परिचय
दस मुखी रुद्राक्ष, जिसे भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है, यह रुद्राक्ष दस दिशाओं और दस दिक्पालों का प्रतीक है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को लोक सम्मान, कीर्ति, विभूति और धन की प्राप्ति होती है। यह रुद्राक्ष व्यक्ति की सभी लौकिक और पारलौकिक इच्छाओं को पूर्ण करता है और शांति एवं सौंदर्य प्रदान करता है। इसके धारण से जीवन के सभी भय समाप्त हो जाते हैं।
विशेषताएँ और लाभ
दिशाओं का प्रतीक: दस दिशाओं और दिक्पालों का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे धारक को चारों ओर से सुरक्षा मिलती है।
धन और समृद्धि: धारक को धन, विभूति और कीर्ति प्राप्त होती है।
कामनाओं की पूर्ति: सभी लौकिक और पारलौकिक इच्छाओं की पूर्ति होती है।
शांति और सौंदर्य: यह रुद्राक्ष शांति और सौंदर्य का प्रतीक है।
भय से मुक्ति: जीवन में आने वाले समस्त भय समाप्त होते हैं।
पूजा विधि
मंत्र जप:
"ॐ दस वकत्रस्यॐ ह्रीं नमः" इस मंत्र की 21 माला जप करनी चाहिए।
अभिषेक:
इसे धारण करने से पहले सुगंधित जल और पंचामृत से स्नान और पूजा करनी चाहिए।
धारण का समय:
मंत्र जाप के पश्चात इसे धारण करना चाहिए।
किसे धारण करना चाहिए?
विशेष रुचियाँ:
यह रुद्राक्ष डॉक्टर, सर्जन, वैद्य, इंजीनियर, वायु-सेवा से जुड़े कर्मचारी, पायलट, जमीन जायदाद के लेन-देन करने वाले, और जनरल मर्चेंट जैसी विभिन्न पेशाओं से जुड़े लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
परिणाम और प्रभाव
भाग्य में प्रगति: भाग्य में प्रगति और रुके हुए सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
लोक सम्मान: धारक को समाज में सम्मान और कीर्ति मिलती है।
सफलता: व्यापार और व्यवसाय में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ध्यान देने योग्य बातें
प्रामाणिकता: हमेशा प्रामाणिक रुद्राक्ष खरीदें, क्योंकि नकली रुद्राक्ष के लाभ नहीं मिलते।
संवेदनशीलता: यदि किसी भी प्रकार की असुविधा महसूस होती है, तो इसे हटा दें।
चिकित्सा परामर्श: स्वास्थ्य समस्याओं के मामले में हमेशा चिकित्सक से परामर्श करें।



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