संतान सुख और वास्तु उपाय

संतान सुख और वास्तु उपाय

संतान का जन्म दंपत्ति और परिवार के लिए सबसे बड़ा सुख है। भारतीय संस्कृति में विवाह का मुख्य उद्देश्य परिवार का विस्तार करना माना गया है। लेकिन कई बार, दंपत्ति तमाम कोशिशों के बावजूद संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। मेडिकल परीक्षण सामान्य होने के बावजूद गर्भधारण न होने के कारण समझ में नहीं आते। ऐसे में ज्योतिष और वास्तु उपाय मददगार हो सकते हैं।

ज्योतिष के अनुसार संतान प्राप्ति

पंचम भाव और गुरु ग्रह का महत्व  कुंडली में पंचम भाव और गुरु ग्रह की स्थिति संतान सुख का संकेत करती है।

यदि पंचम भाव, उसका स्वामी, या गुरु ग्रह अशुभ प्रभाव में हो, तो संतान प्राप्ति में बाधा हो सकती है।

बुध और शुक्र का प्रभाव  यदि बुध और शुक्र शनि के प्रभाव में हों और 1st, 5th या 9th भाव में स्थित हों, तो समस्याएं हो सकती हैं।

पितृ दोष  कुंडली में पितृ दोष भी गर्भधारण न होने का प्रमुख कारण हो सकता है।


वास्तु दोष और संतान प्राप्ति

उत्तर-पूर्व दिशा में रसोई या शौचालय  यह संतान के लिए बाधक है और स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

इसे तुरंत सुधारें।

पूर्व दिशा ऊंची और पश्चिम नीची  यदि घर का पूर्व भाग ऊंचा हो और गंदा पानी दक्षिण-पश्चिम की ओर बह रहा हो, तो यह समस्या पैदा कर सकता है।

उत्तर-पश्चिम कटाव  इससे गर्भाशय और मासिक धर्म संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

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दक्षिण-पूर्व में भूमिगत पानी का टैंक  यह अग्नि तत्व को बाधित करता है और मणिपुर चक्र को असंतुलित कर सकता है।

दक्षिण-पश्चिम दिशा में दोष  यह दिशा पितरों की मानी जाती है।

यहां दोष होने से गर्भधारण में बाधा आ सकती है।


संतान प्राप्ति के ज्योतिषीय उपाय

मंत्र जाप: संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।

पूजा: नवग्रह शांति पूजा और संतान गणपति की पूजा करें।

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वास्तु उपाय  शयनकक्ष दक्षिण-पश्चिम में रखें।  उत्तर-पूर्व दिशा को साफ-सुथरा रखें।

आध्यात्मिक उपाय  उत्तर-पूर्व दिशा में रोज़ दिया जलाएं।  घर में तुलसी का पौधा लगाएं।


इन उपायों से सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना बढ़ सकती है। ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेकर व्यक्तिगत समाधान अपनाएं।