बारह मुखी रुद्राक्ष विस्तृत जानकारी और इसके लाभ

 बारह मुखी रुद्राक्ष विस्तृत जानकारी और इसके लाभ

द्वादश मुखी रुद्राक्ष सूर्य देव का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को सूर्य के समान तेजस्विता, आत्मविश्वास और ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो उच्च पदों पर कार्यरत होते हैं या जिन्हें नेतृत्व की भूमिका निभानी होती है। द्वादश मुखी रुद्राक्ष बारह आदित्यों का आशीर्वाद देने वाला होता है, और इसे धारण करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।

द्वादश मुखी रुद्राक्ष के लाभ:

आत्मविश्वास में वृद्धि: यह रुद्राक्ष आत्मविश्वास को बढ़ाता है और व्यक्ति को निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार के डर, शंका या असमंजस का सामना नहीं करना पड़ता।

नेतृत्व क्षमता: यह रुद्राक्ष नेतृत्व क्षमता को बढ़ाता है। जो लोग किसी संगठन या व्यवसाय में उच्च पदों पर होते हैं, उन्हें यह धारण करने से सफलता और प्रतिष्ठा मिलती है।


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मानसिक और शारीरिक समस्याओं का समाधान: यह रुद्राक्ष मानसिक तनाव और शारीरिक बीमारियों को दूर करता है। जो लोग मानसिक या शारीरिक कष्टों से पीड़ित हैं, उन्हें इसे धारण करने से राहत मिलती है।

राजकीय लाभ और प्रसिद्धि: जिन लोगों की जीवनशैली राजकीय कार्यों से जुड़ी होती है, जैसे राजनेता या प्रशासनिक अधिकारी, उनके लिए यह रुद्राक्ष विशेष रूप से लाभकारी है। यह उन्हें प्रसिद्धि और सम्मान दिलाने में सहायक होता है।

दोष निवारण: जिन लोगों की कुंडली में सूर्य-राहु का ग्रहण योग, गुरु-राहु का चांडाल योग, शनि-सूर्य का विष योग, पितृ दोष, या मंगल-राहु का अंगारक दोष हो, उनके लिए यह रुद्राक्ष धारण करना अत्यधिक लाभकारी होता है। यह इन दोषों के दुष्प्रभावों को समाप्त करने में सहायक होता है।

धन और ऐश्वर्य: द्वादश मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह बिजनेस करने वाले उद्योगपतियों और व्यापारियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

व्यक्तिगत चमक: इसे धारण करने से व्यक्ति के चेहरे पर तेज और ओज बना रहता है, जिससे वह आकर्षक और प्रभावशाली दिखता है।

धारण करने का समय और शुभ मुहूर्त:

द्वादश मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का सही समय और विधि इसे अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। इसका सही तरीके से और शुभ मुहूर्त में धारण करना आवश्यक होता है।

रविवार: चूंकि यह रुद्राक्ष सूर्य का प्रतीक है, इसलिए इसे रविवार के दिन धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। रविवार को भगवान सूर्य की पूजा के बाद इसे धारण किया जाता है।

शुभ मुहूर्त:

सुबह के समय: सुबह सूर्योदय के समय इसे धारण करना सबसे उत्तम माना जाता है। इस समय भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करके रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।

सुबह 6 बजे से 9 बजे के बीच: यह समय भी रुद्राक्ष धारण करने के लिए उपयुक्त होता है।

धारण करने से पहले: इसे धारण करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान सूर्य की पूजा करें और मंत्रों का जाप करें।

धारण करने की विधि:

शुद्धिकरण: सबसे पहले इस रुद्राक्ष को गंगाजल या शुद्ध जल से धोकर शुद्ध करें।

पूजा: भगवान सूर्य की पूजा करें और रुद्राक्ष को चन्दन, भस्म, और सिंदूर से अर्चित करें। धूप-दीप जलाएं और भगवान सूर्य का ध्यान करें।

मंत्र जप: "ॐ द्वादश वकत्रस्य ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः" इस मंत्र का 21 माला जप करें। मंत्र जाप के बाद इसे धारण करें।

धारण करें: मंत्र जाप और पूजा के पश्चात इस रुद्राक्ष को धारण करें। इसे सोने या चांदी की चेन में धारण कर सकते हैं, या काले धागे में पहन सकते हैं। इसे गले या दाहिने हाथ में धारण किया जाता है।

विशेष सावधानियां:

पवित्रता: रुद्राक्ष धारण करने के बाद इसे नियमित रूप से साफ रखें और इसे पवित्र बनाए रखें।

नियमित पूजा: रुद्राक्ष की नियमित पूजा और मंत्र जप करें। इससे इसका प्रभाव बना रहता है।

अशुद्ध स्थानों से बचें: मल-मूत्र त्याग के समय इसे निकालकर रखें और अशुद्ध स्थानों पर इसे धारण न करें।

द्वादश मुखी रुद्राक्ष का लाभ:

ऊर्जा और शक्ति: इसे धारण करने से व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है।

कठिनाइयों का समाधान: यह रुद्राक्ष व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कठिनाइयों से मुक्ति दिलाता है।

राजकीय सम्मान: यह रुद्राक्ष व्यक्ति को समाज और प्रशासनिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा दिलाता है।

धन और समृद्धि: व्यापार और व्यवसाय में इसे धारण करने से सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है।

कुंडली दोष निवारण: जिन लोगों की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, उनके लिए यह रुद्राक्ष अत्यधिक लाभकारी होता है। यह दोषों के दुष्प्रभाव को समाप्त करता है।

द्वादश मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के जीवन में आत्मविश्वास, ऊर्जा, और समृद्धि का संचार होता है। इसे रविवार को सही विधि से धारण करने पर इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है, और यह कुंडली दोषों के निवारण में भी सहायक होता है।