परिचय
सात मुखी रुद्राक्ष, जिसे सप्तमुखी रुद्राक्ष भी कहा जाता है, दरिद्रता को दूर करने और धन-समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। इसे महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। यह रुद्राक्ष सप्तमातृका और सप्त ऋषियों का प्रतीक भी है।
विशेषताएँ और लाभ
धन-संपत्ति की प्राप्ति: इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में धन और संपत्ति की बढ़ोतरी होती है।
कीर्ति और विजय: जो जातक इसे धारण करता है, उसे समाज में कीर्ति और विजय प्राप्त होती है।
व्यापार में वृद्धि: सभी कार्यों, व्यापार आदि में वृद्धि होने की संभावना होती है।
महालक्ष्मी की कृपा: यह रुद्राक्ष महालक्ष्मी का प्रतीक है, जिससे व्यक्ति को उनकी कृपा मिलती है।
पूजा विधि
अभिषेक विधि:
कच्चे दूध और काले तिल से अभिषेक करना चाहिए।
मंत्र जप:
इसे धारण करते समय "ॐ सप्त वकत्रस्य नमः ॐ हुं नमः" इस मंत्र का 21 माला जप करना चाहिए।
धारण का दिन:
इसे विशेष रूप से शुक्रवार या सोमवार को धारण करना शुभ माना जाता है।
किसे धारण करना चाहिए?
राशियाँ: धनु राशि और मीन राशि के जातक इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
विशेष रुचियाँ:
यदि आपके जीवन में धैर्य, विनम्रता और सहानुभूति की कमी है।
यदि आप लोहा संबंधित व्यापार करते हैं या किसी रचनात्मक कार्य में संलग्न हैं।
अगर आपके शरीर की होरा को संतुलित करना है, तो भी आप इसे धारण कर सकते हैं।
परिणाम और प्रभाव
आर्थिक सुधार: इसे धारण करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
मन की शांति: धैर्य और सहानुभूति की भावना में वृद्धि होती है।
व्यावसायिक सफलता: व्यवसाय में सफलता और स्थिरता प्राप्त होती है।
सकारात्मक ऊर्जा: यह रुद्राक्ष सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे मानसिक स्पष्टता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
ध्यान देने योग्य बातें
संवेदनशीलता: कुछ लोग रुद्राक्ष के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं, इसलिए यदि कोई असुविधा महसूस हो, तो इसे हटा दें।
प्रामाणिकता: हमेशा प्रामाणिक रुद्राक्ष खरीदें, क्योंकि नकली रुद्राक्ष के लाभ नहीं मिलते।
स्वास्थ्य ध्यान: यदि कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो, तो रुद्राक्ष का उपयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
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