नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र और महत्व

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र और महत्व

नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा के सातवें स्वरूप हैं। मां कालरात्रि का नाम सुनते ही मन में भय उत्पन्न हो सकता है, लेकिन वास्तव में ये अत्यंत कल्याणकारी और शुभफल देने वाली हैं। इनका स्वरूप भले ही भयानक प्रतीत होता हो, परंतु इनकी कृपा से साधक को जीवन में हर प्रकार की विपत्तियों से मुक्ति और विजय प्राप्त होती है। मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन के हर संकट और बाधा का अंत होता है, और साधक को मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।

नवरात्रि के सातवें दिन क्या करना चाहिए? (Navratri Ke Saatve Din Kya Karna Hoga)

1. स्नान और शुद्धिकरण: दिन की शुरुआत प्रातःकाल स्नान और शुद्धिकरण से करें। शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें। मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें और उनका ध्यान करें।

2. व्रत और उपवास: सातवें दिन व्रत रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। व्रत रखने से साधक का आत्मबल और श्रद्धा बढ़ती है। फलाहार ग्रहण किया जा सकता है, लेकिन तामसिक आहार से बचें।

3. मां का आवाहन: मां कालरात्रि का आवाहन करने के लिए धूप, दीप, और काले तिल का उपयोग करें। मां को गुड़ का भोग विशेष रूप से अर्पित करें।

4. मंत्र जाप: मां कालरात्रि का विशेष मंत्र है:

   ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ कालरात्र्यै नमः।

   इस मंत्र का जाप करते हुए मां की आराधना करें और उनसे कृपा और सुरक्षा की प्रार्थना करें।

5. आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में मां की आरती करें और गुड़ या तिल से बने प्रसाद का वितरण करें।

मां कालरात्रि का स्वरूप (Maa Kalaratri Ka Swaroop)

मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयावह होता है। इनका रंग काला है, और इनका वाहन गधा है। मां के चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक हाथ में तलवार और दूसरे में वज्र होता है। बाकी दो हाथों से वे वर और अभय मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं। मां के तीन नेत्र होते हैं, जो अग्नि के समान चमकते हैं। मां के इस भयंकर स्वरूप का अर्थ है कि वे जीवन के हर प्रकार के अंधकार और विपत्तियों को समाप्त करने वाली हैं।

मां कालरात्रि की पूजा विधि (Maa Kalaratri Ki Puja Vidhi)

मां कालरात्रि की पूजा विधि विशेष रूप से सरल होती है। साधक को ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से मां की पूजा करनी चाहिए। पूजा की विधि निम्नलिखित है:

1. दीप जलाना: पूजा स्थल पर घी का दीपक जलाएं और मां की प्रतिमा के सामने रखें। मां कालरात्रि की पूजा में तिल, गुड़ और काले वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।

2. धूप और फूल: मां को धूप, गंध, और काले रंग के फूल अर्पित करें। मां की पूजा के लिए गेंदा या अन्य काले रंग के फूल उपयुक्त होते हैं।

3. मंत्र जाप: मां कालरात्रि के विशेष मंत्र का जाप करें:

   ॐ कालरात्र्यै नमः।

   इस मंत्र का जाप करने से साधक को हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और भय से मुक्ति मिलती है।

4. भोग: मां को गुड़ का भोग विशेष रूप से प्रिय होता है। पूजा के बाद इसे प्रसाद के रूप में सभी में बांटें।

5. आरती: अंत में मां की आरती करें और स्तोत्र का पाठ करें। मां की आरती करते समय उन्हें पूर्ण श्रद्धा से नमन करें।

मां कालरात्रि का महत्व (Maa Kalaratri Ka Mahatva)

मां कालरात्रि का स्वरूप जीवन के अंधकार को समाप्त करने वाला है। उनके आशीर्वाद से साधक को हर प्रकार की विपत्तियों और संकटों से मुक्ति मिलती है। मां का स्वरूप यह संकेत देता है कि वे बुराई और भय का नाश करती हैं, और साधक को जीवन के हर संकट से सुरक्षित रखती हैं। मां कालरात्रि की पूजा करने से साधक को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है, और जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।

मां कालरात्रि की कृपा से साधक को आत्मबल, साहस और हर प्रकार की नकारात्मकता से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है। उनका आशीर्वाद जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्रदान करता है। विशेषकर संकट और बाधाओं से मुक्त होने के लिए मां की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है।

मां कालरात्रि की पौराणिक कथा (Maa Kalaratri Ki Pauranik Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कालरात्रि का जन्म राक्षसों के संहार के लिए हुआ था। महिषासुर और शुंभ-निशुंभ जैसे शक्तिशाली राक्षसों का वध करने के लिए मां दुर्गा ने कालरात्रि का स्वरूप धारण किया था। उनका यह रूप अन्याय, अधर्म और बुराई के नाश के लिए है। मां कालरात्रि ने राक्षसों का संहार कर देवताओं को विजय दिलाई थी। 

मां कालरात्रि की इस कथा से यह संदेश मिलता है कि वे हर प्रकार की बुराई और अधर्म का नाश करती हैं, और साधक को सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। उनका भयंकर रूप यह दर्शाता है कि बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंततः उसका नाश अवश्य होता है।

मां कालरात्रि की स्तुति (Maa Kalaratri Ki Stuti)

मां कालरात्रि की स्तुति के लिए विशेष स्तोत्र का पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र मां के गुणों और महिमा का वर्णन करता है:

या देवी सर्वभू‍तेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता।  
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक को मां का आशीर्वाद मिलता है, और जीवन के हर प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

मां कालरात्रि की पूजा के लाभ (Benefits Of Worshipping Maa Kalaratri)

 स्वास्थ्य: मां कालरात्रि की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। वे साधक को हर प्रकार की बीमारियों से मुक्त करती हैं।

 धन और समृद्धि: मां की कृपा से जीवन में धन और समृद्धि का आगमन होता है। उनका आशीर्वाद व्यापार और करियर में उन्नति दिलाता है।

 संकटों से मुक्ति: मां कालरात्रि की पूजा से जीवन के हर संकट और विपत्ति का नाश होता है। वे साधक को हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त करती हैं।

 रिश्ते और मित्रता: मां कालरात्रि की कृपा से जीवन में संबंधों में सामंजस्य और प्रेम बढ़ता है। वैवाहिक जीवन में शांति और प्रेम बना रहता है।

 विद्या और ज्ञान: विद्यार्थियों के लिए मां की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है। मां की कृपा से विद्या और ज्ञान का विकास होता है, और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।

मां कालरात्रि की पूजा से साधक को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। उनका आशीर्वाद साधक को जीवन के हर संकट से सुरक्षित रखता है, और उसे जीवन में विजय प्राप्त होती है।