14 दिसंबर 2024, शनिवार: शनि रोहिणी अमृत सिद्धि योग और मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

14 दिसंबर 2024, शनिवार: शनि रोहिणी अमृत सिद्धि योग और मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

14 दिसंबर 2024, शनिवार, शनि रोहिणी अमृत सिद्धि योग का दिन अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक साधना के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है।

इस दिन कुछ विशेष यंत्र, मंत्र और पूजा विधियां आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और शांति ला सकती हैं।

14 दिसंबर 2024 को एक अद्भुत संयोग बन रहा है। इस दिन शनि रोहिणी अमृत सिद्धि योग और मार्गशीर्ष पूर्णिमा का शुभ संयोग है।

ये दिन धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यधिक फलदायी माना गया है।

1. शनि रोहिणी अमृत सिद्धि योग का महत्व
शनि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग: यह संयोग कार्यों में सफलता, धन लाभ और व्यापार में उन्नति के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।
अमृत सिद्धि योग: इस योग में किए गए कार्य निश्चित रूप से सफलता दिलाते हैं। यह विशेष योग जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता लाता है।
क्या करें इस दिन?  शनिदेव की पूजा करें और तेल से अभिषेक करें।  गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें, जैसे काले तिल, लोहे के बर्तन और कंबल।
"ॐ शं शनैश्चराय नमः" का 108 बार जाप करें।  किसी भी नए काम की शुरुआत के लिए यह दिन बेहद शुभ है।
2. मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।

क्या करें इस दिन?  स्नान और दान:
सुबह जल्दी पवित्र नदी, तालाब, या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
अनाज, वस्त्र, और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ होता है।
व्रत और पूजा:  श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा करें।
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
चंद्र दर्शन:  इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य दें। यह मानसिक शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
3. इस दिन के विशेष लाभ  नए कार्य की शुरुआत करें।  व्यापार और नौकरी से जुड़े फैसले लें।
आध्यात्मिक साधना और ध्यान के लिए यह दिन बेहद शुभ है। घर में सुख-शांति और धन-संपत्ति की वृद्धि के लिए पूजा करें।
भूमि-भवन या वाहन खरीदने का यह दिन उत्तम है।

4. शनि यंत्र स्थापना और पूजा
शनि यंत्र: इस दिन शनि यंत्र की स्थापना करना अत्यंत लाभकारी होता है।
इसे काले वस्त्र पर रखकर, सरसों के तेल से अभिषेक करें।
मंत्र:  ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
5. शनि चालीसा और स्तोत्र पाठ  शनि चालीसा का पाठ करें।
दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
6. रोहिणी नक्षत्र पूजा  इस नक्षत्र में चंद्रमा और शनि के संतुलन के लिए विशेष पूजा करें।
चंद्रमा के लिए:  चांदी की थाली में कच्चा दूध, चावल, और सफेद पुष्प अर्पित करें।
मंत्र: ॐ सोम सोमाय नमः।
इस पूजा से मन की शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है।
7. पारद शिवलिंग और हनुमान पूजा
इस दिन पारद शिवलिंग का पूजन करें।  सरसों के तेल से हनुमान जी का अभिषेक करें और सुंदरकांड का पाठ करें।
हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि दोष का निवारण होता है।
8. दान और पुण्य  काले तिल, काले वस्त्र, लोहे की वस्तुएं, तेल, और उड़द की दाल का दान करें।
गरीबों को अन्न और वस्त्र का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।  गाय को चारा और पक्षियों को दाना डालें।
9. पूर्णिमा पूजा  गंगा जल में खड़े होकर चंद्र देव को अर्घ्य दें।
मनोकामना पूर्ति के लिए:  ॐ सों सोमाय नमः।
10. सिद्धि प्राप्ति के लिए  शनि अमृत सिद्धि योग में 'महा मृत्युंजय मंत्र' का जाप करें। यह न केवल रोगों से मुक्ति देता है बल्कि जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

11. गायत्री मंत्र और विशेष दीपदान  इस दिन सूर्यास्त के समय गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें।
पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

इस दिन विधिपूर्वक की गई पूजा, जाप, और दान आपके जीवन में शनि दोष निवारण, आर्थिक समृद्धि और शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

यदि आपके पास यंत्र, रत्न या विशेष ग्रह स्थिति के बारे में सवाल हैं, तो ज्योतिषाचार्य से परामर्श करें।