विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष वास्तु महाधिवेशन प्रोफेसर कार्तिक रावल को आर्यभट्ट सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया।

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष वास्तु महाधिवेशन प्रोफेसर कार्तिक रावल को आर्यभट्ट सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया।

अहमदाबाद, गुजरात: गुजरात के अहमदाबाद निवासी, वास्तु एवं ज्योतिष के ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ, Allso Group के निदेशक और Ved शास्त्र ज्योतिष कार्यालय के अध्यक्ष प्रोफेसर कार्तिक रावल को विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष तंत्र एवं वास्तु महाधिवेशन 2024 के दौरान आर्यभट्ट सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया।

महाधिवेशन का आयोजन  21 और 22 दिसंबर, 2024 को विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के भव्य सभागार में संपन्न हुआ। इस महाधिवेशन का संयोजन और संचालन महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ, आचार्य वराह मिहिर न्यास, सम्राट विक्रमादित्य विद्वत परिषद, अश्विनी शोध संस्थान, पूर्ण श्री फाउंडेशन, शंखोनाद शोध संस्थान, और साउथ एशियन एस्ट्रो फेडरेशन, नेपाल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। आयोजन का उद्देश्य प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपराओं को आधुनिक संदर्भ में स्थापित करना और ज्योतिष, तंत्र तथा वास्तु के क्षेत्र में नई दिशाओं की खोज करना था।

प्रोफेसर कार्तिक रावल का योगदान

कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर कार्तिक रावल को उनकी निष्ठा और ज्योतिष, तंत्र एवं वास्तु शास्त्र के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए आर्यभट्ट सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया। राज्यसभा सांसद बाल योगी उमेशनाथ जी महाराज और विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार शर्मा के करकमलों द्वारा उन्हें सम्मान प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।

प्रोफेसर कार्तिक रावल  ने महाधिवेशन में "ज्योतिष, तंत्र, वास्तुशास्त्र और भारतीय ज्ञान परंपरा" विषय पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता को रेखांकित करते हुए इन विधाओं के माध्यम से मानव कल्याण और समाज के मार्गदर्शन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उनका शोध न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संवर्धन में भी सहायक है। इस अंतरराष्ट्रीय महाधिवेशन में भारत और विदेशों से अनेक ख्यातिप्राप्त विद्वानों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। प्रमुख अतिथियों और विद्वानों में शामिल थे:

श्री रिबुकांत गोस्वामी, लाल किताब विशेषज्ञ। स्वामी ध्यान रहस्य जी,  प्रोफेसर बी.के. अंजना, विक्रम विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष।

लक्ष्मण पंथी, सभापति, साउथ एशियन एस्ट्रो फेडरेशन, नेपाल। परम पूज्य भागवत आचार्य विनोद भाई शास्त्री, मुंबई। आचार्य संतोष भार्गव, इंदौर।

तंत्र आचार्य नीरज कुमार, जौनपुर। तंत्र आचार्य चिराग जी, उज्जैन। अमृतेश्वर शास्त्री, उज्जैन।

महाधिवेशन के दौरान ज्योतिष, तंत्र, वास्तुशास्त्र, और लाल किताब के गूढ़ विषयों पर गहन विमर्श और शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। विद्वानों ने अपने शोध के माध्यम से इन विधाओं के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्षों पर प्रकाश डाला।

भारतीय ज्ञान परंपरा का संवर्धन। वास्तु और तंत्र शास्त्र के आधुनिक अनुप्रयोग। ज्योतिष शास्त्र का वैज्ञानिक दृष्टिकोण।

लाल किताब और इसके व्यावहारिक समाधान।

कार्यक्रम के दौरान कई सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियां आयोजित की गईं। इनमें प्रमुख रूप से:

विशेष सत्र: ज्योतिष, वास्तु और तंत्र पर आधारित प्रश्नोत्तरी और चर्चा सत्र।

सांस्कृतिक कार्यक्रम: भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत का प्रदर्शन।

स्मृति चिन्ह वितरण: प्रतिभागियों और विद्वानों को विशेष सम्मान।

प्राचीन परंपराओं का आधुनिक संदर्भ में महत्व

महाधिवेशन में यह बात स्पष्ट रूप से उभरकर आई कि ज्योतिष और वास्तु जैसी प्राचीन विधाएं न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि उनके वैज्ञानिक और सामाजिक पहलुओं का भी आज के युग में गहरा प्रभाव है। विद्वानों ने इस बात पर जोर दिया कि इन विधाओं को आधुनिक संदर्भ में कैसे उपयोगी बनाया जा सकता है। उज्जैन, जो प्राचीन काल से ही भारतीय ज्योतिष और खगोल विज्ञान का केंद्र रहा है, इस आयोजन के लिए उपयुक्त स्थल था। महाराजा विक्रमादित्य की नगरी के रूप में प्रसिद्ध उज्जैन की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता ने महाधिवेशन में एक विशेष ऊर्जा का संचार किया।

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महाधिवेशन के दौरान विद्वानों ने ज्योतिष और वास्तु के क्षेत्र में नवाचार और शोध की दिशा में कार्य करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

यह आयोजन आने वाले समय में ज्योतिष, तंत्र और वास्तु शास्त्र के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा और प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक होगा।