सप्तम स्थान में सूर्य की स्थिति का ज्योतिषीय प्रभाव

सप्तम स्थान में सूर्य की स्थिति का ज्योतिषीय प्रभाव


सप्तम स्थान वैवाहिक जीवन, साझेदारी और सामाजिक संबंधों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह स्थान "कलत्र भाव" के रूप में जाना जाता है और साथ ही केंद्र स्थान भी है। सप्तम भाव का सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवनसाथी और साझेदारी से जुड़े मामलों पर पड़ता है। इस स्थान में सूर्य की उपस्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को दर्शा सकता है।

सप्तम भाव में सूर्य

सप्तम भाव में सूर्य की स्थिति को सामान्यतः शुभ नहीं माना जाता। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:

वैवाहिक जीवन पर प्रभाव:

सप्तम स्थान में सूर्य की उपस्थिति वैवाहिक जीवन में अस्थिरता और कलह का संकेत देती है।  व्यक्ति का वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है और पति-पत्नी के बीच भावनात्मक दूरी उत्पन्न हो सकती है।  सप्तम स्थान में सूर्य की स्थिति अक्सर वैवाहिक जीवन में तनाव और अस्थिरता का कारण बनती है। पति-पत्नी के बीच अहंकार या संवादहीनता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।  यह स्थिति जीवनसाथी के स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव:

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सूर्य की स्थिति जातक और उसके जीवनसाथी दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

मानसिक तनाव और चिंतन की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।

यह स्थिति जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।जातक को स्वयं भी मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

प्रशासन और समाज से संबंध:

जातक समाज में आलोचनाओं का सामना कर सकता है।

यह स्थिति जातक को प्रशासनिक समस्याओं और कानूनी विवादों में उलझा सकती है।

 

जातक समाज में आलोचना और विवादों का सामना कर सकता है।

सामाजिक संबंधों में स्थिरता बनाए रखना कठिन हो सकता है।

धन और व्यवसाय पर प्रभाव:

सप्तम भाव में सूर्य होने पर साझेदारी में किया गया व्यवसाय असफल हो सकता है।

स्त्रियों के कारण धन हानि होने की संभावना बढ़ जाती है।

यदि सूर्य के साथ राहु भी क्षीण स्थिति में हो, तो धन हानि और विवाद की संभावनाएं और बढ़ जाती हैं।

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साझेदारी में व्यवसायिक असफलता की संभावना रहती है।

यदि सप्तम भाव में सूर्य के साथ राहु या केतु भी हो, तो यह व्यापारिक विवाद या आर्थिक हानि का कारण बन सकता है।

सामाजिक प्रतिष्ठा और संबंध:

जातक का स्वभाव आलोचनात्मक हो सकता है।

यह स्थिति एकाधिक विवाह के संकेत दे सकती है।

जातक को अपने जीवनसाथी के प्रति अनादर और घृणा की भावना हो सकती है।

विदेश यात्रा:

सप्तम स्थान में सूर्य जातक के लिए विदेश यात्रा के योग भी उत्पन्न करता है।

हालांकि, विदेश में स्थायित्व या सफलता प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है।


सप्तम भाव में सूर्य के उपाय

सूर्य के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं:

सूर्य की पूजा:

प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करें और "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

दान और सेवा:

रविवार के दिन गेहूं, गुड़ और तांबे का दान करें।

ब्राह्मणों को भोजन कराएं और आशीर्वाद लें।

मंत्र जाप:

आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें।

"ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।


रत्न धारण:  किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर माणिक्य (रूबी) धारण करें।

सप्तम भाव में सूर्य की सकारात्मक दिशा

हालांकि सप्तम भाव में सूर्य के कई नकारात्मक प्रभाव होते हैं, लेकिन कुछ स्थितियों में यह जातक को दृढ़ संकल्प और नेतृत्व क्षमता भी प्रदान करता है। जातक में आत्मविश्वास और साहस की भावना प्रबल होती है, जो उसे विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करने की शक्ति देती है।