जाता है।
7. महाशिवरात्रि का सामाजिक महत्व
यह पर्व केवल पूजा का ही नहीं, बल्कि समाज में सद्भाव, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का भी पर्व है।
इस दिन शिव भक्त कांवड़ यात्रा, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि भगवान शिव की कृपा पाने का एक दिव्य अवसर है। यह पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि मानसिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन शिव पूजा, व्रत और ध्यान करने से जीवन में सुख-शांति, सफलता और मोक्ष की प्राप्ति होती है।



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