नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का महत्व, पूजा विधि और मंत्र

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा  का महत्व, पूजा विधि और मंत्र

नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा को शांति, साहस, और शक्ति की देवी माना जाता है। इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इस कारण इन्हें "चंद्रघंटा" कहा जाता है। मां का यह रूप बहुत ही सौम्य है, जो साधकों को साहस, धैर्य, और शक्ति प्रदान करता है। इस दिन की पूजा विशेष रूप से मानसिक और आत्मिक शांति, धन-धान्य, सुख-समृद्धि और जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता पाने के लिए की जाती है।

नवरात्रि के तीसरे दिन क्या करना चाहिए? 

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए निम्नलिखित कार्य करने चाहिए:

स्नान और शुद्धि: सबसे पहले, दिन की शुरुआत शुद्ध और स्वच्छ जल से स्नान कर के करनी चाहिए। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को भी साफ और शुद्ध रखें।

व्रत और उपवास: इस दिन उपवास करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। यदि संभव हो, तो पूरे दिन उपवास रखें और शाम को फलाहार करें।

मां चंद्रघंटा की पूजा: मां की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं, उन्हें गंध, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें। इस दिन लाल या पीले रंग के फूल मां को अर्पित करना शुभ माना जाता है।

मंत्र जाप: मां चंद्रघंटा की पूजा के दौरान उनके मंत्र का जाप अवश्य करें। मंत्र का उच्चारण शांतिपूर्वक और श्रद्धा से करें। यह मंत्र इस प्रकार है:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ चंद्रघंटायै नमः।

घंटा बजाएं: मां चंद्रघंटा की पूजा में घंटा बजाने का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि घंटे की ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

आरती करें: मां की पूजा के बाद आरती करें और सभी परिवारजन मिलकर माता की स्तुति करें। इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

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मां चंद्रघंटा का स्वरूप 

मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सौम्य है। उनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र स्थित है। वे दस भुजाओं वाली हैं और उनके हाथों में खड्ग, त्रिशूल, गदा, कमल और अन्य शस्त्र होते हैं। उनकी सवारी शेर है, जो उनकी वीरता और शक्ति को दर्शाता है। मां का यह रूप युद्ध और शांति दोनों का प्रतीक है।

मां चंद्रघंटा साधकों को साहस प्रदान करती हैं, जो उन्हें जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना करने के योग्य बनाता है। उनकी उपासना से साधक को मानसिक और आत्मिक बल प्राप्त होता है।

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मां चंद्रघंटा की पूजा विधि 

मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए नीचे दिए गए विधि का पालन करें:

मां का आवाहन: सबसे पहले मां चंद्रघंटा का ध्यान करते हुए उन्हें अपने पूजा स्थल पर आमंत्रित करें। उनके स्वागत के लिए घी या तेल का दीपक जलाएं।

स्नान और वस्त्र अर्पण: मां की प्रतिमा या चित्र को स्नान कराएं और उन्हें सुंदर वस्त्र अर्पित करें। मां को लाल रंग के वस्त्र अधिक प्रिय होते हैं।

पुष्प और फल अर्पण: मां को लाल और पीले फूल अर्पित करें। इसके साथ ही फल, मिष्ठान्न, नारियल और पान भी चढ़ाएं।

मंत्र जाप: मां चंद्रघंटा के मंत्र का जाप करें। यह मंत्र साधक को मानसिक शांति और जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद करता है:

ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।

घंटे का प्रयोग: मां चंद्रघंटा के पूजन में घंटा बजाने का अत्यधिक महत्व है। कहा जाता है कि घंटा बजाने से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है।

आरती और प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में मां की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें। प्रसाद के रूप में मीठे व्यंजन या फल दें।

मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व 

मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है। मां का यह रूप शांति, साहस, और शक्ति का प्रतीक है। नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी उपासना से साधक को सभी प्रकार के भय, मानसिक अशांति, और तनाव से मुक्ति मिलती है। उनकी पूजा से साधक को जीवन में शांति, साहस और धैर्य की प्राप्ति होती है।

मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा 

मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह के बाद चंद्रघंटा रूप धारण किया। उनका यह स्वरूप दानवों और राक्षसों के विनाश के लिए था। मां ने इस रूप में असुरों का संहार कर धर्म की स्थापना की थी। उनकी कथा से यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में आने वाली किसी भी विपत्ति का सामना साहस और धैर्य से करना चाहिए।

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मां चंद्रघंटा की स्तुति 

मां चंद्रघंटा की स्तुति के लिए निम्नलिखित स्तोत्र का पाठ किया जाता है:

या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इस स्तुति के पाठ से साधक को मां की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह स्तोत्र उनकी महिमा और शक्ति का गुणगान करता है।

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नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा के लाभ 

स्वास्थ्य: मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक के स्वास्थ्य में सुधार होता है। मानसिक और शारीरिक बल में वृद्धि होती है।

धन और समृद्धि: मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के जीवन में आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और उसे समृद्धि प्राप्त होती है।

व्यापार और करियर: मां की पूजा से व्यापार में सफलता और करियर में उन्नति मिलती है।

वैवाहिक जीवन: मां चंद्रघंटा की पूजा वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाती है।

विद्या और शिक्षा: विद्यार्थियों के लिए मां की पूजा विशेष लाभकारी होती है। इससे विद्या में वृद्धि होती है और परीक्षा में सफलता मिलती है।

रिश्ते और मित्रता: मां चंद्रघंटा की उपासना से प्रेम संबंधों में सुधार होता है।

इस प्रकार नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। उनकी कृपा से साधक को शांति, समृद्धि और शक्ति की प्राप्ति होती है।

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