कैरियर और सफलता ज्योतिषीय दृष्टिकोण

कैरियर और सफलता  ज्योतिषीय दृष्टिकोण

अच्छा कैरियर का अर्थ है एक ऐसी नौकरी या व्यवसाय, जो न केवल आर्थिक लाभ दे, बल्कि व्यक्ति को सामाजिक मान-सम्मान और आत्मसंतोष भी प्रदान करे। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली का दसवां भाव और इसका स्वामी व्यक्ति के कैरियर का प्रमुख संकेतक होते हैं।

जब कुंडली में दसवें घर का स्वामी बलवान हो, जैसे उच्च राशि में हो, दसवें या ग्यारहवें भाव में स्थित हो, और शुभ ग्रहों से संबंध रखता हो, तो कैरियर में सफलता के प्रबल योग बनते हैं। इसके विपरीत, यदि दसवें भाव का स्वामी नीच राशि में हो या अशुभ ग्रहों से पीड़ित हो, तो कैरियर में संघर्ष और बाधाएं आती हैं।
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दशम भाव और इसके स्वामी का महत्व:

दशम भाव का बलवान होना:  यदि दशमेश (दसवें घर का स्वामी) दशम भाव में या शुभ ग्रहों के साथ हो, तो कैरियर में उन्नति होती है।

राजयोग और सफलता:  दशम भाव का स्वामी जब राजयोग कारक ग्रहों से संबंध रखता है, तो व्यक्ति को असाधारण सफलता मिलती है।


ज्योतिषीय उदाहरण:

1. वृषभ लग्न:  दशमेश शनि: वृषभ लग्न में दशम भाव का स्वामी शनि होता है।

यदि शनि दशम भाव में, एकादश भाव (11वां) में, या छठे भाव में अपनी उच्च राशि तुला में स्थित हो, तो व्यक्ति का कैरियर स्थिर और सफल रहता है।

यदि दशमेश शनि राजयोग बनाता है, तो व्यक्ति व्यवसाय में अद्भुत उन्नति करता है।

2. कर्क लग्न:  दशमेश मंगल: कर्क लग्न में मंगल दशम भाव का स्वामी होता है।

यदि मंगल 11वें घर में अपने मित्र शुक्र के साथ स्थित हो, तो व्यक्ति का कैरियर उच्च शिखरों को छूता है।

ग्यारहवें भाव की स्थिति लाभ और सफलता को दर्शाती है।

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3. सिंह लग्न:  दशमेश शुक्र: सिंह लग्न में शुक्र दशम भाव का स्वामी होता है।

यदि शुक्र शुभ ग्रहों, जैसे गुरु और मंगल के साथ दशम या एकादश भाव में हो, तो व्यक्ति अपने क्षेत्र में प्रसिद्धि और सफलता प्राप्त करता है।

4. वृश्चिक लग्न:  दशमेश सूर्य: वृश्चिक लग्न में सूर्य दशम भाव का स्वामी होता है।

यदि सूर्य पांचवें भाव के स्वामी गुरु के साथ दशम भाव में हो, तो यह प्रसिद्धि और नामी सफलता का संकेत देता है।


कैरियर में प्रसिद्धि और नाम कैसे प्राप्त करें?

जब दशम भाव और उसका स्वामी पांचवें भाव या सूर्य से संबंध रखता है, तो व्यक्ति को न केवल कैरियर में सफलता मिलती है, बल्कि वह समाज में ख्याति और मान-सम्मान भी प्राप्त करता है।

उदाहरण: यदि कुंडली में सूर्य और गुरु का बलवान योग दशम भाव में हो, तो यह व्यक्ति को नेतृत्व क्षमता और प्रसिद्धि प्रदान करता है।