शेयर बाजार में लाभ/हानि के ज्योतिषीय योग

शेयर बाजार में लाभ/हानि के ज्योतिषीय योग

आज के भौतिक युग में हर व्यक्ति कम समय में अधिक धन कमाना चाहता है। इसके लिए लोग शेयर बाजार को एक आसान तरीका मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता। शेयर बाजार और किस्मत का गहरा संबंध है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति यह निर्धारित करती है कि वह शेयर बाजार से लाभ कमाएगा या हानि उठाएगा।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शेयर बाजार का अध्ययन आर्थिक ज्योतिष के अंतर्गत किया जाता है। पंचम, अष्टम और एकादश भाव से आकस्मिक धन प्राप्ति देखी जाती है। कुंडली में इन भावों और ग्रहों की स्थिति से यह पता चलता है कि शेयर बाजार में निवेश लाभदायक होगा या नहीं।

 शेयर बाजार में ज्योतिषीय योग और लाभ

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1. पंचम भाव और इसका स्वामी:

     अगर पंचम भाव और इसका स्वामी मजबूत हो, तो व्यक्ति को शेयर बाजार में लाभ के योग मिलते हैं। पंचम भाव बुद्धि और निवेश का कारक है, इसलिए इसका मजबूत होना आवश्यक है।

2. लग्नेश और भाग्येश की स्थिति:

     यदि कुंडली में लग्नेश, भाग्येश (नवम भाव का स्वामी), दशमेश (दशम भाव का स्वामी) या चतुर्थ भाव का स्वामी मजबूत हो और इनकी दशा अंतर्दशा चल रही हो, तो व्यक्ति को शेयर बाजार से लाभ होता है।

     अगर ग्रह उच्च के हो, नैसर्गिक तौर पर बलवान हो और गोचर में भी मजबूत स्थिति में हों, तो यह निवेश के लिए अनुकूल समय होता है।

3. राहु का प्रभाव:

     राहु को शेयर बाजार में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर कुंडली में राहु अनुकूल हो या राहु की महादशा चल रही हो, तो शेयर बाजार से बड़ा लाभ हो सकता है।

     राहु पंचम भाव या एकादश भाव में होने पर व्यक्ति को शेयर मार्केट से आकस्मिक लाभ मिल सकता है।

4. बुध और गुरु की स्थिति:

     शेयर बाजार में निवेश के लिए बुध और गुरु का मजबूत होना आवश्यक है। बुध बुद्धि का कारक है, और गुरु शुभदायक है, जिससे सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।

     बुध की अनुकूल स्थिति निवेश के लिए उपयुक्त समय का संकेत देती है।

5. चंद्र मंगल योग:

     यदि कुंडली में चंद्र और मंगल योग बनता है, और इनके साथ राहु और बुध 11वें भाव में स्थित हों, तो जातक को शेयर मार्केट में सफलता मिलती है।

 शेयर बाजार में हानि के ज्योतिषीय योग

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1. सूर्य राहु या गुरु राहु योग:

     यदि कुंडली में सूर्य राहु, चंद्र राहु या गुरु राहु का योग हो, तो शेयर बाजार में निवेश से बचना चाहिए। ऐसे योग हानि के संकेत होते हैं।

2. धन भाव में राहु:

     यदि धन भाव में राहु स्थित हो, तो व्यक्ति को शेयर मार्केट में सावधानी से निवेश करना चाहिए। सट्टे और जोखिम वाले निवेश से बचने की सलाह दी जाती है।

3. राहु केंद्र में:

     यदि राहु केंद्र स्थान में हो, तो व्यक्ति को शुरुआत में लाभ मिल सकता है, लेकिन बाद में नुकसान की संभावना बढ़ जाती है।

4. आठवें भाव में द्वादशेश या षष्टेश:

     यदि कुंडली में 8वें भाव में द्वादशेश या षष्टेश उपस्थित हो, तो ऐसे जातक को शेयर बाजार में निवेश करने से हानि होने की संभावना अधिक होती है।

 कुंडली के अनुसार कौन से क्षेत्र के शेयर खरीदना लाभप्रद होगा?

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लग्नेश और नक्षत्र स्वामी:

     जिस ग्रह की स्थिति कुंडली में सबसे मजबूत हो, उससे संबंधित वस्तुओं का व्यापार करने वाली कंपनियों के शेयर खरीदना लाभप्रद हो सकता है।

     लग्न का अंश, राशि और नक्षत्र स्वामी का चयन करके उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं के शेयर खरीदना भी फायदेमंद हो सकता है।

योगकारक ग्रह:

     कुंडली में जिस ग्रह का योगकारक प्रभाव हो, उससे संबंधित वस्तुओं के शेयर खरीदने से लाभ की संभावना अधिक रहती है।

 विशेष

  ग्रहों का उदय और अस्त:

     जब कोई ग्रह सूर्य के कारण अस्त होता है, तो शेयर बाजार का रुख बदल जाता है। यदि बाजार तेजी की ओर हो, तो मंदी की संभावना होती है और यदि मंदी हो, तो तेजी आ सकती है।

  वक्री ग्रह:

     ग्रहों का वक्री होना भी शेयर बाजार पर सीधा असर डालता है। ग्रहण का प्रभाव भी शेयर बाजार पर पड़ता है।

शेयर बाजार में निवेश से पहले कुंडली की स्थिति, ग्रहों का गोचर और वर्तमान दशा अंतर्दशा को ध्यान में रखते हुए निवेश करना चाहिए। सही समय पर निवेश करने से अधिक लाभ मिल सकता है, जबकि अनुचित समय पर निवेश करने से भारी नुकसान हो सकता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सही निर्णय लेकर शेयर बाजार में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

सूचना: इस लेख का उद्देश्य केवल शेयर बाजार और ज्योतिष के संबंध को समझाना है। किसी भी निवेश से लाभ या हानि का निर्णय पाठक स्वयं लें।